Prayagraj Kumbh: महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए भी सीएम योगी प्रतिबद्ध

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Prayagraj Kumbh: महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए भी सीएम योगी आदित्यनाथ प्रतिबद्ध
Prayagraj Kumbh: महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए भी सीएम योगी आदित्यनाथ प्रतिबद्ध

Prayagraj Mahakumbh 2025, (डॉ दिलीप अग्निहोत्री), आज समाज डेस्क: सनातन धर्म में अयोध्या और प्रयागराज की महिमा सर्वविदित है। इसी महीने एक दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ मनाई जाएगी। वहीं प्रयागराज में पौष पूर्णिमा से महाकुंभ का शुभारंभ होगा। दूसरा संयोग यह है कि पिछले कुंभ और अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रबंधन में हुआ था। इस बार के महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए भी योगी आदित्यनाथ प्रतिबद्ध है।

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कई बार अयोध्या और प्रयागराज आ चुके हैं सीएम योगी

सीएम योगी ने हाल ही के दिनों में राम नगरी अयोध्या और प्रयागराज की यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक करके महाकुंभ को लेकर दिशा निर्देश दिए हैं। महाकुंभ स्थल पर पहुंच निर्माण कार्यों का उन्होंने निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री का पूरा ध्यान इस पर रहता है कि यहां पहुंचने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े।

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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के समय दुनिया को संदेश दिया

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के समय योगी आदित्यनाथ ने भारत ही नहीं दुनिया को एक संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि श्री रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा भारत के आत्म गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। हमारा देश अपने स्वयं के गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा कर रहा है। पिछले दिनों सीएम योगी ने अयोध्या में कहा कि सनातन धर्म की मान्यता है कि सम्पूर्ण सृष्टि के संचालक रक्षक पालक श्रीमद्नारायण साक्षात सूर्यदेव हैं, जिन्हें श्री विष्णु भी कह सकते हैं। उन्हीं की कृपा से सब कुछ संचालित होता है। उनकी कृपा के बगैर कुछ भी नहीं हो सकता।

अयोध्याधाम में पंच नारायण यज्ञ के माध्यम से उत्तर एवं दक्षिण के विद्वानों के संयुक्त प्रयासों से चल रही आत्म शुद्धि, इस भूमि की शुद्धि एवं पर्यावरण की शुद्धि के इस पवित्र महायज्ञ के साथ जुड़ने का सौभाग्य हम सभी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन जन्म भूमि पर मिल रहा है। स्वाभाविक रूप से यज्ञ की सफलता तो आवश्यक है। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है।

भारत में हजारों वर्षों से है यज्ञों की परंपरा

भारत में यज्ञों की परंपरा हजारों वर्षों से है। ‘यज्ञात भवति पर्जन्य’ यानी यज्ञ ही वर्षा का कारण है। वर्षा से ही फसल होती है। उसी से प्रत्येक किसान, व्यापारी को धन-धान्य एवं समृद्धि प्राप्त होती है। काशी में काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या में अयोध्या धाम फिर से त्रेतायुग की स्मृतियों को जीवंत कर रहा है।विरासत को विस्मृत करके हम भौतिक विकास को स्थाई नहीं बनाए रख सकते हैं।

विरासत और विकास के बीच में बेहतर समन्वय जरूरी

विरासत और विकास के बीच में एक बेहतर समन्वय होना चाहिए। यज्ञ उसी की प्रेरणा देता है। भारत के पावन धर्म स्थल एवं मान बिंदु हमारे आदर्श और प्रेरणा हैं, इनसे प्रेरित होकर जब हम आगे बढ़ेंगे तभी भारत बना रहेगा। हजारों वर्षों पहले हमारे ऋषियों ने हमें अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। का संदेश दिया है।

सनातन धर्म ही भारत का राष्ट्रीय धर्म

दुनिया में विश्व शांति की स्थापना करनी है, तो यह सनातन धर्म ही कर सकता है। भारत के अंदर सनातन धर्म ही भारत का राष्ट्रीय धर्म है। सनातन धर्म शाश्वत तथा सृष्टि के साथ चलने वाला धर्म है। एक सौ पैतालीस वर्ष बाद महाकुंभ का ऐसा संयोग बन रहा है। प्रमुख स्नान के अवसर पर पूज्य संतों के लिए, श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पुष्प वर्षा की व्यवस्था भी रहेगी।

तेरह जनवरी को पौष पूर्णिमा का पहला स्नान

तेरह जनवरी को पौष पूर्णिमा का पहला स्नान यहां पर सम्पन्न होगा। चौदह जनवरी मकर संक्रांति को दूसरा स्नान होगा। उनतीस जनवरी को मौनी अमावस्या का स्नान होगा। जिसमें सबसे ज्यादा भीड़ आएगी। अनुमान है कि इस दिन छह से आठ करोड़ श्रद्धालु यहां पर आएंगे। तीन फरवरी को बसंत पंचमी है। फिर बारह फरवरी और छब्बीस फरवरी सहित यहां पर कुल छह स्नान होने हैं।

प्रयागराज सिटी का कायाकल्प लगभग पूरा

योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में बताया कि प्रयागराज सिटी का कायाकल्प लगभग पूरा हो चुका है। दो सौ से अधिक सड़कों का निर्माण हुआ है। इन्हें सिंगल से दो, चार और छह लेन तक बनाया जा चुका है। चौदह फ्लाईओवर या आरओबी में से तेरह का निर्माण पूर्ण हो चुका है। मेला प्राधिकरण ने लगभग 5000 एकड़ क्षेत्रफल में प्रयागराज को जोड़ने वाले मार्गों पर संगम से दो से पांच किलोमीटर की दूरी पर पार्किंग स्पेस चिन्हित करके उन्हें सक्रिय कर दिया है। हर पार्किंग स्थल पर चौकी होगी।सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था होगी। पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी होगा। तीस पांटून ब्रिज बनकर तैयार हो रहे है। इसमें अट्ठाइस पांटून ब्रिज बनकर तैयार हो गए हैं।

बारह किलोमीटर का अस्थाई घाट बनाया जा रहा

बारह किलोमीटर का अस्थाई घाट यहां पर तैयार किया जा रहा है। चेकर्ड प्लेट यहां पर पांच सौ किलोमीटर से अधिक के दायरे में बिछाई जा चुकी हैं। शुद्ध पेयजल के लिए करीब पांच सौ किलोमीटर से अधिक की पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है। मेला लगभग अपना आकर ले चुका है। सात हजार से अधिक संस्थाएं अब तक आ चुकी हैं। डेढ़ लाख से अधिक टेंट की व्यवस्था मेला प्राधिकरण की ओर से की गई है।

स्टील ब्रिज आवागमन का सबसे सहज साधन

मुख्यमंत्री ने फाफामऊ में गंगा नदी पर निर्माणाधीन सिक्सलेन पुल के विकल्प के रूप में बन रहे स्टील ब्रिज का भी निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि इस बार के महाकुम्भ में यह स्टील ब्रिज तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए संगम तक आवागमन का सबसे सहज साधन होगा। स्टील ब्रिज से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, अयोध्या,गोरखपुर, लखनऊ,दिल्ली, उत्तराखण्ड, राजस्थान की ओर से महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को सुविधा मिलेगी। उन्हें नगर में नहीं जाना पड़ेगा। गंगा किनारे रिवर फ्रण्ट रोड से यह वाहन सीधे महाकुम्भ मेला में प्रवेश कर सकेंगे।

ब्रिज के लोड टेस्टिंग का काम भी पूरा

भारत सरकार के सौजन्य से बन रहे इस स्टील ब्रिज के लोड टेस्टिंग का काम भी पूरा हो गया है। उन्होंने संगम ऐरावत घाट और संगम नोज घाट का निरीक्षण किया। लक्ष्य यह है कि प्रत्येक तीर्थयात्री का स्नान सुरक्षित हो, इसके लिए व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। पांच हजार कुम्भ सेवा मित्र की तैनाती की गई है। इनका विधिवत प्रशिक्षण किया जाएगा।

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