18th Pravasi Bharatiya Divas convention, (आज समाज), भुवनेश्वर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भविष्य युद्ध में नहीं बल्कि बुद्ध में है। उन्होंने कहा कि जब तलवार के जोर पर साम्राज्य का विस्तार करने का दौर था, ऐसे समय में भी हमारे सम्राट अशोक ने शांति का मार्ग चुना था और इसी विरासत की ताकत की बदौलत भारत आज विश्व में कहने का सामर्थ्य रखता है कि भविष्य युद्ध नहीं बुद्ध में ही है। पीएम ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित तीन दिवसीय 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के दूसरे दिन आज ये बातें कहीं।
महाकुंभ, लोहड़ी, पोंगल व बिहू आदि त्योहारों का जिक्र किया
प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रयागराज में अगले सप्ताह से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले के अलावा कुछ ही दिन में आने वाले त्योहारों मकर संक्रांति, बिहू, पोंगल व लोहड़ी के महत्व का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ के साथ ही मकर संक्रांति और माघ बिहू, पोंगल व लोहड़ी जैसे त्योहार आने वाले हैं, जिससे पूरे देश में हर जगह खुशी का माहौल है।
ओडिशा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की तारीफ
पीएम मोदी ने ओडिशा की गहन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की भी प्रशंसा की। साथ ही वैश्विक व्यापार और आध्यात्मिकता में इसके महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने ओडिशा के प्राचीन समुद्री संबंधों पर भी टिप्पणी की, जहां व्यापारी बाली, सुमात्रा और जावा जैसे दूरदराज के क्षेत्रों की यात्रा करते थे। पीएम ने कहा कि इन ऐतिहासिक संबंधों का सम्मान करने के लिए बाली यात्रा की परंपरा अभी भी मनाई जाती है।
सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अपनाया अहिंसा का रास्ता
ओडिशा के आध्यात्मिक सार का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने शांति के प्रतीक धौली के बारे में बात की। वहीं पर सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा का रास्ता अपनाया था। मोदी ने कहा, एक ऐसे युग में जब साम्राज्य हथियारों के बल पर बनाए जाते थे, सम्राट अशोक ने ओडिशा में शांति का मार्ग चुना। यह वह विरासत है जो आज भारत को युद्ध में नहीं बल्कि बुद्ध की शिक्षाओं में निहित भविष्य की वकालत करने के लिए प्रेरित करती है।
9 जनवरी के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 9 जनवरी के ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डाला। 9 जनवरी 1915, महात्मा गांधी के विदेश से भारत लौटने का प्रतीक है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। उनकी टिप्पणियों ने आयोजन के इर्द-गिर्द उत्सव के माहौल को प्रतिध्वनित कर दिया, जिसे दुनिया भर से भारतीय प्रवासियों की मौजूदगी ने और बढ़ा दिया।
कार्यक्रम की सफलता के लिए वाजपेयी के दृष्टिकोण को श्रेय
पीएम मोदी के अनुसार, प्रवासी भारतीय दिवस का यह संस्करण विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के साथ मेल खाता है। उन्होंने इस कार्यक्रम के विकास और सफलता के लिए वाजपेयी के दृष्टिकोण को श्रेय दिया। साथ ही पीएम ने भारत के वैश्विक जुड़ाव और प्रवासी भारतीयों तक पहुंच पर पूर्व प्रधानमंत्री के स्थायी प्रभाव को श्रद्धांजलि दी।
प्रवासी भारतीय सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम
प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। यह भारतीय प्रवासियों से जुड़ने और उन्हें एक-दूसरे के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। 18वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन ओडिशा राज्य सरकार के साथ साझेदारी में 8 से 10 जनवरी तक भुवनेश्वर में आयोजित किया जा रहा है। इसका विषय है विकसित भारत के लिए प्रवासी भारतीयों का योगदान। 50 से अधिक देशों से बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों ने प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया है।
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