पंकज सोनी, भिवानी:
परम पूजनी संत राजिन्दर सिंह महाराज की अपार दयामेहर से सावन कृपाल रूहानी मिशन भिवानी शाखा द्वारा परम संत कृपाल सिंह महाराज की 47 वीं बरसी पर पीपली वाली जोहड़ी सलम एरिया एवं हनुमान जोहड़ी क्षेत्र में भण्डारे व प्रसाद वितरिण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान लगभग 2 हजार सब्जी व प्रसाद के पैकेट वितरित किए। इस दौरान संत राजिन्दर सिंह ने कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए आनलाईन सत्संग प्रसारित किया तथा परम संत कृपाल सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परम संत कृपाल सिंह महाराज को याद करने का सही तरीका यह है कि उनकी शिक्षाओं को हम अपने जीवन में ढालें।
वे अध्यात्मवाद का सूर्य बनकर उदय हुए और लाखों दिलों में उजाला कर गए। परम संत कृपाल सिंह महाराज अध्यक्षता में चार विश्व धर्म सम्मेलन आयोजित किए गए, जिसमें विभिन्न धर्मों के संत-महात्माओं ने एक ही मंच पर एकत्रित होकर अपने-अपने संबोधन में फरमाया कि भले ही हम अलग-अलग धर्मों से संबंध रखते हों पर वास्तव में हम सब एक ही हैं। फरवरी 1974 में उन्होंने मानव एकता सम्मेलन आयोजित किया। जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया था। कृपाल सिंह महाराज पहले ऐसे संत थे जिन्होंने तत्कालीन लोकसभा स्पीकर ढिल्लो के अनुग्रह पर 1 अगस्त, 1974 को भारतीय संसद को संबोधित किया था।
लगभग 2 घंटे चले संबोधन में उन्होंने फरमाया कि समाज की उन्नति के लिए हमें उसमें अध्यात्म को शामिल करना पड़ेगा। वह पहले ऐसे गैर ईसाई महापुरुष थे जिन को ईसाई जगत के सर्वप्रथम पुरस्कार नाइट्स आॅफ माल्टा से सुशोभित किया गया था। 21 अगस्त 1974 को परम संत कृपाल सिंह महाराज के निजधाम प्रस्थान करने के पश्चात दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह महाराज ने उनके इस रूहानी कार्य को आगे बढ़ाया और तदुपरांत संत राजिन्दर सिंह महाराज विश्वभर में परम संत कृपाल सिंह महाराज द्वारा शुरू किए गए रूहानियत के कार्य को बड़ी तेजी से फैला रहे हैं।
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