इशिका ठाकुर,करनाल:
अब तक आपने हवा में प्लेन या हेलीकॉप्टर को उड़ते देखा होगा. लेकिन हरियाणा के करनाल में एक ऐसी तकनीक ईजाद की गई है. जिसकी मदद से आपकी थाली में परोसे जाने वाले आलू हवा में तैयार होंगे। यूं तो कृषि क्षेत्र में विकास के लिए नई-नई तकनीकें आ रही हैं। लेकिन एरोपोनिक तकनीक के जरिए अब जमीन से ऊपर हवा में आलू लगाया जा सकेगा। आलू उगाने की इस तकनीक का इस्तेमाल बागवानी विभाग की देखरेख में हो रहा है।
एरोपोनिक तकनीक( हवा में आलू विधि )से अब आने वाले समय में किसान अच्छे किस्म के आलू के बीज तैयार करके अच्छी पैदाबार ले सकते हैं। ऐसा संभव करके दिखाया है करनाल के आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल के द्वारा। जो भारत का सबसे बड़ा एयरोपोनिक्स तकनीक से आलू उत्पादन करने वाला संस्थान है । बहुत सारे किसान जो अभी तक परंपरागत खेती किया करते थे, उसकी तुलना में यह तकनीक उनके लिए बहुत ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है। ऐसा कहा गया है कि इस तकनीक के द्वारा आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता को तीन से चार गुणा तक बढ़ाया जा रहा है। इस तकनीक से सिर्फ़ हरियाणा ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ पहुँचेगा। इस तरह नई-नई तकनीकों के आने से किसानों को जानकारी होने के साथ-साथ उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है। जो उनके और हमारे देश दोनों के लिए बेहतर है।
यहां के एक्सपर्ट गौरव कुमार का मानना है कि आलू की गुणवत्ता दूसरे तकनीक से करने वाले आलू की खेती से काफी बेहतर होती है। इसमें जहां किसान आने वाले समय में एक आलू से 10 बीज कर सकते हैं। तो वही इस तकनीक से पैदावार भी 10 गुना ज्यादा होती है और ऐसे प्लांट लगाने के लिए सरकार विशेष तौर पर अनुदान भी दे रही है । इस तकनीक से आलू में बीमारियां व कीट भी कम लगते हैं और इसके गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है । इस तकनीक का प्रयोग करके किसान अच्छी गुणवत्ता का आलू का बीज तैयार कर सकते हैं और आलू की खेती के साथ-साथ बीज दूसरे किसानों को बेच कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
आप को भी जानकर हैरानी होगी कि आखिर ये कैसी तकनीक है जिससे अब तक जमीन पर उगने वाला आलू अब हवा में तैयार किया जा रहा है। तो आप को बता दें कि एरोपोनिक तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के ही हवा में आलू उगाया जा रहा है और पैदावार भी 10 गुना से ज्यादा होगी। इस तकनीक से बना एक पौधा करीब 40 से 60 आलू दे रहा है।
एरोपोनिक तकनीक के एक्सपर्ट जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस तकनीक में शुरुआत में लैब से आलू हार्डनिंग यूनिट तक पहुंचते हैं। इसके बाद पौधे की जड़ों को बावस्टीन में डुबोया जाता है. जिसके चलते आलू के पौधों में फंगस नहीं लगता। इसके बाद बेड बनाकर उसमें कॉकपिट में इन पौधों को लगा दिया जाता है। इसके तकरीबन 10 से 15 दिन बाद इन पौधों को एरोपोनिक यूनिट के अंदर लगा दिया जाता है।
एरोपोनिक तकनीक हवा में आलू उगाने की वो तकनीक है जिससे न केवल आलू के उत्पादन की पैदावार बढ़ सकती है. बल्कि, परंपरागत खेती के मुकाबले आलू में लगने वाले रोग से भी इसे बचाया जा सकेगा. यानी में इस तकनीक के जरिए उगने वाले आलू की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही मोर्चे पर ये तकनीक बेहतर साबित होगी.
एरोपोनिक तकनीक किसानों की जिंदगी में एक अहम कदम साबित हो सकती है. जिसके चलते आने वाले समय में किसानों के लिए ये क्रांती साबित हो सकती है. जिससे न केवल किसानों की आय दोगुनी होगी. बल्कि बारिश और फसल में रोग के चलते जो किसानों का नुकसान होता है उसमें भी कमी आ सकती है।
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