-बड़े स्तर पर स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल स्टाफ की पोस्ट खाली
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
कोरोना के चलते प्रदेश में करीब कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान 13,000 लोगों की मौत का आधिकारिक आंकड़ा सामने आया है। इनमें से हरियाणा के करीब 9600 लोग थे। इसी बीच अब चिंता और बढ़ गई है, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत एक्सपर्ट्स भी निरंतर सबको चेता रहे हैं कि तीसरी लहर का आना तय है और अबकी बार खतरा कहीं ज्यादा होगा। ऐसे में हर मोर्चे पर तैयारी बेहद जरूरी है। चाहे बात दवाई की हो या फिर मेडिकल स्टाफ की या आॅक्सीजन समेत अन्य उपकरणों की, लेकिन प्रदेश में बड़े पैमाने पर मेडिकल स्टाफ की कमी महसूस की जा रही है। बता दें कि एसएमओ, मेडिकल आॅफिसर्स, फार्मासिस्ट्स समेत कई कैटेगरी में स्टाफ की भारी कमी है।
मेडिकल आफिसर्स के 25 फीसदी से ज्यादा पद खाली
स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल आॅफिसर का पद बेहद अहम व जिम्मेदारी वाला होता है। लेकिन हालात ये हैं कि हरियाणा में बडेÞ स्तर पर मेडिकल आॅफिसर्स के पद रिक्त पड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा एक इसी कैटेगरी के पद हैं। कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3,596 है। इनमें से 2,616 पद तो भरे हुए हैं और बाकी 980 रिक्त हैं। इस लिहाज से कुल पदों में से 25 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं और उनको भरा जाना जरूरी है। वहीं एसएमओ, डिप्टी सीएस, डीडी और डीएमएम के पदों की बात करें तो बता दें कि यहां भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। कुल स्वीकृत 590 पदों में से 381 भरे हैं तो बाकी 209 रिक्त हैं।
स्टाफ नर्स के 50% पद खाली, 2260 पोस्ट खाली
स्वास्थ्य सेवाओं में स्टाफ नर्स की बेहद अहमियत होती है। कोरोना से इस जंग में हर किसी ने देखा कि प्रदेशभर के अस्पतालों में नर्सों ने क्या भूमिका निभाई है। उन्होंने बेहद करीब रहकर मरीजों को नई जिंदगी और कई को तो कोरोना के चलते जिंदगी गंवाते हुए भी देखा। लेकिन इतना सब पता होने के बावजूद हालात ये हैं कि प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में स्टाफ नर्स के करीब 50 फीसदी से भी ज्यादा पद खाली हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार प्रदेश में नर्सों के कुल 4403 पद स्वीकृत हैं और इनमें से महज 2143 पद ही भरे हैं। बाकी 2260 पद खाली हैं, जिनको तुरंत प्रभाव से भरे जाने की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य को मजबूत किया जा सके।
एमपीएचडब्ल्यू के 466 पद खाली
वहीं एमपीएचडब्ल्यू कैटेगरी में भी बड़े पैमाने पर पद खाली हैं। विभाग में कुल स्वीकृत पद 2732 हैं, जिनमें से 2266 पद भरे हैं। बाकी 466 पद खाली हैं। इसके अलावा एमपीएचएस कैटेगरी की बात करें तो कुल स्वीकृत पद की संख्या 632 है, जिनमें से 546 भरे हुए हैं और 86 खाली हैं। इसके अलावा लैब टेक्नीशियन के पदों की बात करें तो इस कैगेटरी में भी पद खाली हैं। कुल 214 स्वीकृत हैं जिनमें से 176 भरे हैं और 38 रिक्त हैं।
फिर कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग
वैश्विक स्तर पर एक्सपर्ट्स और स्वास्थ्य संस्थाएं निरंतर आगाह कर रही हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आएगी। ऐसे में जरूरत है कि पहले से ही तैयारी कर ली जाए और कोई कसर बाकी न रहे। लेकिन जिस तरह से स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बयां कर रहे हैं, उससे साफ है कि स्टाफ की कमी है। डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट्स और अन्य तमाम कैटेगरी में पद खाली हैं तो चिंतित होना स्वाभाविक है। पिछली दोनों दफा सब देख चुके हैं कि मेडिकल स्टाफ की कमी एक बड़ी समस्या थी, जिसके चलते इलाज में दिक्कत आई। ऐसे में जरूरत है कि खाली पड़े पदों को भरा जाए। हालांकि ये इतना जल्दी संभव नहीं है और भर्ती प्रक्रिया में समय लगता है।
प्रशासनिक पदों का भरना भी जरूरी
यूं तो इलाज डॉक्टर को ही करना होता है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में प्रशासनिक कार्यशैली की भी अहम भूमिका होती है। बता दें कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में अधीक्षक की स्वीकृत 35 पोस्ट में से 19 भरी हैं और बाकी 16 रिक्त हैं। इसके अलावा उपाधीक्षक की कुल 69 पोस्ट सेंकशंड हैं, जिनमें से 47 भरी हैं और 22 खाली हैं।
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