Aaj Samaj (आज समाज), Political Analysts On INLD Padyatra, चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले मतदाता और अपने टूटे समूह को सौंपी गई राजनीतिक जमीन फिर हासिल करने के मकसद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) इन दिनों प्रदेश में ‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’ के बैनर तले 215 दिन की पदयात्रा पर निकला है। इस पदयात्रा के जरिये पार्टी सत्ता पर दोबारा काबिज होने के दावे तो कर रही है, मगर राजनीति के जानकारों का मानना है कि इससे पार्टी बमुश्किल ही खोई विरासत कर पाएगी।
- इनेलो की ‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’ का आज 55वां दिन
खोया गौरव दोबारा हासिल करना मुश्किल : पवन बंसल
इनेलो की यात्रा को लेकर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अभय की तमाम कोशिशों के बावजूद इनेलो का खोया गौरव दोबारा हासिल करना मुश्किल होगा। हरियाणा के लालो के सबरेंज किस्से के लेखक पवन कुमार बंसल का कहना है, हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि देवी लाल एक महान नेता थे। उनके पास बहुत सारे अनुयायी थे और उनके अंदर लोगों की नब्ज पढ़ने की क्षमता थी, तब से अब तक राज्य बहुत बदल गया है।
देवी लाल के जाने के बाद काफी कुछ बदला
वयोवृद्ध पत्रकार पवन बंसल ने हाल ही में कहा है कि देवी लाल के जाने के बाद से घग्घर (हरियाणा से होकर गुजरने वाली मौसमी नदी) के नीचे बहुत पानी बह चुका है और अब, हमारे पास अलग-अलग आकांक्षाओं वाले मतदाताओं की एक अलग पीढ़ी है।
कभी प्रमुख विपक्षी पार्टी थी, आज एक सीट पर सिमटी
इनेलो एक ऐसी पार्टी है जिसने प्रदेश में 1999 से 2005 तक शासन किया और विभाजन तक राज्य में यह प्रमुख विपक्ष पार्टी थी। आज हालत यह है कि हरियाणा में इनेलो एक सीट पर सिमट गई है। अभय के नेतृत्व में पार्टी ने 24 फरवरी से नहंू के सिंगार गांव से पदयात्रा शुरू की है और सात माह (215 दिन) बाद 25 सितंबर को कुरुक्षेत्र में यात्रा का समापन होगा। आज यात्रा का 55वां दिन है।
अभय कई बार कर चुके जीत का दावा
हालांकि पार्टी महासचिव अभय सिंह चौटाला का दावा है कि वे ‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’ के तहत वे प्रदेश में जहां भी जा रहे हैं, जनता का भरपूर प्यार मिल रहा है और आने वाले चुनावों में बदलाव निश्चित है। हरियाणा में इनेलो की सरकार बनेगी। उनका कहना है कि वे जहां भी जा रहे हैं कांग्रेस, जजपा और बीजेपी से सैकड़ों लोग इन पार्टियों को छोड़ कर इनेलो का दामन थाम रहे हैं। अभय के अनुसार इस यात्रा से इनेलो के कार्यकतार्ओं में जोश ही नहीं बल्कि संगठन के लिहाज से भी इनेलो पहले से कहीं अधिक मजबूत होता दिखाई दे रहा है।
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