-विभाग को लॉ एंड आर्डर मेंटेन करने में बड़े पैमाने पर वाहनों की जरूरत
-वाहनों की कमी के चलते निरंतर दिक्कत पेश आ रही विभाग को
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
किसी भी राज्य में कानून-व्यवस्था मेंटेन करने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की होती है। थोड़ी सी भी लापरवाही बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। कई बार संसाधनों की कमी भी आड़े आ जाती है जिसके चलते विभागीय कार्यशैली का प्रभावित होना तय है। इसी कड़ी में सामने आया है कि विभाग में बड़े पैमाने पर वाहनों की जरूरत है। काफी संख्या में कंडम वाहन हैं और कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए नए वाहनों की बेहद जरूरत है। जानकारी अनुसार सामने आया है कि विभाग ने सरकार को नए वाहनों की आवश्यकता को लेकर लिखा है। छोटे बड़े मिलाकर विभाग ने कुल 1443 वाहनों की जरूरत बताई है।
दोपहिया वाहनों की सबसे ज्यादा जरूरत
क्राइम कंट्रोल करने में दोपहिया वाहनों की बेहद अहम भूमिका होती है। विभाग ने सरकार को लिखा है कि कुल 1210 दोपहिया वाहनों की जरूरत है। इन वाहनों को विभाग द्वारा सभी जिलों में जरूरत के अनुसार इस्तेमाल किया जा सकेगा।
हैवी वाहनों की भी बेहद आवश्यकता
पुलिस के बेड़े में हैवी और लाइट दोनों तरह के ही वाहनों की आवश्यकता है। विभाग ने बस, मिनी बस, ट्रक और क्रेन आदि वाहनों की जरूरत बताई है। विभाग ने 6 बस और 27 मिनी बस की जरूरत का हवाला दिया है। इसके अलावा 14 ट्रक की भी जरूरत बताई है। साथ ही हल्के वाहनों की भी जरूरत है। बोलेरो और अर्टिगा जैसे 114 वाहन खरीदने हैं। वहीं ये भी बता दें कि पिछले साल मार्च में पुलिस विभाग को 226 नई बोलेरो मिली थ, लेकिन हर साल कंडम होने वाले वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है।
44 करोड़ रुपए होंगे खर्च
सरकार को जो रिकमेंडेशन भेजी है, उसके अनुसार वाहनों की खरीद पर 43.94 करोड़ खर्च होंगे। दोपहिया वाहनों की खरीद पर कुल 9.68 करोड़ इनकी खरीद पर लगने हैं। वहीं लाइट व्हीकल जिनमें बोलेरो व अर्टिगा शामिल हैं, की खरीद पर 91.2 करोड़ लगने हैं। मिनी बस के लिए 5.40 करोड़ की लागत आनी है। ट्रकों के लिए 3.50 करोड़ की संभावित राशि बताई गई है।
600 से ज्यादा वाहन खरीदे जा चुके हैं
वहीं ये भी बता दें कुछ समय पहले विभाग के लिए 600 से ज्यादा इनोवा गाड़ियां खरीदी गई हैं। इनको प्रदेश के सभी जिलों में थानों पर तैनात किया गया। कुछ ही समय पहले शुरू किए गए डायल 112 प्रोजेक्ट के तहत इनको प्रयोग किया जा रहा है। इमरजेंसी हेल्पलाइन पर आने वाली कॉल्स के आधार पर उनको जरूरत के हिसाब से यूज किया जा रहा है।
फिलहाल चौकियों में जरूरत के हिसाब से दिए गए वाहनों पर एक नजर
प्रदेश में 59 स्वीकृत या कहें कि नियमित पुलिस चौकी हैं। इनमें भी जरूरत के लिहाज से वाहन उपलब्ध करवाए गए हैं, ताकि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिले। इन चौकियों में 25 हल्के वाहन दिए गए हैं तो 62 दोपहिया वाहन हैं। ऐसे में कुल 77 वाहन यहां उपलब्ध हैं।
फिलहाल 270 अनियमित चौकियों में 420 वाहन
प्रदेश में जरूरत के हिसाब से 270 अनियमित चौकियां भी स्थापित की गई हैं। सबसे ज्यादा अनियमित चौकी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत और अंबाला जिलों में हैं। प्रदेशभर की अनियमित चौकियों में 135 हल्के वाहनों से काम लिया जा रहा है तो कुल 285 हल्के वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस लिहाज से कुल वाहनों की संख्या 420 है।
एनसीआर में पड़ने वाले जिलों में बड़े पैमाने पर वाहनों की जरूरत
हरियाणा के जो जिले एनसीआर मे पड़ते हैं, उनमें क्राइम अन्य की तुलना में कहीं ज्यादा है। प्रदेश के गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक और सोनीपत जिलों में क्राइम अधिक है और इन जिलों में चौकी भी अन्य जिलों की तुलना में इसीलिए ज्यादा हैं। ऐसे में यहां लॉ एंड आॅर्डर मेंटेन करने के लिए भी अधिक वाहनों की जरूरत होती है।
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