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PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana: सौर ऊर्जा क्षेत्र में 1.2 ट्रिलियन रुपए का अवसर पैदा होने की उम्मीद

  • योजना का लक्ष्य 30 गीगावाट क्षमता हासिल करना

PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना (पीएम-एसजीएमबीवाई) से भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में 1.2 ट्रिलियन रुपए का बड़े अवसर पैदा होने की उम्मीद है। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि आवासीय छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा देने पर केंद्रित इस योजना का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 30 गीगावाट क्षमता हासिल करना है।

पर्याप्त पूंजी लागत सब्सिडी प्रदान करती है योजना

पीएम-एसजीएमबीवाई (PM-SGMBY), पर्याप्त पूंजी लागत सब्सिडी प्रदान करती है, जिससे भुगतान अवधि में 4-5 साल की कमी आती है और सौर ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा अपनाने को प्रोत्साहन मिलता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना में 1.2 ट्रिलियन रुपए के पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करने की क्षमता है, जिसमें मॉड्यूल, इनवर्टर, माउंटिंग उपकरण और विद्युत घटकों सहित आवश्यक घटकों के निर्माता, परियोजना डेवेलपर्स और ईपीसी खिलाड़ियों के साथ प्राथमिक लाभार्थी होने का अनुमान है।

सौर मॉड्यूल का हिस्सा सबसे बड़ा 480 बिलियन रुपए

एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की रिपोर्ट मेेंं यह भी कहा गया है कि पीएम-एसजीएमबीवाई द्वारा संचालित पारिस्थितिकी तंत्र प्रमुख खिलाड़ियों को लाभान्वित करने के लिए तैयार है, जिसमें सौर मॉड्यूल, इनवर्टर, माउंटिंग स्ट्रक्चर और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट जैसे आवश्यक घटकों के निर्माता शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार 1.2 ट्रिलियन रुपए के अवसर में, सौर मॉड्यूल का हिस्सा सबसे बड़ा 480 बिलियन रुपए है। इसके बाद इनवर्टर 275 बिलियन रुपए, इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट 200 बिलियन रुपए और माउंटिंग स्ट्रक्चर 90 बिलियन रुपए हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खासकर उच्च आवासीय बिजली शुल्क और अनुकूल नेट मीटरिंग नीतियों वाले राज्यों में मजबूत नीति समर्थन के कारण आवासीय रूफटॉप इंस्टॉलेशन के अन्य सेगमेंट से आगे निकलने की उम्मीद है। मॉड्यूल और ईपीसी सेवाओं की घटती लागतों के कारण आवासीय और वाणिज्यिक व औद्योगिक (सीएंडआई) सहित गैर-उपयोगिता सौर सेगमेंट भी गति प्राप्त कर रहे हैं।

सौर छत क्षमता का 70% हिस्सा पांच राज्यों का, गुजरात आगे

सस्ते सौर सेल के कारण आॅफ-ग्रिड अवसरों का विस्तार होने के साथ, गैर-उपयोगिता सौर प्रतिष्ठानों की वार्षिक वृद्धि वित्त वर्ष 27 तक लगभग 20 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। वर्तमान में, भारत की सौर छत क्षमता का 70 प्रतिशत हिस्सा पांच राज्यों का है। गुजरात 4,822 मेगावाट के साथ सबसे आगे है। उसके बाद महाराष्ट्र (2,847 मेगावाट), राजस्थान (1,415 मेगावाट), केरल (966 मेगावाट) और तमिलनाडु (876 मेगावाट) का स्थान है।

सौर ऊर्जा अपनाने की वृद्धि औद्योगिकीकरण, टैरिफ अंतर, राज्य-स्तरीय प्रोत्साहन और मीटरिंग नीतियों जैसे कारकों से जुड़ी हुई है। आवासीय प्रतिष्ठानों में वृद्धि के साथ, रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पीएम-एसजीएमबीवाई हरित ऊर्जा को लोकतांत्रिक बनाने और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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Vir Singh

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