नई दिल्ली। पीएम मोदी ने भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया। पीएम ने भारत की प्रमुख चिंताओं को लेकर संतुष्ट नहीं होने के कारण समझौता नहीं करने का फैसला किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि मौजूदा हालात में भारत का मानना है कि उसका आरसीईपी में शामिल होना उचित नहीं होगा। मंत्रालय के अनुसार अनसुलझे मुद्दों के कारण भारत का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है। सूत्रों ने कहा कि आरसीईपी में भारत का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दशार्ता है। भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी। आरसीईपी में दस आसियान देश और उनके छह मुक्त व्यापार भागीदार चीन, भारत, जापान, दक्षिण, कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। आरसीईपी करार का मकसद दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना है। 16 देशों के इस समूह की आबादी 3.6 अरब है। यह दुनिया की करीब आधी आबादी है।