PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री ने किया कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन

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PM Narendra Modi प्रधानमंत्री ने किया कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन
PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री ने किया कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन

32nd International Conference of Economists, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भोजन और कृषि के बारे में हमारी परंपराएं और अनुभव हमारे देश की तरह ही प्राचीन हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि परंपरा में विज्ञान को प्राथमिकता दी जाती है। पीएम ने पिछले कल दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे।

65 वर्ष बाद देश में हो रहा ऐसा सम्मेलन

मोदी ने बताया कि 65 वर्ष बाद भारत में इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसे देखकर वह खुश हैं। कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों का प्रधानमंत्री ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों से आप लोग यहां आए हैं और मैं 12 करोड़ भारतीय किसानों, तीन करोड़ भारतीय महिला किसानों व तीन करोड़ मछुआरों की तरफ से आपका स्वागत करता हूं।

भारत अब एक खाद्य अधिशेष देश

मोदी ने कहा, आज आप उस देश में हैं, जहां 55 करोड़ पशु रहते हैं। आप सभी का कृषि प्रधान और पशु प्रेमी देश में स्वागत है। उन्होंने कहा, कहा कि पिछली बार जब भारत ने इस सम्मेलन की मेजबानी की थी, तब उसे आजादी मिले ज्यादा समय नहीं हुआ था। वह दौर देश में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण दौर था। भारत अब एक खाद्य अधिशेष देश है। यह दुनिया में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है।

पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण पर यह बोले पीएम

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत खाद्यान्न, फल, सब्जी, कपास, चीनी और चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी बन गया है। एक दौर था, जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का सबब थी। अब, भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहा है।

भारत में 100 से ज्यादा रिसर्च संस्थान

पीएम ने कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रति कम संवेदनशील फसलों की 1,900 नई प्रजातियां प्रदान की हैं। उन्होंने कहा, भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ा एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है। इंडियन काउंसिल आॅफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही 100 से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। भारत में कृषि और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं। भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं।