कहा, क्या हरियाणा सरकार मेरे पीने के पानी में जहर मिला सकती है?

Delhi Breaking News (आज समाज), नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व सीएम और आप सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल द्वारा यमुना के जल में हरियाणा सरकार द्वारा जहर मिलाने का बयान अब उनके गले की फांस बन गया है। एक तरफ जहां हरियाणा सीएम केजरीवाल पर कोर्ट केस करने की बात कह चुके हैं तो वहीं देश के गृह मंत्री अमित शाह केजरीवाल को जहर संबंधी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की चुनौती दे चुके हैं। इसके साथ ही दिल्ली जल बोर्ड भी अपना स्पष्टीकरण दे चुका है। अब इस विवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री हो चुकी है। उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करतार नगर में जनसभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी पर जमकर हमला बोला।

ये बोले पीएम मोदी

जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अब दिल्ली में एक ही आवाज गूंज रही है- आप-दा नहीं सहेंगे… बदल के रहेंगे। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी को जहरीला बनाने के आरोप पर पीएम मोदी ने दिल्ली के मतदाताओं कहा कि हरियाणा का भेजा हुआ यही पानी दिल्ली में रहने वाला हर कोई पीता है, पिछले 11 साल से ये प्रधानमंत्री भी पीते हैं, सभी न्यायमूर्ति और बाकी सभी सम्मानित लोग भी पीते हैं। पीएम मोदी ने कहा, आप-दा वाले कह रहे हैं कि हरियाणा वाले दिल्ली के पानी में जहर मिलाते हैं।

ये सिर्फ हरियाणा का नहीं बल्कि भारतीयों का अपमान है, हमारे संस्कारों का अपमान, हमारे चरित्र का अपमान है। ये वो देश है, जहां पानी पिलाना धर्म माना जाता है। ऐसी ओछी बातें करने वालों को दिल्ली इस बार सबक सिखाएगी। इन आप-दा वालों की लुटिया यमुना में ही डूबेगी। दिल्ली का यह क्षेत्र यमुना किनारे बसा है। बाबा श्याम गिरि भी यहां विराजते हैं। जनसभा का ये दृश्य दिल्ली का मूड बता रहा है। ये दिल्ली के जनादेश के दर्शन करा रहा है।

पिछले पांच सालों में दिल्ली विधामसभा 70-75 दिन ही चली

इन्होंने यमुना की सफाई के नाम पर वोट मांगे, इनकी बेशर्मी देखिए, अब कह रहे हैं कि यमुना साफ करने से वोट थोड़ी मिलेंगे। अपने राजनीतिक स्वार्थ में आपदा वालों ने एक घोर पाप किया है। कोई माफ नहीं करेगा। दिल्ली नहीं भूल सकती कि एक पूर्व मुख्यमंत्री ने हरियाणा के लोगों पर गंभीर आरोप लगा दिए। क्या हरियाणा के लोग पानी में जहर मिला सकते हैं? आपदा वालों की नीयत ही काम करने की नहीं है। पिछले पांच सालों में दिल्ली विधामसभा 70-75 दिन ही चली है। कानून सिर्फ 14 कानून पास हुए, पांच कानून विधायकों की सैलरी तय करने के लिए रहे।