Meditation, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले विश्व ध्यान दिवस पर हर किसी व्यक्ति से ध्यान (Meditation) को अपने जीवन का हिस्सा बनाने की अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट में कहा, मैं आज विश्व ध्यान दिवस पर सभी लोगों से आग्रह करता हूं कि वे ध्यान को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और इसकी परिवर्तनकारी क्षमता का अनुभव करें। ध्यान किसी के जीवन के साथ-साथ हमारे समाज और ग्रह में शांति व का एक शक्तिशाली तरीका है। पीएम मोदी ने कहा, आज के प्रौद्योगिकी युग में ऐप्स और निर्देशित वीडियो हमारी दिनचर्या में ध्यान को शामिल करने में मदद करने के लिए मूल्यवान उपकरण हो सकते हैं।
बता दें कि न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पहला विश्व ध्यान दिवस मनाया गया जिसके उद्घाटन सत्र को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने संबोधित किया। कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग, अवर महासचिव अतुल खरे और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। गुरुदेव ने अपने सम्बोधन में ध्यान की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री श्री रविशंकर ने कार्यक्रम के दौरान 600 से अधिक उत्साही प्रतिभागियों को एक विशेष ध्यान सत्र भी दिया।
गौरतलब है कि ध्यान और इसके लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 दिसंबर को सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया था। उक्त प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका थी। महासभा ने स्वास्थ्य और कल्याण के पूरक दृष्टिकोण के रूप में योग और ध्यान के बीच संबंध को भी स्वीकार किया है।
श्री श्री रविशंकर ने ध्यान को मानसिक स्वच्छता कहा। उन्होंने कहा कि ध्यान एक विलासिता नहीं है जैसा कि इसे माना जाता था, बल्कि यह एक आवश्यकता है। मैं इसे मानसिक स्वच्छता कहूंगा। उन्होंने कहा, आज मानसिक स्वास्थ्य संकट ने हमारी आबादी पर बहुत बुरा असर डाला है। एक तरफ, हमारी युवा आबादी इस तरह के आक्रामक व्यवहार से गुजर रही है और दूसरी तरफ, अवसाद है।
आध्यात्मिक गुरु ने कहा, जैसे आपके पास दंत स्वच्छता है, वैसे ही हमारे पास मानसिक स्वच्छता है जिसमें ध्यान हमें अधिक केंद्रित होने व आक्रामकता और अवसाद से दूर रहने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि ध्यान लोगों में संवेदनशीलता और संवेदनशीलता लाता है।
गुरुदेव ने लोगों को खुद के अलावा अपने साथियों और पर्यावरण के प्रति भी अधिक संवेदनशील होने की सलाह दी। उन्होंने कहा, हमें खुद के प्रति, साथियों के प्रति और पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील होने की जरूरत है। ध्यान हमें अपने पर्यावरण के प्रति और अपने आस-पास के लोगों की भावनाओं के प्रति अधिक जागरूक बनाता है। यह हमें उन असामाजिक गतिविधियों से दूर रहने में मदद करता है जो खुद व दूसरों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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