Aaj Samaj (आज समाज), PM Modi On Katchatheevu Island, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को हस्तांतरित करने के मामले में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1974 में एक समझौता किया गया था, जिसके तहत भारत ने इस द्वीप पर पड़ोसी देश के दावे को स्वीकार किया था। सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में यह तथ्य सामने आए हैं और इससे हर भारतीय में गुस्से में है।
Eye opening and startling!
New facts reveal how Congress callously gave away #Katchatheevu.
This has angered every Indian and reaffirmed in people’s minds- we can’t ever trust Congress!
Weakening India’s unity, integrity and interests has been Congress’ way of working for…
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2024
तमिलनाडु बीजेपी ने आरटीआई के तहत किया था आवेदन
तमिलनाडु के बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई ने आरटीआई के तहत आवेदन किया था। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि कांग्रेस पर कतई भरोसा नहीं कर सकते। नए खुलासे के बाद देश के लोग भी समझ जाएंगे कि कांग्रेस भरोसे लायक नहीं है। उन्होंने कहा, यह आंख खोलने व चौंकाने वाला है कि विपक्षी पार्टी ने कैसे कच्चातिवु को श्रीलंका को दे दिया।
75 साल से कांग्रेस का काम करने का एक ही तरीका
पीएम ने कहा, कांग्रेस का पिछले 75 साल से काम करने का एक ही तरीका रहा है- देश की एकता, अखंडता और भारत के हितों को कमजोर करना। के. अन्नामलाई के आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में कच्चातिवु आइलैंड को लेकर कई नए तथ्य सामने आए हैं। यह आइलैंड पाक स्ट्रेट (पाक जलडमरूमध्य) में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 1.9 वर्ग किमी है। कच्चातिवु द्वीप पर यह रिपोर्ट ऐसे समय सामन आई है, जब कुछ सप्ताह के बाद ही लोकसभा चुनाव-2024 के लिए पहले चरण का मतदान होना है।
एकता के मसले पर बीजेपी को बोलने का कोई हक नहीं : कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता ए. नारायणन ने कहा कि देश की एकता के मसले पर बीजेपी को बोलने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा, इंदिरा गांधी को छोड़ दिया जाए तो कोई दूसरा नेता इतना बहादुर और साहसी नहीं था। कांग्रेस ने तमिलनाडु के किसानों के लिए काफी कुछ किया है। कच्चातिवु द्वीप पर करार के बाद आपातकाल के दौरान भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। 23 मार्च 1976 में हुए समझौते में मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी का उल्लेख था।
तमिलनाडु में हुआ था समझौते का सबसे ज्यादा विरोध
इंदिरा गांधी ने जब कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपा था, तब इसका सबसे ज्यादा विरोध तमिलनाडु में हुआ था। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि ने इसका पुरजोर विरोध किया था। 1991 में प्रदेश विधानसभा में पास प्रस्ताव में उस द्वीप को वापस लेने की मांग की गई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। 2008 में तत्कालीन सीएम जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समझौते को अमान्य घोषित करने की मांग कीथी। कहा गया था कि तोहफे में इस द्वीप को श्रीलंका को देना असंवैधानिक है।
हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है कच्चातिवु
कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है। 285 एकड़ में फैला यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना हुआ है। 17वीं शताब्दी में यह द्वीप मदुरै के राजा रामानंद के अधीन था। अंग्रेजों के शासनकाल में कच्चातिवु द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया। उस दौर में यह द्वीप मछलीपालन के लिए अहम स्थान रखता था। यही वजह थी कि भारत और श्रीलंका दोनों मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना-अपना दावा करते थे। आजादी के बाद समुंद्र की सीमा को लेकर 1974-76 के बीच 4 समझौते किए गए थे। समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को द्वीप पर आराम करने और जाल सुखाने में इजाजत की गई और यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया।
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