Aaj Samaj (आज समाज), PM Modi In Bhutan, थिम्पू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को ‘पड़ोस प्रथम’ की नीति के तहत दो दिवसीय दौरे पर भूटान पहुंचे, जहां उन्हें भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया। भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले मोदी पहले विदेशी शासनाध्यक्ष बन गए हैं।
सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले मोदी पहले विदेशी शासनाध्यक्ष
भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने मोदी को ‘आर्डर आफ द ड्रूक ग्यालपो’ से सम्मानित किया। अपनी स्थापना के बाद से यह पुरस्कार केवल चार प्रतिष्ठित हस्तियों को प्रदान किया गया है। ऐसे में पीएम मोदी भूटान के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान को पाने वाले पहले विदेशी शासनाध्यक्ष हैं। इससे पहले 2008 में महामहिम रॉयल क्वीन दादी आशी केसांग चोडेन वांगचुक, परम पावन जे थ्रिजुर तेनजिन डेंडुप (भूटान के 68वें जे खेंपो) और 2018 में परम पावन जे खेंपो त्रुलकु न्गावांग जिग्मे चोएद्रा को यह सम्मान दिया जा चुका है।
युवाओं ने मोदी के लिखे गाने पर गरबा किया
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो शेयर कर लिखा, भूटान द्वारा ‘आर्डर आफ द ड्रूकग्यालपो’ पुरस्कार से सम्मानित होने पर गर्व महसूस कर रहा हूं। उन्होंने लिखा, मैं इसे 140 करोड़ भारतीयों को समर्पित करता हूं। इसके साथ ही भारत और भूटान के बीच कुल 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। ये सभी समझौते पेट्रोलियम, ऊर्जा, खेल, मेडिकल प्रोडक्ट की टेस्टिंग से जुड़े हुए हैं।
मोदी के स्वागत के लिए तिरंगे से सजाया 45 किमी मार्ग
सुबह भूटान पहुंचने पर पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया गया। पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजधानी थिम्पू तक के 45 किमी लंबे मार्ग को भारत और भूटान के झंडों से सजाया गया था और मार्ग के दोनों ओर खड़े भूटानी लोगों ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
एयरपोर्ट पर भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने मोदी का गले मिलकर स्वागत किया। टोबगे ने मोदी से कहा, स्वागत है मेरे बड़े भाई। मोदी को गार्ड आफ आनर भी दिया गया। भूटानी युवाओं ने भी पीएम का स्वागत किया। उन्होंने मोदी के लिखे गाने पर गरबा किया। इसके बाद पीएम मोदी राजधानी थिम्पू के ताशिचो द्जोंग पैलेस पहुंचे, जहां उन्होंने भूटान नरेश जिग्मे वांगचुक से मुलाकात की।
मोदी के भूटान दौरे की वजह चीन भी
रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी के इस समय भूटान दौरे की एक अहम वजह चीन भी है। भूटान की सीमा चीन व भारत दोनों देशों से सटी हुई है, जो कि एक बफर स्टेट का काम करता है। ऐसे में चीन की हमेशा कोशिश रहती है कि भूटान उसके पाले में आ जाए। हाल ही के दिनों में चीन ने भूटान में अपना हस्तक्षेप बढ़ाया है, इसलिए प्रधानमंत्री की यह यात्रा अहम मानी जा रही है। भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं भूटान के ईस्टर्न बॉर्डर से मिलती हैं। चीन का प्लान है कि वो अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा कर ले, जिससे वो भूटान का पड़ोसी बन जाए। भूटान के वेस्टर्न हिस्से में स्ट्रैटेजिक पाइंट को जोड़ने के लिए चीन पहले से ही बड़े स्तर पर सड़कें बना रहा है।
भूटान में निवेश के लिए भारत अहम
भूटान ने 1960 के दशक में आर्थिक विकास के लिए अपनी पहली पंच वर्षीय योजना शुरू की थी, जिसकी सारी फंडिंग ही भारत ने की थी। 2021 में भारत सरकार ने भूटान के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए 7 नए ट्रेड रूट खोले थे। वहीं 12वीं पंच वर्षीय योजना के लिए भी भारत ने भूटान को 4500 करोड़ रुपए दिए थे। भारत की आजादी के बाद दोनों देशों के बीच एक संधि हुई थी। इसमें कई प्रावधान थे, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रक्षा और विदेश मामलों में भूटान की निर्भरता को लेकर था।
यह भी पढ़ें: