PM Modi Gaganyaan Mission: चांद पर इंसान भेजने के लक्ष्य पर काम करें वैज्ञानिक

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PM Modi Gaganyaan Mission
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों के साथ बैठक के दौरान पीएम मोदी।

Aaj Samaj (आज समाज), PM Modi Gaganyaan Mission, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के साथ बैठक करके इसी सप्ताह होने वाले गगनयान मिशन के टेस्ट की तैयारियों की समीक्षा की। इसरो मिशन ‘गगनयान’ के क्रू एस्केप सिस्टम की 21 अक्टूबर को सुबह करीब 8 बजे टेस्टिंग करने वाला है। आसान भाषा में कहें तो मिशन के दौरान रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग होगी।

  • प्रधानमंत्री मोदी ने की ‘गगनयान मिशन’ की समीक्षा
  • 2025 में हो सकती है पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान

बैठक में मिशन का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया

प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक पीएम की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक के दौरान वैज्ञानिकों से कहा कि उन्हें 2040 तक चंद्रमा पर एक आदमी भेजने व 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखना चाहिए। पीएमओ ने बताया कि मोदी ने वैज्ञानिकों से अंतरग्रहीय मिशनों की दिशा में काम करने का भी आह्वान किया, जिसमें एक वीनस आॅर्बिटर मिशन और एक मंगल लैंडर शामिल होगा। बैठक में अंतरिक्ष विभाग ने मिशन का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें अब तक विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियां जैसे मानव-रेटेड लॉन्च वाहन और सिस्टम योग्यता शामिल हैं।

2018 में की थी घोषणा

पीएमओ के अनुसार, ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल (एचएलवीएम3) के तीन अनक्रूड मिशनों सहित लगभग 20 प्रमुख परीक्षणों की योजना बनाई गई है। बैठक में मिशन की तैयारियों का मूल्यांकन किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान 2025 में होने की संभावना है। पीएम मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक मिशन पूरा करने का लक्ष्य था, मगर कोविड के कारण यह नहीं हो सका।

फ्लाइट में होंगे तीन हिस्से

गगनयान मिशन के टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। इस फ्लाइट में तीन हिस्से होंगे- अबॉर्ट मिशन के लिए बनाया सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम। क्रू मॉड्यूल के अंदर का वातावरण अभी वैसा नहीं होगा जैसा मैन्ड मिशन में होगा।

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