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Aaj Samaj (आज समाज), PM In COP28 Conference, दुबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी दुबई में आयोजित 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) में शिरकत की। इस दौरान कार्बन उत्सर्जन के मामले में उन्होंने अमीर देशों पर निशाना साधा और भारत की उपलब्धियों का जिक्र किया।
- भारत में दुनिया की 17 फीसदी आबादी
- कार्बन उत्सर्जन में केवल 4% योगदान
पीएम ने कहा, भारत ने आज दुनिया के सामने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही भारत ने इकोलॉजी व इकोनॉमी के संतुलन की मिसाल विश्व के सामने पेश की है। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में दुनिया की 17 फीसदी आबादी रहती है और इसके बावजूद वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान 4 प्रतिाश्त से भी कम है।
चंद देशों के किए का खामियाजा भगुत रही दुनिया
मोदी ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि सदियों पहले कुछ चंद देशों के किए की कीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ रही है। मोदी ने कहा, जो भी देश ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें क्लाइमेट चेंज का सामना करने के लिए विकासशील और गरीब देशों को निस्स्वार्थ होकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करनी चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में 2028 का क्लाइमेट समिट यानी सीओपी33 भारत में होस्ट करने की बात कही। पीएम ने कहा, हमारा लक्ष्य 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45 फीसदी तक घटाना है।
भारत ने ग्लोबल बायो फ्यूल एलायंस बनाया
उन्होंने बताया कि भारत ने ग्लोबल बायो फ्यूल एलायंस बनाया है। पीएम ने क्लाइमेट फाइनेंस फंड को मिलियन से बढ़ाकर ट्रिलियन डॉलर तक करने की वैश्विक नेताओं को सलाह दी। बता दें कि सम्मेलन में शामिल होने के लिए 30 नवंबर की रात दुबई पहुंचे थे। होटल के बाहर भारतीय मूल के लोगों ने उनका स्वागत किया। प्रधामनंत्री ने उनका हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया। इस दौरान एक डांस ग्रुप ने परफॉर्मेंस भी दी। पीएम ने कुछ देर खड़े होकर डांस देखा और कलाकारों की तारीफ की। इसके अलावा मोदी ने युवाओं और महिलाओं से भी मुलाकात की।
दुबई के दौरे के दौरान पीएम ने कई वर्ल्ड लीडर्स से की मुलाकात
पीएम मोदी ने अपने दुबई के दौरे के दौरान कई वर्ल्ड लीडर्स से भी मुलाकात की। वह इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जियो मेलोनी और नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट से मिले। पीएम मोदी ने कुछ नेताओें के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) 1992 में पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के बाद से हर साल आयोजित किया जाता है। इस बार यह कार्यक्रम एक्सपो सिटी, दुबई में आयोजित किया जा रहा है।
कार्बन उत्सर्जन घटाना बैठक का मुख्य एजेंडा
पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया के लिए क्लाइमेट चेंज सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। सीओपी28 क्लाइमेट समिट का फोकस फॉसिल फ्यूल और कार्बन एमिशन (उत्सर्जन) पर लगाम लगाना है। बैठक 12 दिसंबर तक चलेगी। इसमें किंग चार्ल्स, ऋषि सुनक, कमल हैरिस समेत दुनियाभर के 167 नेता क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) व इसके समाधान के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। यह भी तय किया जाएगा कि किस देश को कितना और किस आधार पर मुआवजा मिलेगा। कौन-कौन से देश मुआवजा देंगे, इसका फैसला भी इस समिट में होगा।
तीसरी बार समिट का हिस्सा बने प्रधानमंत्री
पीएम मोदी तीसरी बार जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 2021 में ग्लासगो में हुए सीओपी26 सम्मेलन में हिस्सा लिया था। तब उन्होंने क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए पंचामृत नीति व मिशन लाइफस्टाइल फॉर एन्वायर्नमेंट की घोषणा की थी। 2015 में मोदी पेरिस में हए सीओपी21 सम्मेलन में भी शामिल हुए थे। इस दौरान 190 से ज्यादा देशों ने पेरिस समझौते पर सहमति जताई थी। इस समझौते के तहत बढ़ते ग्लोबल टेम्प्रेचर को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की बात हुई थी। इसका मकसद ग्लोबल वॉर्मिंग कम करना था।
यूएई ने 370 को बताया था भारत का आतंरिक मामला
यूएई उन अरब देशों में से एक है जो पाकिस्तान के नजदीकी हैं। लेकिन 2019 में जब भारत ने कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म किया तो यूएई ने इसे भारत का आंतरिक मसला बताया था, जबकि पाकिस्तान भारत के इस एक्शन पर अरब देशों से कड़ी प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा था।
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