संजीव कौशिक, रोहतक:
Plastic Enemy For Environment : धज्जा राम शिक्षण संस्थान रुड़की में बुधवार को पर्यावरण संरक्षण और जल स्वच्छता पर व्याख्यान रखा। इसमें मुख्य वक्ता जाट कॉलेज के सहायक प्रोफेसर एवं सुनो नहरों की पुकार मिशन के संयोजक डॉ. जसमेर सिंह, पर्यावरणविद एवं शिक्षक दीपक छारा व साइकिलिस्ट मुकेश नानकवाल रहे। धज्जा राम शिक्षण संस्थान के निदेशक सुरेंद्र हुड्डा और स्कूल प्राचार्य नरेश ने स्कूल प्रांगण में वक्ताओं का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया।
कचरा इतना बड़ा की पहाड़ बन गया (Plastic Pollution In Hindi)
डॉ. जसमेर सिंह और दीपक छारा ने संयुक्त रूप से बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। आज प्लास्टिक कचरा इतना बढ़ गया है कि दिल्ली में तो कचरे के पहाड़ खड़े होने लगे हैं। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक डिस्पोजल में गर्म खाना खाने से यह घुलकर शरीर मे कैंसर की घातक बीमारी का कारण बनता है। बहुत से जीव जंतु कचरे के साथ पॉलीथिन खा जाते हैं जो उनकी मृत्यु का कारण बनता है।
पांच महीने में नहर किनारे बनाई रिपोर्ट (Plastic Pollution)
सुनो नहरों की पुकार मिशन ने पिछले पांच महीने में रोज दो घंटे नहरों पर खड़े होकर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें सामने आया है कि अंधविश्वास के नाम पर नहरों के जल में सत्तर तरह की चीजें डाली जाती हैं जो उसको प्रदूषित करके विभिन्न बीमारियों का कारण बन रही है अगर समय रहते नही चेते तो आने वाले समय मे पेयजल का गम्भीर संकट पैदा होगा और आने वाली पीढि?ों को पीने के लिए पानी नही मिलेगा ।
ईको ब्रिक्स एक अच्छा समाधान (Plastic Enemy For Environment)
उन्होंने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट के निष्पादन के लिए ईको ब्रिक्स एक अच्छा समाधान हो सकता है। एक प्लास्टिक की खाली बोतल में दो सौ के लगभग पॉलीथिन आ जाती हैं। इन इको ब्रिक्स का उपयोग पेड़ो के चबूतरे बनाने, पार्क में इको फ्रेंडली बेंच कुर्सी बनाने में किया जा सकता है। धज्जा राम शिक्षण संस्थान के निदेशक सुरेंदर हुड्डा ने मुख्य वक्ताओं का धन्यवाद देते विद्यार्थियों की तरफ से आश्वस्त किया कि ईको ब्रिक्स बनाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जाएगा।
ये उपाय भी बताए गए (Plastic Enemy For Environment)
इस मौके पर ईको ब्रिक्स सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण का अच्छा उपाय बताया। प्लास्टिक की जगह कपड़े व जुट के थैले का प्रयोग करने की शपथ दिलवाई गयी। नहरों को अंधविश्वास के नाम पर दूषित न करने के लिए जागरूक किया गया ।