- सफेद मक्खी व हरा तेला के बचाव के लिए नीम ऑयल या इमिडाक्लोरोपिड का छिड़काव करें किसान
Aaj Samaj (आज समाज), Plant Protection, नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
पिछले कुछ दिनों से जिले में हो रही वर्षा के कारण कपास फसल में सफेद मक्खी (रस चूसक) व हरा तेला कीट व जड़गलन (फंगस) रोग लगने की सम्भावना है। इसके लग जाने से पौधे की जड़ गलने लगती है और पत्ते मुरझाने लगते हैं।
सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी हरपाल सिंह ने बताया कि खरीफ सीजन 2023 में जिला में लगभग 21260 हैक्टेयर भूमि पर कपास फसल की खेती की गई है। बरसात के कारण कपास फसल में सफेद मक्खी (रस चूसक) व हरा तेला कीट व जड़गलन (फंगस) रोग लगने की सम्भावना है। उन्होंने बताया कि चुरड़ा कीट कपास के पौधे के निचली सतह पर बैठते हैं जो धीरे-धीरे पौधे का रस चूस लेते हैं जिससे पत्ते सिकुड़ने लगते हैं जिसके कारण पौधा धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है।
नीम ऑयल या इमिडाक्लोरोपिड का छिड़काव करें किसान
इसके अलावा सफेद मक्खी कीट के आक्रमण से पत्तों के नीचे सफेद चिपचिपा पदार्थ लग जाता है वही कपास के खेत में पानी भरने से पौधों की जड़े गलने लगती है और पौधा नष्ट होने की सम्भावना बढ़ जाती है। हरा तेला पत्तों के नीचे से रस चुसकर उनको पीला कर देता है जिससे कपास की बढ़वार रूक जाती है। उन्होंने बताया की जिले में कहीं-कहीं गुलाबी सुंडी का प्रभाव देखा गया है। किसान इन गुलाबी सुंडी के लिए 2-3 फॅरोमेनट्रैप एक एकड़ में लगाए यदि फॅरोमेनट्रेप में 5 प्रोढ़ प्रति ट्रैप पाई जाए तो किसानों को सलाह दी जाती है कि वह अपने खेत में दवाईयों का स्प्रे करें।
उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी व हरा तेला के बचाव के लिए नीम ऑयल या इमिडाक्लोरोपिड का छिड़काव कर सकते हैं। किसान प्रति एकड़ भूमि में नीम ऑयल 1 लीटर या 40-50 एमएल ईमिडाक्लोरोपिड को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें गुलाबी सुंडी के रोकथाम के लिए प्रोफेनोफोस 50 ईसी 500-600 मिली लीटर या एमोमेक्टिन बेंजाएट 5 एसजी 100 ग्राम को 1150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इसके अलावा जड़ गलन (फगस) से बचाव के लिए किसान 400 ग्राम मैनकोजेब दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेतों में स्प्रे करें।
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