Kurukshetra News: पितृ पक्ष आरंभ, पहला श्राद्ध आज

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पितृ पक्ष आरंभ, पहला श्राद्ध आज
Kurukshetra News: पितृ पक्ष आरंभ, पहला श्राद्ध आज

पितृपक्ष में पितरों की पूजा-आराधना करने से पूर्वजों को होती है मोक्ष की प्राप्ति: पंडित भारत भूषण
Kurukshetra News (आज समाज) कुरुक्षेत्र : इस साल पितृ पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर से हो चुका है परंतु श्राद्ध की प्रतिपदा तिथि को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जिस चलते पहला श्राद्ध 18 सितंबर को माना जा रहा है। इन दिनों पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की पूजा-आराधना करने पर पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बारे में भागवताचार्य पंडित भारत भूषण ने बताते हुए कहा कि संसार में जो व्यक्ति जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी होती है और मृत्यु है तो पुनर्जन्म भी होता है। मृत्यु उपरांत जीव अपने कर्मों अनुसार भिन्न भिन्न योनियो को प्राप्त होता है।

पुराणों के अनुसार जीवात्मा स्वर्ग नरक भोगने के बाद पुन: 84 लाख योनियों मे भटकने लगता है। पुण्य आत्मा मनुष्य अथवा देव योनि प्राप्त करती है और पाप आत्मा पशु,पक्षी, कीट पतंग आदि योनि प्राप्त करते है। इन योनियों के अतिरिक्त एक और योनि है भूत प्रेत पिशाच योनि, जो असदगति प्राप्त प्राणियों को मिलती है। जैसे आत्महत्या, जल में डूबने, आग में जलकर मरना सहित अन्य कारणों मृत्यु होने पर शास्त्रीय विधि से उनका कर्म ना करने पर प्राप्त होती है। ऐसे जीव भूख प्यास आदि पीड़ा से स्वय तो ग्रस्त होते ही है साथ ही दूसरों को भी अनेकों प्रकार से पीड़ा व मानसिक कष्ट प्रदान करते है। ऐसे जीव आत्मा की सद्गति के लिए श्रीमद्भागवत का अनुष्ठान किया जाना चाहिए।

श्रीमद्भागवत के महात्म्य में वर्णन है कि किस प्रकार धुंधुकारी अपने पाप कर्मों की वजह से भयंकर प्रेत योनी को प्राप्त हुआ। गया इत्यादि तीर्थों पर भी श्राद्ध करने से उसकी मुक्ति नहीं हुई। तदोपरांत उसके भाई गोकर्ण ने विधि पूर्वक इस प्रेत पीड़ा नाशिनी श्रीमद्भागवत की कथा का आयोजन किया। सातवे दिन कथा के संपन्न होने पर धुंधुकारी को प्रेत पीड़ा से मुक्ति मिली और भगवद् पार्षद उसे विमान पर बैठा गोलोक धाम को ले गए। पितृ मोक्ष दायिनी श्रीमद्भागवत की कथा का अनुष्ठान करने पर जीव प्रेत योनियों से निकलकर उत्तम गति को प्राप्त होते है और आयोजन करने वाले परिवार के सदस्यो को अपना आशीर्वाद प्रदान करते है। इसलिए पितृ पक्ष मे सभी सक्षम परिवारों को इस कथा का आयोजन कर अपने पूर्वजो की उत्तम गति की कामना करनी चाहिए।

पितृ पक्ष में क्या करें

श्राद्ध के दिनों में पितरों की तस्वीर के समक्ष रोजाना नियमित रूप से जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। तर्पण करने के लिए सूर्योदय से पहले जूड़ी लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित की जाती है। इसके बाद लोटे में थोड़ा गंगाजल, सादा जल और दूध लेकर उसमें बूरा, जौ और काले तिल डाले जाते हैं और कुशी की जूड़ी पर 108 बार जल चढ़ाया जाता है। जब भी चम्मच से जल चढ़ाया जा रहा हो तब-तब मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान

घर के सबसे वरिष्ठ पुरुष के द्वारा ही नित्य तर्पण यानी पितरों को जल चढ़ाने की विधि पूरी की जाती है। घर पर वरिष्ठ पुरुष सदस्य ना हो तो पौत्र या नाती से तर्पण करवाया जा सकता है। पितृपक्ष में सुबह और शाम स्नान करके पितरों को याद किया जाता है। पितरों का तर्पण करते हुए तीखी सुगंध वाले फूलों का इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाती है और मद्धम सुगंध वाले फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा पितृपक्ष में गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है। पितृपक्ष में श्राद्ध कार्य किसी से कर्ज लेकर करना सही नहीं माना जाता है। किसी के दबाव में भी पितरों का तर्पण या श्राद्ध आदि नहीं करना चाहिए बल्कि यह कार्य स्वेच्छा से होना चाहिए।

पहले श्राद्ध की पूजा विधि

पहले श्राद्ध पर 18 सितंबर के दिन कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इसके पश्चात रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक रहने वाला है। अगला अपराह्न का मूहूर्त दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

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