***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-26/05/2022, गुरुवार
एकादशी, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मीन
आज का दिन आपके लिए आनंदमय रहेगा। कार्यक्षेत्र व नौकरी में आपको अच्छे कामों की बदौलत तरक्की मिलेगी, जिससे आपका मनोबल और ऊंचा होगा। आपको सभी से बातचीत करते समय विनम्रता से बात करनी होगी, नहीं तो कोई आपका कोई परिचय आपको बातों से परेशान हो सकता है। बेचैनी रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा। संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। परिवार के सहयोग से दिन उत्साहपूर्ण व्यतीत होगा। योजनानुसार कार्य करने से लाभ की संभावना है। आर्थिक सुदृढ़ता रहेगी। राजनीतिक में कार्यरत लोगों के क्षेत्रों का विस्तार होगा। व्यवसाय में यदि कोई लेनदेन की समस्या आ रही थी, तो वह सुलझेगी। आपको कुछ नए कार्य में हाथ आजमाने का मौका मिलेगा, जिनसे आपको पीछे नहीं हटना है क्योंकि वह आपको लाभ अवश्य दिलाएंगे।
तिथि——– एकादशी 10:53:40 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– रेवती 24:37:23
योग——— आयुष्मान 22:13:00
करण———- बालव 10:53:40
करण———– कौलव 23:16:42
वार———————– गुरूवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——— मीन 24:37:23
चन्द्र राशि——————– मेष
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु————————-ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:26:56
सूर्यास्त————— 19:05:48
दिन काल————- 13:38:51
रात्री काल————- 10:20:49
चंद्रास्त—————- 15:29:37
चंद्रोदय—————- 27:23:45
लग्न—- वृषभ 10°35′ , 40°35′
सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
*** पद, चरण ***
दे—- रेवती 05:35:18
दो—- रेवती 11:54:05
च—- रेवती 18:14:48
ची—- रेवती 24:37:23
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 10:12 रोहिणी , 1 ओ
चन्द्र =मीन 19°23 , रेवती , दे 1
बुध =वृषभ 04 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=मेष 02°05, अश्विनी ‘ 1 चू
मंगल=कुम्भ 06°30 ‘ उoभाo’ 1 दू
गुरु=मीन 08°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°50’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°50 विशाखा , 3 ते
??? मुहूर्त प्रकरण ???
राहू काल 13:59 – 15:41 अशुभ
यम घंटा 05:27 – 07:09 अशुभ
गुली काल 08:52 – 10:34 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 09:59 – 10:54 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:27 – 16:22 अशुभ
गंड मूल अहोरात्र अशुभ
पंचक 05:27 – 24:37* अशुभ
चोघडिया, दिन
शुभ 05:27 – 07:09 शुभ
रोग 07:09 – 08:52 अशुभ
उद्वेग 08:52 – 10:34 अशुभ
चर 10:34 – 12:16 शुभ
लाभ 12:16 – 13:59 शुभ
अमृत 13:59 – 15:41 शुभ
काल 15:41 – 17:23 अशुभ
शुभ 17:23 – 19:06 शुभ
चोघडिया, रात
अमृत 19:06 – 20:23 शुभ
चर 20:23 – 21:41 शुभ
रोग 21:41 – 22:59 अशुभ
काल 22:59 – 24:16* अशुभ
लाभ 24:16* – 25:34* शुभ
उद्वेग 25:34* – 26:51* अशुभ
शुभ 26:51* – 28:09* शुभ
अमृत 28:09* – 29:27* शुभ
होरा, दिन
बृहस्पति 05:27 – 06:35
मंगल 06:35 – 07:43
सूर्य 07:43 – 08:52
शुक्र 08:52 – 09:59
बुध 09:59 – 11:08
चन्द्र 11:08 – 12:16
शनि 12:16 – 13:25
बृहस्पति 13:25 – 14:33
मंगल 14:33 – 15:41
सूर्य 15:41 – 16:49
शुक्र 16:49 – 17:58
बुध 17:58 – 19:06
होरा, रात
चन्द्र 19:06 – 19:58
शनि 19:58 – 20:49
बृहस्पति 20:49 – 21:41
मंगल 21:41 – 22:33
सूर्य 22:33 – 23:24
शुक्र 23:24 – 24:16
बुध 24:16* – 25:08
चन्द्र 25:08* – 25:59
शनि 25:59* – 26:51
बृहस्पति 26:51* – 27:43
मंगल 27:43* – 28:35
सूर्य 28:35* – 29:27
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
वृषभ > 04:06 से 06:04 तक
मिथुन > 06:04 से 08:17 तक
कर्क > 08:17 से 10:34 तक
सिंह > 10:34 से 12:42 तक
कन्या > 12:42 से 14:58 तक
तुला > 14:58 से 17:13 तक
वृश्चिक > 17:13 से 19:34 तक
धनु > 19:34 से 21:34 तक
मकर > 21:34 से 23:20 तक
कुम्भ > 11:20 से 00:53 तक
मीन > 00:53 से 02:19 तक
मेष > 02:19 से 04:06 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 11 + 5 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*** विशेष जानकारी ***
* अपरा एकादशी व्रत (सर्वेषां)
*जलक्रीड़ा एकादशी (उड़ीसा)
* भद्रकाली एकादशी (पंजाब)
* सर्वार्थ सिद्धि योग
*** शुभ विचार ***
आयुः कर्म च वित्तञ्च विद्या निधनमेव च ।
पञ्चैतानि च सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।
।। चा o नी o।।
जब बच्चा माँ के गर्भ में होता है तो यह पाच बाते तय हो जाती है…
१. कितनी लम्बी उम्र होगी.
२. वह क्या करेगा
३. और
४. कितना धन और ज्ञान अर्जित करेगा.
५. मौत कब होगी.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16
तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान्।,
क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु॥,
उन द्वेष करने वाले पापाचारी और क्रूरकर्मी नराधमों को मैं संसार में बार-बार आसुरी योनियों में ही डालता हूँ॥,19॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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