***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 25/05/2022, बुधवार
दशमी, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मीन
आज कार्यक्षेत्र में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। खर्चों में वृद्धि से चिंता होगी। संतान के रोजगार की समस्या का समाधान संभव है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। कश्मकश दूर होगी। स्वजनों से भेंट होगी। आप संतान के करियर को लेकर संतुष्ट नजर आएंगे,क्योंकि उन्हें कोई अच्छी नौकरी प्राप्त हो सकती है,लेकिन व्यवसाय कर रहे लोगों को कठिन परिश्रम के बाद ही कुछ योजनाओं में सफलता मिलती दिख रही है। सायंकाल के समय आप अपने किसी परिजन के घर दावत पर जा सकते हैं। गृहस्थ जीवन जी रहे लोगों को अपने साथी की बातों को सुनना व समझना होगा,नहीं तो आपका कोई वाद विवाद खड़ा हो सकता है। आप अपने धन का कुछ हिस्सा दान पुण्य के कार्यों में लगाएंगे।
तिथि———– दशमी 10:31:51 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र— उत्तराभाद्रपदा 23:18:30
योग————– प्रीति 22:42:58
करण——- विष्टि भद्र 10:31:51
करण————– बव 22:38:35
वार———————— बुधवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————– मीन
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:27:17
सूर्यास्त————— 19:05:16
दिन काल————- 13:37:59
रात्री काल————- 10:21:40
चंद्रास्त—————- 14:33:54
चंद्रोदय—————- 26:53:34
लग्न—- वृषभ 9°37′ , 39°37′
सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र———- उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*** पद, चरण ***
थ—- उत्तराभाद्रपदा 10:51:04
झ—- उत्तराभाद्रपदा 17:03:45
ञ—- उत्तराभाद्रपदा 23:18:30
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 09:12 कृतिका , 4 ए
चन्द्र =मीन 07°23 , उ o भा o, 2 थ
बुध =वृषभ 04 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=मीन 00°05, अश्विनी ‘ 1 चू
मंगल=कुम्भ 05°30 ‘ उoभाo’ 1 दू
गुरु=मीन 08°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°50’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°50 विशाखा , 3 ते
??? मुहूर्त प्रकरण ???
राहू काल 12:16 – 13:59 अशुभ
यम घंटा 07:10 – 08:52 अशुभ
गुली काल 10:34 – 12:16 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:44 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:49 – 12:44 अशुभ
गंड मूल 23:19 – अहोरात्र अशुभ
पंचक अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
लाभ 05:27 – 07:10 शुभ
अमृत 07:10 – 08:52 शुभ
काल 08:52 – 10:34 अशुभ
शुभ 10:34 – 12:16 शुभ
रोग 12:16 – 13:59 अशुभ
उद्वेग 13:59 – 15:41 अशुभ
चर 15:41 – 17:23 शुभ
लाभ 17:23 – 19:05 शुभ
?चोघडिया, रात
उद्वेग 19:05 – 20:23 अशुभ
शुभ 20:23 – 21:41 शुभ
अमृत 21:41 – 22:58 शुभ
चर 22:58 – 24:16* शुभ
रोग 24:16* – 25:34* अशुभ
काल 25:34* – 26:52* अशुभ
लाभ 26:52* – 28:09* शुभ
उद्वेग 28:09* – 29:27* अशुभ
होरा, दिन
बुध 05:27 – 06:35
चन्द्र 06:35 – 07:44
शनि 07:44 – 08:52
बृहस्पति 08:52 – 09:59
मंगल 09:59 – 11:08
सूर्य 11:08 – 12:16
शुक्र 12:16 – 13:24
बुध 13:24 – 14:33
चन्द्र 14:33 – 15:41
शनि 15:41 – 16:49
बृहस्पति 16:49 – 17:57
मंगल 17:57 – 19:05
होरा, रात
सूर्य 19:05 – 19:57
शुक्र 19:57 – 20:49
बुध 20:49 – 21:41
चन्द्र 21:41 – 22:32
शनि 22:32 – 23:24
बृहस्पति 23:24 – 24:16
मंगल 24:16* – 25:08
सूर्य 25:08* – 25:59
शुक्र 25:59* – 26:52
बुध 26:52* – 27:43
चन्द्र 27:43* – 28:35
शनि 28:35* – 29:27
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
वृषभ > 04:10 से 06:08 तक
मिथुन > 06:08 से 08:21 तक
कर्क > 08:21 से 10:38 तक
सिंह > 10:38 से 12:46 तक
कन्या > 12:46 से 15:02 तक
तुला > 15:02 से 17:17 तक
वृश्चिक > 17:17 से 19:38 तक
धनु > 19:38 से 21:38 तक
मकर > 21:38 से 23:24 तक
कुम्भ > 11:24 से 00:57 तक
मीन > 00:57 से 02:23 तक
मेष > 02:23 से 04:10 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 10 + 4 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 10:31 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*** विशेष जानकारी ***
* नौतपा प्रारम्भ
* रास बिहारी बोस जयंती
*विश्व थायराइड दिवस
*** शुभ विचार ***
स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवाः सत्पुरुषाः पिता ।
ज्ञातयः स्नान-पानाभ्यां वाक्यदानेन पंडिताः ।।
।। चा o नी o।।
यह देवताओ का, संत जनों का और पालको का स्वभाव है की वे जल्दी प्रसन्न हो जाते है. निकट के और दूर के रिश्तेदार तब प्रसन्न होते है जब उनका आदर सम्मान किया जाए. उनके नहाने का, खाने पिने का प्रबंध किया जाए. पंडित जन जब उन्हें अध्यात्मिक सन्देश का मौका दिया जाता है तो प्रसन्न होते है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः।,
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः॥,
वे अहंकार, बल, घमण्ड, कामना और क्रोधादि के परायण और दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ अन्तर्यामी से द्वेष करने वाले होते हैं॥,18॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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