मीन राशिफल 19 अप्रैल 2022 Pisces Horoscope 19 April 2022

0
377
Pisces Horoscope 19 April 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** ***

दिनाँक:-19/04/2022, मंगलवार
तृतीया, कृष्ण पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मीन

Pisces Horoscope 19 April 2022: आज का दिन आपके लिए प्रसन्नता वाला रहेगा। अपने बिजनेस के पुराने अनुभवों का आपको आज लाभ मिलेगा। नौकरी से जुड़े जातक अपने काम में व्यस्त रहेंगे। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। विवेक से कार्य करें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ समय मनोरंजक व्यतीत होगा। प्रमाद न करें। आज जरूरत की चीजों पर ही खर्च करें, नहीं तो आप अपने बचे हुए धन को समाप्त कर देंगे। आज कार्यक्षेत्र में आपके विचारों का स्वागत होगा और लोग आपसे मित्रता रखने की चेष्टा करेंगे। सामाजिक क्षेत्र में भी आपकी ख्याति फैलेगी। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या थी, तो उसमें भी सुधार होगा।

तिथि———– तृतीया 16:38:06 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— अनुराधा 25:37:50
योग——— व्यतापता 17:00:04
करण———– वणिज 06:01:11
करण——- विष्टि भद्र 16:38:06
करण————– बव 27:14:54
वार———————– मंगलवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि———————- मेष
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———-2078
शाका संवत—————- 1944

Read Also: गुरुवार व्रत रखने से घर में रहती है सुख-समृद्धि Keeping Thursday Fast

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:52:14
सूर्यास्त————— 18:44:49
दिन काल————- 12:52:34
रात्री काल————- 11:06:26
चंद्रास्त—————- 07:35:01
चंद्रोदय—————- 21:45:50

लग्न—- मेष 4°47′ , 4°47′

सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया—————— रजत

Read Also : महादेव की आराधना से मिलता है मोक्ष Worship Of Mahadev Gives Salvation

*** पद, चरण *** 

ना—- अनुराधा 09:07:46

नी—- अनुराधा 14:37:50

नू—- अनुराधा 20:07:48

ने—- अनुराधा 25:37:50

राहू काल 15:32 – 17:08 अशुभ
यम घंटा 09:05 – 10:42 अशुभ
गुली काल 12:19 – 13:55 अशुभ
अभिजित 11:53 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 08:27 – 09:18 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:12 – 24:03* अशुभ

Read Also : हनुमान जी ने भक्तों से जुड़ा शनिदेव ने दिया था वचन Hanuman Ji With Shani Dev

गंड मूल 25:38* – अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
रोग 05:52 – 07:29 अशुभ
उद्वेग 07:29 – 09:05 अशुभ
चर 09:05 – 10:42 शुभ
लाभ 10:42 – 12:19 शुभ
अमृत 12:19 – 13:55 शुभ
काल 13:55 – 15:32 अशुभ
शुभ 15:32 – 17:08 शुभ
रोग 17:08 – 18:45 अशुभ

चोघडिया, रात
काल 18:45 – 20:08 अशुभ
लाभ 20:08 – 21:31 शुभ
उद्वेग 21:31 – 22:55 अशुभ
शुभ 22:55 – 24:18* शुभ
अमृत 24:18* – 25:41* शुभ
चर 25:41* – 27:05* शुभ
रोग 27:05* – 28:28* अशुभ
काल 28:28* – 29:51* अशुभ

होरा, दिन
मंगल 05:52 – 06:57
सूर्य 06:57 – 08:01
शुक्र 08:01 – 09:05
बुध 09:05 – 10:10
चन्द्र 10:10 – 11:14
शनि 11:14 – 12:19
बृहस्पति 12:19 – 13:23
मंगल 13:23 – 14:27
सूर्य 14:27 – 15:32
शुक्र 15:32 – 16:36
बुध 16:36 – 17:40
चन्द्र 17:40 – 18:45

होरा, रात
शनि 18:45 – 19:40
बृहस्पति 19:40 – 20:36
मंगल 20:36 – 21:31
सूर्य 21:31 – 22:27
शुक्र 22:27 – 23:23
बुध 23:23 – 24:18
चन्द्र 24:18* – 25:14
शनि 25:14* – 26:09
बृहस्पति 26:09* – 27:05
मंगल 27:05* – 28:00
सूर्य 28:00* – 28:56
शुक्र 28:56* – 29:51

 उदयलग्न प्रवेशकाल 

मेष > 04:44 से 06:33 तक
वृषभ > 06:33 से 08:26 तक
मिथुन > 08:26 से 10:39 तक
कर्क > 10:39 से 12:56 तक
सिंह > 12:56 से 15:08 तक
कन्या > 15:08 से 07:20 तक
तुला > 07:20 से 07:35 तक
वृश्चिक > 07:35 से 09:51 तक
धनु > 09:51 से 23:56 तक
मकर > 23:00 से 01:42 तक
कुम्भ > 01:42 से 03:15 तक
मीन > 03:15 से 04:44 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 3 + 3 + 1 = 22 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान *** 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष

क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

प्रातः 06:00 से सांय16:38 तक

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

*गणेश चतुर्थी व्रत चंद्रोदय रात्रि 21:45

*अंगारक चतुर्थी

*** शुभ विचार ***

वाचा शौचं च मनसः शौचमिन्द्रियनिग्रहः ।
सर्वभूते दया शौचमेतच्छौचं परार्थिनाम् ।।
।। चा o नी o।।

यदि आप दिव्यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इन्द्रियों में शुद्धता होनी चाहिए. उसी प्रकार आपके ह्रदय में करुणा होनी चाहिए.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14

मां च योऽव्यभिचारेण भक्तियोगेन सेवते ।,
स गुणान्समतीत्येतान्ब्रह्मभूयाय कल्पते ॥,

और जो पुरुष अव्यभिचारी भक्ति योग (केवल एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर वासुदेव भगवान को ही अपना स्वामी मानता हुआ, स्वार्थ और अभिमान को त्याग कर श्रद्धा और भाव सहित परम प्रेम से निरन्तर चिन्तन करने को ‘अव्यभिचारी भक्तियोग’ कहते हैं) द्वारा मुझको निरन्तर भजता है, वह भी इन तीनों गुणों को भलीभाँति लाँघकर सच्चिदानन्दघन ब्रह्म को प्राप्त होने के लिए योग्य बन जाता है॥,26॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

Read Also : 10 Largest Hanuman Statues भारत में यहां है 10 सबसे विशालकाय बजरंगबली की प्रतिमाएं

Also: पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors

Read Also : हरिद्वार पर माता मनसा देवी के दर्शन न किए तो यात्रा अधूरी If You Dont see Mata Mansa Devi at Haridwar 

Connect With Us: Twitter Facebook