मीन राशिफल 15 जुलाई 2022

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Pisces Horoscope 25 August 2022

**** दैनिक राशिफल ****

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

दिनाँक:-15/07/2022, शुक्रवार
द्वितीया, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

मीन 

आज का दिन आपको अक्समात लाभ दिलाने वाला रहेगा। ऑफिस में आपके अधिकारी व सहकर्मी आपकी मदद के लिए तैयार खड़े रहेंगे, जिसे देखकर आपका मन प्रसन्न होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च होगा। किसी के व्यवहार से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी। नौकरी में कार्यभार बढ़ेगा। सहकर्मी साथ नहीं देंगे। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। जो युवा किसी नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो उन्हें कोई बेहतर अवसर हाथ लग सकता है, लेकिन आप अपने व्यवहार में यदि मधुरता को बनाए रखेंगे, तभी आप लोगों से अपना काम निकलवा पाएंगे। संतान द्वारा किसी ऐसे कार्य को किया जाएगा, जो आपके लिए लाभदायक रहेगा, लेकिन आपको किसी अपने परिजन की वजह से कोई नुकसान हो सकता है।

तिथि———- द्वितीया 16:38:47 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– श्रवण 17:30:22
योग————– प्रीति 24:19:16
करण———– तैतुल 06:24:49
करण————– गर 16:38:47
करण———– वणिज 26:58:54
वार———————– शुक्रवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—— मकर 28:15:58
चन्द्र राशि——————- कुम्भ
सूर्य राशि—————– मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन—————— उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत——————-1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:34:43
सूर्यास्त—————- 19:15:27
दिन काल————- 13:40:43
रात्री काल—————10:19:45
चंद्रास्त————— 06:57:28
चंद्रोदय—————- 21:03:41

लग्न—- मिथुन 28°21′ , 88°21′

सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र—————— श्रवण
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

**** पद, चरण ****

खू—- श्रवण 06:51:08

खे—- श्रवण 12:10:03

खो—- श्रवण 17:30:22

गा—- धनिष्ठा 22:52:17

गी—- धनिष्ठा 28:15:58

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 28:12 पुनर्वसु , 3 हा
चन्द्र = मकर 15°23, श्रावण , 2 खु
बुध =मिथुन 26 ° 07′ पुनर्वसु ‘ 2 को
शुक्र=मिथुन 02°05, मृगशिरा ‘ 3 वो
मंगल=मेष 11°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 का
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°00’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°00 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 10:42 – 12:25 अशुभ
यम घंटा 15:50 – 17:33 अशुभ
गुली काल 07:17 – 08:59 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:19 – 09:14 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:47 अशुभ

**** पंचक 28:16* – अहोरात्र अशुभ

**** चोघडिया, दिन
चर 05:35 – 07:17 शुभ
लाभ 07:17 – 08:59 शुभ
अमृत 08:59 – 10:42 शुभ
काल 10:42 – 12:25 अशुभ
शुभ 12:25 – 14:08 शुभ
रोग 14:08 – 15:50 अशुभ
उद्वेग 15:50 – 17:33 अशुभ
चर 17:33 – 19:15 शुभ

**** चोघडिया, रात
रोग 19:15 – 20:33 अशुभ
काल 20:33 – 21:50 अशुभ
लाभ 21:50 – 23:08 शुभ
उद्वेग 23:08 – 24:25* अशुभ
शुभ 24:25* – 25:43* शुभ
अमृत 25:43* – 27:00* शुभ
चर 27:00* – 28:18* शुभ
रोग 28:18* – 29:35* अशुभ

**** होरा, दिन
शुक्र 05:35 – 06:43
बुध 06:43 – 07:52
चन्द्र 07:52 – 08:59
शनि 08:59 – 10:08
बृहस्पति 10:08 – 11:17
मंगल 11:17 – 12:25
सूर्य 12:25 – 13:33
शुक्र 13:33 – 14:42
बुध 14:42 – 15:50
चन्द्र 15:50 – 16:59
शनि 16:59 – 18:07
बृहस्पति 18:07 – 19:15

**** होरा, रात
मंगल 19:15 – 20:07
सूर्य 20:07 – 20:59
शुक्र 20:59 – 21:50
बुध 21:50 – 22:42
चन्द्र 22:42 – 23:34
शनि 23:34 – 24:25
बृहस्पति 24:25* – 25:17
मंगल 25:17* – 26:09
सूर्य 26:09* – 27:00
शुक्र 27:00* – 27:52
बुध 27:52* – 28:44
चन्द्र 28:44* – 29:35

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

मिथुन > 02:41 से 04:56 तक
कर्क > 04:56 से 07:26 तक
सिंह > 07:26 से 09:28 तक
कन्या > 09:28 से 11:42 तक
तुला > 11:42 से 13:57 तक
वृश्चिक > 13:57 से 16:10 तक
धनु > 16:10 से 18:26 तक
मकर > 18:26 से 20:10 तक
कुम्भ > 20:10 से 21:44 तक
मीन > 21:44 से 22:16 तक
मेष > 22:16 से 00:50 तक
वृषभ > 00:50 से 02:41 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 2 + 6 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

रात्रि 27:03 से प्रारम्भ

पाताल लोक= धनलाभ कारक

**** विशेष जानकारी ****

* सर्वार्थ सिद्धि योग 17:30 तक

* जाया पार्वती व्रत

*अशून्य शयन व्रत

**** शुभ विचार ****

मूर्खा यत्र न पुज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम् ।
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।
।। चा o नी o।।

धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ …
१. मूर्खो का सम्मान नहीं होता.
२. अनाज का अचछे से भणडारण किया जाता है.
३. पति, पत्नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

ज्ञानं कर्म च कर्ता च त्रिधैव गुणभेदतः ।,
प्रोच्यते गुणसङ्ख्याने यथावच्छ्णु तान्यपि ॥,

गुणों की संख्या करने वाले शास्त्र में ज्ञान और कर्म तथा कर्ता गुणों के भेद से तीन-तीन प्रकार के ही कहे गए हैं, उनको भी तु मुझसे भलीभाँति सुन॥,19॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
***********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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