Pictures have also been seen changing colors … तस्वीरों को भी देखा है रंग बदलते हुए…

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अंबाला। चुनाव के समय आपने दल बदलने वाले नेताओं के बारे में खूब सुना होगा। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी नेताओं का इधर से उधर होना चल रहा है। कई बड़े चेहरों ने दल बदला है, कई बदलने की तैयारी में हैं। पर ‘आज समाज’ आपको कुछ ऐसे अभिनेताओं के बारे में बताने जा रहा है जिन्होंने समय-समय पर जरूरत के अनुसार दल बदला है। हाल ही में बिहारी बाबू के नाम से प्रसिद्ध कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा ने जब भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा तो ‘आज समाज’ की रिसर्च टीम ने इसी बहाने उन अभिनेताओं को खोजना शुरू किया, जिन्होंने कभी न कभी दल बदला है। आइए एक नजर डालते हैं फिल्मी दुनिया के ऐसे ही कलाकारों पर।

देवानंद
बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि दिग्गज कलाकार देवानंद ने भी कभी अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी। एक वक्त था कि सितारे सिर्फ नेताओं और उनकी नीतियों का प्रचार करते थे। इसके पीछे राजनीतिक विचारधारा तो होती ही थी साथ ही खास नेता से व्यक्तिगत रिश्ते भी होते थे। इसी विचारधारा से प्रभावित होकर देवानंद ने कांग्रेस का समर्थन किया था। कई मौकों पर उनका कांग्रेस प्रेम सामने भी आया था। पर इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल ने देवानंद को व्यथित कर दिया। आइडियोलॉजी के कारण ही देवानंद ने आपातकाल के दौर में उसके खिलाफ नेशनल पार्टी आॅफ इंडिया बनाई थी। हालांकि यह पार्टी ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोर सकी, लेकिन देवानंद ने इस पार्टी का गठन कर अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराया।

अमिताभ बच्चन
फिल्मी दुनिया के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन एक वक्त कांग्रेस के काफी करीबी थे। गांधी नेहरू परिवार से पुराना नाता रहा। राजीव गांधी से दोस्ती की वजह से वह राजनीति में आये और 1984 का लोकसभा चुनाव इलाहाबाद से लड़ा। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया। बाद में हालात ऐसे बने कि उन्होंने सक्रिय राजनीति से तो तौबा कर ली, लेकिन अलग अलग मौकों पर वे अलग-अलग दलों के नजदीक माने जाते रहे। अमिताभ बच्चन की पत्नी व अभिनेत्री जया बच्चन तो लंबे समय से सपा में हैं और राज्यसभा सांसद हैं। आज भी अमिताभ बच्चन को समाजवादी पार्टी का करीबी माना जाता है।

जयाप्रदा
जयाप्रदा शायद एकलौती फिल्मी कलाकार हैं जिन्होंने दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक राजनीति की। दलबदल के मामले में प्रसिद्ध अभिनेत्री जयाप्रदा सबसे आगे रही हैं। जयाप्रदा पहले तेलगू देशम पार्टी में रहीं। उन्हें पहले एनटी रामाराव ने सियासत में आगे बढ़ाया। बाद में उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू के साथ आ गर्इं। पर दक्षिण से जयाप्रदा को राजनीति में उतनी सफलता नहीं मिली। जयाप्रदा यूपी की सियासत में सपा के जरिए पहुंची। सपा से वह दो बार रामपुर से सांसद बनीं। इसके बाद रालोद का दामन थाम 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ी, लेकिन हार गर्इं। अब इस बार वह भाजपा का दामन थाम कर तीसरी बार रामपुर में चुनाव लड़ने पहुंची हैं। उनके सामने उनकी पुरानी पार्टी समाजवादी पार्टी के नेता ही हैं।

राजबब्बर
फिल्म अभिनेता राजबब्बर ने अपने सियासी सफर की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के जनमोर्चा से जुड़ कर की। बाद में वह मुलायम सिंह यादव के करीब आये और सपा में शामिल हो गये। सपा ने उन्हें अपने टिकट पर 1996 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट से अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ उतारा, लेकिन वह चुनाव हार गये। इसके बाद सपा में रहते हुए वह आगरा से दो बार लगातार संसद पहुंचे। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गये। 2009 के फिरोजाबाद उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर सपा की डिंपल यादव को हराया। इस वक्त उनकी गिनती कांग्रेस के थींक टैंकर के रूप में होती है।

शत्रुघ्न सिन्हा
बिहारी बाबू उर्फ शॉटगन उर्फ शत्रुध्न सिन्हा ने लंबी पारी भाजपा के साथ खेली। वह भाजपा से सांसद रहे साथ ही केंद्रीय मंत्री भी बने। बरसों से उनका भाजपा से नाता अब टूट चुका है। बीजेपी में मोदी युग के शुरुआत से ही उनकी हैसियत कम होती गई। खुद की उपेक्षा से नाराज शत्रुघ्न सिन्हा ने 2019 के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। अब वे अपने पुराने लोकसभा सीट से ही अपनी पुरानी पार्टी के खिलाफ मैदान में हैं।

भोजपुरी कलाकारों ने भी दिखाई कलाकारी
मनोज तिवारी, रविकिशन व दिनेश लाल निरहुआ यह तीनों भोजपुरी फिल्मों व गीत संगीत के क्षेत्र के बड़े नाम हैं। इन लोकप्रिय कलाकारों ने भी समय समय पर राजनीति में अपनी कलाकारी दिखाई है। मनोज तिवारी सपा के टिकट पर गोरखपुर से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई। इसके बाद वह भाजपा में शमिल हो गये और दिल्ली से भाजपा के सांसद बने। इस वक्त बीजेपी के सबसे फायर ब्रांड चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। टीम मोदी के खास चेहरों में उनकी गिनती होती है। रविकिशन एक वक्त कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गये। सपा सरकार में वह अखिलेश यादव के करीब आ गये थे। अब रविकिशन ने भाजपा का दामन थाम लिया। उनको भी पूर्वांचल की किसी सीट से चुनाव लड़ाए जाने की तैयारी है। भोजपुरी फिल्मों के कलाकार दिनेश लाल निरहुआ सपा का प्रचार कर चुके हैं। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अखिलेश यादव के समर्थन में खूब प्रचार किया। अब लोकसभा चुनाव से पहले निरहुआ ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है। कमल का फूल लिए वे अपनी पुराने दोस्त अखिलेश यादव के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।