Petition On Issues Of Common People: आम लोगों के मुद्दों पर संसद में बहस की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

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Petition On Issues Of Common People
आम लोगों के मुद्दों पर संसद में बहस की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (Petition On Issues Of Common People): आम लोगों के मुद्दों पर संसद में बहस, चर्चा व विचार-विमर्श शुरू करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता करण गर्ग की ओर से कहा गया है कि नागरिकों को संसद में याचिका दायर करने और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार-विमर्श शुरू करने का अधिकार प्रदान करने के लिए एक उचित प्रणाली बनानी चाहिए। इसके लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में में दायर की गई है।  

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मामले की अगली सुनवाई फरवरी में

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील रोहन जे अल्वा को कहा कि वह याचिका की एक प्रति केंद्र के वकील को दें। साथ ही उन्होंने मामले की अगली सुनवाई फरवरी में करने की बात कही है। याचिका में घोषणा करने की मांग की गई है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ए) और 21 के तहत यह नागरिकों का मौलिक अधिकार है कि वे सीधे संसद में याचिका दायर करें, ताकि याचिका में आम लोगों के द्वारा उजागर किए गए मुद्दों पर चर्चा, बहस, व विचार-विमर्श शुरू किया जा सके।

सामान्य नागरिक के पास नहीं अधिकार

याचिका में प्रार्थना की गई है कि प्रतिवादियों (केंद्र और अन्य) के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है कि नागरिकों की आवाज को बिना किसी बाधा और कठिनाइयों का सामना किए संसद में सुना जा सके। याचिका में यह भी कहा गया है कि देश के एक सामान्य नागरिक के रूप में जब उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की बात आती है, तो वह महसूस करता है कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है। लोगों द्वारा वोट डालने व प्रतिनिधियों को चुनने के बाद आगे किसी भी भागीदारी की कोई गुंजाइश नहीं होती है।

नागरिकों को सांसदों से जुड़े रहने के लिए नहीं कोई तंत्र

याचिका में कहा गया है कि किसी भी औपचारिक तंत्र का पूरी तरह अभाव है, जिसके द्वारा नागरिक सांसदों के साथ जुड़कर यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकते हैं कि संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस हो। इस तंत्र की अनुपस्थिति निर्वाचित प्रतिनिधियों व नागरिकों के बीच एक शून्य पैदा करती है। लोग कानून बनाने की प्रक्रिया से अलग हो जाते हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि भारतीय लोकतंत्र में पूरी तरह से भाग लेने के लिए नागरिकों को उनके निहित अधिकारों से दूर करना गंभीर चिंता का विषय है। यह ऐसा मुद्दा है, जिसे तुरंत सही करने की जरूरत है।

अदालत में जींस पहनने पर वकील को बाहर निकाला

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शनिवार को एक मामले को इसलिए स्थगित कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट परिसर में जींस पहन रखी थी। अदालत के आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के वकील बीके महाजन ने जींस पहनी हुई थी, इसलिए, न्यायाधीश को वकील को हाईकोर्ट परिसर के बाहर करने के लिए पुलि सकर्मियों को आदेश देना पड़ा।

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