पंकज सोनी, भिवानी :
प्राय: देखने में आया है कि अधिकत्तर किसानों को फसलों पर कीटों व बीमारियों के प्रकोप के कारण उत्पन्न हुए लक्षणों को ठीक से पहचान नहीं है। इस कारण अनेक बार किसान या तो गलत दवाओं का प्रयोग कर बैठते है या अनावश्यक कई दवाओं को मिलाकर स्पे्र कर देते है। इससे ना केवल आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है, अपितु पर्यावरण भी अधिक प्रदूषित होता है। अत: किसानों को फसल पर कीट या बीमारी के लक्षणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। उक्त विचार एचएयू हिसार से कीट विज्ञान विभाग से सेवानिवृत्त पूर्व प्रो. एवं अध्यक्ष डा. आरके सैनी ने व्यक्त किए। वे खंड सिवानी के गांव मतानी में कृषि कल्याण विभाग हरियाणा तथा हिन्दुस्तान गम एंड कैमिकल्स भिवानी द्वारा आयोजित ग्वासर फसल स्वास्थ्य शिविर में किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने किसानों को सावधान किया कि ग्वार फसल में इस समय हरा तेला तथा झुलसा रोग के पनपने के लिए अनुकूल मौसम बना हुआ है। इसीलिए किसानों को फसल निरीक्षण कर के आवश्यकता होने पर प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में तीन पाऊच स्ट्रैप्टोसाईक्लिन व 250 मि.ली. मैलाथियान या रोगार मिलाकर स्पे्र करना चाहिए। इस अवसर पर कृषि विभाग से पधारे विषय विशेषज्ञ व इंचार्ज उपमंडल डा. बलवान सिंह बेनिवाल ने किसानों द्वारा नरमा फसल व मूंग से संबंधित पूछे गए सवालों के उत्तर दिए। उन्होंने किसानों से आग्रह किया वे गोबर गैस संयत्र जरूर लगाएं, ताकि खाना पकाने की गैस के अतिरिक्त इससे निकली स्लरी को खेत में डालकर खेतों में जैविक अंश बढ़ाए, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहे। इस मौके पर पूर्व कृषि विकास अअिधकारी डा. मांगेराम ने सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कृषि योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को सचेत किया कि यदि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा के तहत पंजीकरण नहीं करवाया तो किसी भी सरकारी योजना से लाभ नहीं मिलेगा। शिविर में बनी सिंह, मुकेश, बिजेंद्र, अनिल, शैलेंद्र, धर्मबीर, विकास, रणसिंह, दरिया सिंह, उमेद सिंह, रमेश, तेजपाल सहित लगभग 50 किसानों ने भाग लिया।
Sign in
Welcome! Log into your account
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.