Karnal News: करनाल में नशे की ओवरडोज से व्यक्ति की मौत

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करनाल में नशे की ओवरडोज से व्यक्ति की मौत
करनाल में नशे की ओवरडोज से व्यक्ति की मौत

Karnal News: (आज समाज) करनाल: करनाल के घरौंडा कस्बे में एक क्लीनिक में संदिग्ध परिस्थितियों में युवक का शव मिला है। युवक देर शाम अपने दोस्तों से मिलने के लिए निकला था, लेकिन सुबह उसके परिजनों को उसकी मौत की सूचना मिली। परिजनों का आरोप है कि उसे जबरन शराब और नशीला पदार्थ देकर मरने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन मौत के असली कारणों का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही होगा। आज पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। घरौंडा के भट्टा कॉलोनी निवासी हरविंदर सिंह का बड़ा बेटा नरेंद्र सिंह पिछले छह महीने से चंडीगढ़ में आईएलटीएस की तैयारी कर रहा था। वह 6 अगस्त को ही घर आया था। शुक्रवार शाम करीब 6 बजे वह अपने दोस्त नवनीत से मिलने के लिए घर से निकला था। शिकायतकर्ता पिता ने शिकायत में कहा है कि रात करीब 10 बजे जब मैंने अपने बेटे नरेंद्र सिंह को फोन किया तो नरेंद्र ने बताया कि वह अपने दोस्त नवनीत के साथ डॉ. गगनदीप के क्लीनिक पर खाना खा रहा है और थोड़ी देर में वापस आ जाएगा। शिकायतकर्ता ने बताया कि नरेंद्र रात भर घर नहीं लौटा, मेरी पत्नी ने अगली सुबह यानी 10 अगस्त को मुझे यह बात बताई। जिसके बाद हमने नरेंद्र को फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जब मैं घरौंडा में अपने बेटे को खोजने निकला तो मुझे नवनीत का फोन आया। उसने मुझे बताया कि आपका बेटा नरेंद्र सिंह बीमार है, वह बोल नहीं रहा है और हम निशांत के क्लीनिक पर हैं।

निशांत के क्लीनिक पर मिला नरेंद्र

शिकायतकर्ता ने बताया कि शनिवार शाम को जब वह निशांत के क्लीनिक पर पहुंचा तो उसका बेटा बेड पर पड़ा था। उसे हिलाया तो वह मृत मिला। जब मैंने नवनीत से पूछा तो नवनीत ने बताया कि नरेंद्र और गगनदीप ने देर रात तक शराब पी थी। गगनदीप और मैं स्मैक के आदी हैं और शराब पीने के बाद हम तीनों नरेंद्र की कार में कुछ खाने के लिए गए और एक ढाबे से खाने का सामान पैक करवाकर कार में वापस आए और डॉ. गगनदीप ने स्मैक निकालकर खुद भी पी ली और मुझे भी पिला दी और नरेंद्र को भी जबरन पिला दी, जिससे नरेंद्र उसी समय से बेहोश हो गया। पिता का आरोप है कि डॉ. गगनदीप और नवनीत को पता था कि नरेंद्र बेहोश है। इसके बावजूद वे उसे किसी अस्पताल नहीं ले गए और न ही मुझे या मेरे परिवार के किसी सदस्य को इसकी सूचना दी। आरोपी नरेंद्र को क्लीनिक में छोड़कर दोनों अपने-अपने घर चले गए। सुबह भी ये लोग क्लीनिक आए और देखा, तब तक नरेंद्र की मौत हो चुकी थी।