योगेश कुमार सोनी
बीते कई समय से आम आदमी पार्टी खुलकर विज्ञापनों पर बहुत मोटी धनराशि खर्च कर रही है और अब तो दिल्ली के मुख्यमंत्री बहुत छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर अपना प्रचार कर रहे हैं। स्पीड ब्रेकर बनवाना, पानी की पाइप लाइन ठीक कराना व स्ट्रीट लाइट रिपेयर कराने जैसी घटनाओं को लेकर होर्डिंग लगा रहे हैं। इस बात को लेकर केजरीवाल का मजाक उडाया जा रहा है जिससे उनकी व पार्टी की प्रतिष्ठा खराब हो रही है।
स्पष्ट है कि जितना इन सभी कामों में जितना धन नही लगा उससे कहीं ज्यादा रुपये उसके प्रचार में लगा दिए। वैसे तो तमाम ऐसी परियोजनाएं अटकी पडी हैं जिनके लिए दिल्ली सरकार के पास पैसे नही हैं लेकिन जब से सरकार बनी हैं तब से हर बात के प्रचार करने के लिए करोडों रुपयों की बर्बादी की जा चुकी है। बीते दिनों एक आरटीआई के द्वारा खुलासा हुआ था जिसमें यह पता चला था कि इस ही वर्ष जनवरी, फरवरी व मार्च में ही 150 करोड रुपये से अधिक खर्च केवल कोरोना सें संबंधित विज्ञापनों पर किया था।
हर माध्यम पर लगभग पौने दो करोड प्रतिदिन खर्चा आया। इन तीन महीनों जितनी बडी रकम खर्च की गई,इतने में तो वैक्सीन खरीदने में बडी मदद मिलती। इस मामलें के लिए कोर्ट कितनी भी सख्ती दिखा ले लेकिन कोई भी नही मानता। पिछले कई सालों से इसको लेकर तमाम खबरें छपी और सरकार की थू-थू भी हुई लेकिन किसी कोई फर्क नही पडा बल्कि पहले से ज्यादा प्रचार कर रहे हैं। सबको बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है कि किस तरह खुलेआम जनता के पैसे की बर्बादी हो रही है। पार्टियां हर बात का प्रचार ऐसे करती हैं जैसे वो किसी भी कार्य को करने के लिए अपनी जेब से पैसा लगा रही हों।
ऐसी मामलों में न्यायलय को कडे प्रावधान के आधार कार्यवाही करने की जरुरत है। अभी तो करोडों में रुपयों बर्बाद हो रहा है और यदि यह ही हाल रहा तो अरबों में मामला पहुंच जाए। आंकडों में बताने के लिए और भी बहुत कुछ है लेकिन इतनी बेहरहमी के साथ जनता के पैसों को लुटानें में केजरीवाल को बिल्कुल भी संकोच नही हो रहा। इस बार तो लोग सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट के साथ फोटो शेयर कर रहे हैं व जनता में अलग तरह का गुस्सा है।केजरीवाल ने कोरोना काल में अपने आप को ऐसा दर्शाया की जैसे सरकार के पास बिल्कुल भी पैसे नही है। आश्चर्य तब भी हुआ था जब लॉकडाउन लगा हुआ था और केजरीवाल ने तब भी पूरी दिल्ली पोस्टरों से पोत दी थी जबकि उस कालखंड में उन पोस्टरों को देखने वाला कोई नही था।
बीते वर्ष दिल्ली में ऑक्सीजन प्लांट को खड़ा करने के लिए केन्द्र सरकार ने बजट दिया था उस पैसा को भी विज्ञापन में बर्बाद कर दिया था। केजरीवाल ने इस बात को स्वीकार किया था कि राजधानी की स्थिति खराब देखकर केन्द्र सरकार ने 8 ऑक्सीजन प्लांट तैयार करने के लिए कहा था लेकिन वह मात्र एक ही बना पाए थे। इसके अलावा हाल ही में कि सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर में केजरीवाल सरकार द्वारा जरूरत से अधिक ऑक्सीजन की डिमांड की गई जिस कारण भारत के 12 राज्यों में ऑक्सीजन की सप्लाई प्रभावित हुई और दिल्ली व अन्य राज्यों में हजारों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड हुआ। केजरीवाल की बिना केलकुलेशन के ऑक्सीजन डिमांड की थी जिसके कारण कई लोग मारे गए ।
इस मामले में केजरीवाल को बीजेपी व कांग्रेस के नेता घेर रहे हैं। कई जगह धरना प्रर्दशन भी किया जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि केजरीवाल पर हत्या का मुकदमा दर्ज जेल भेज देना चाहिए और जिससे इस तरह की नियत व नीति के साथ काम करने वालों को सबक मिले। रिपोर्ट के अनुसार कहा गया कि मानव जीवन अप्राकृतिक हानि हुई है। यह हमारा देश का दुर्भाग्य है कि चंद नेता किस तरह जनता के पैसे व जान के साथ खुलेआम खेल रहे हैं।
तंत्र प्रणाली कमजोर होने की वजह से शिक्षित लोगों को भी मूर्ख बनाया जा रहा है। कोरोना काल के सबसे भंयकर कालखंड में बहुत सारे उपायों के साथ काम किया जा सकता था लेकिन उस समय पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही थी। इस प्रकरण में जनता के साथ जो धोखा हो रहा है उसके लिए किसी बडी नीति के तहत काम करना होगा। इन सब बातों के आधार पर लगता है कि केजरीवाल किस तरह जनता को गुमराह कर रहे हैं। कुछ दलों का काम केवल अब केन्द्र सरकार पर तथ्यहीन आरोप लगाकर अपनी राजनीति चमकाना व चलाना रह गया। बहरहाल, इस कोरोना काल में इस तरह की घटनाओं ने यह तो तय कर दिया कि केजरीवाल जैसे नेताओं कोता जनता से किसी भी प्रकार का लगाव नही हैं। लेकिन अब बडे एक्शन ऑफ प्लान की जरुरत है। निगरानी रखते हुए कडी सजा व नियम लाने होगें चूकि अति किसी भी चीज की बुरी होती है।