Punjab News : प्रदेश के लोग सीएम के साथ खड़े : चीमा

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प्रदेश के लोग सीएम के साथ खड़े : चीमा
प्रदेश के लोग सीएम के साथ खड़े : चीमा

Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव में आशानुरूप प्रदर्शन न कर पाने से हताश आम आदमी पार्टी में जालंधर उपचुनाव में जीत ने जान फूंक दी है। जीत का जश्न मनाते हुए हरपाल चीमा ने कहा कि पंजाब के लोग आम आदमी पार्टी के साथ हैं। हमारे उम्मीदवार मोहिंदर भगत बहुत अच्छे और साफ छवि के इंसान हैं। लोग हमारी सरकार की नीतियों और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह के साथ खड़े हैं।

इस चुनाव में भी लोगों ने एक बार फिर बता दिया है कि कांग्रेस और बीजेपी पार्टी को दिखा दिया कि विधानसभा में उनकी पहली पसंद आम आदमी पार्टी है। चीमा ने कहा कि पंजाब की जनता जानती है कि भारतीय जनता पार्टी से देश के संविधान को खतरा है। भाजपा देश के संविधान को बदलना चाहती है। आप उम्मीदवार मोहिंदर भगत की बड़ी जीत से विरोधी पार्टियों के सारे प्रोपगंडा फेल हो गए हैं। मोहिंदर भगत का परिवार जालंधर पश्चिम विधानसभा के लोगों के दिल में है। मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने कहा कि सिर्फ आम आदमी पार्टी ही है जो लोगों के भले के लिए काम करती है।

हार पचा नहीं पा रही भाजपा

सुशील कुमार रिंकू ने शीतल अंगुराल की हार पर बोलते हुए कहा है कि सत्ताधारी पार्टी जालंधर वेस्ट उपचुनाव में सत्ताबल का प्रयोग किया। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्षदों और कई अन्य नेताओं को खरीदा गया और पदों का लालच दिया गया। यहां तक कि कुछ लोगों को खुश करने के लिए गनमैन भी दिए गए। इसके साथ ही लोगों को डराया गया कि सरकार के ढाई साल बचे हैं, जिससे लोगों में दहशत पैदा हो गई। मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए पैसे, शराब, राशन, सूट बांटे गए। सरकारी मशीनरी और सरकारी तंत्र का भरपूर दुरुपयोग किया गया।

सुशील और शीतल दोनों लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में हुए थे शामिल

ज्ञात रहे कि सुशील कुमार रिंकू और शीतल अंगुराल ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। उस समय दोनों ने आम आदमी पार्टी पर काफी आरोप लगाए थे। रिंकू ने तो आप को उस समय छोड़ा जब पार्टी जालंधर लोकसभा सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी। वहीं अंगुराल ने विधायक पद से इस्तीफा देते हुए भाजपा ज्वाइन की थी। हालांकि बाद में अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस लेने की मांग की थी लेकिन स्पीकर ने उसे अस्वीकार करते हुए इस्तीफा मंजूर कर लिया था। जिसके बाद 10 जुलाई को हुए उपचुनाव में शीतल अंगुराल को करारी हार का सामना करना पड़ा है।