नरेश भारद्वाज, कैथल:
People of 5 zodiac will get expected success: ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह गोचर या युति का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। 12 राशियों में से कुछ राशि वालों के लिए ग्रहों की युति लाभकारी साबित होती है, जबकि कुछ राशि वालों के लिए यह कष्टकारी साबित रहता है। इस बार बुधादित्य योग 24 मार्च को बन रहा है। इस योग का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा, लेकिन इस योग के निर्माण से 5 राशि को अच्छा लाभ मिलेगा और व्यापार में सफलता मिलेगी।
नौकरी पेशा करने वाले जातकों को पदोन्नति हो सकती है। ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति को विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति को गुरु को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं।
जानिए कौन है देव गुरु बृहस्पति
बृहस्पति को देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। ये स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुंदर माला धारण किये रहते हैं। ये पीले वस्त्र पहने हुए कमल आसन पर आसीन रहते हैं तथा चार हाथों वाले हैं। इनके चार हाथों में स्वर्ण निर्मित दण्ड, रुद्राक्ष माला, पात्र और वरदमुद्रा शोभा पाती है। प्राचीन ऋग्वेद में बताया गया है कि बृहस्पति बहुत सुंदर हैं। ये सोने से बने महल में निवास करते है। इनका वाहन स्वर्ण निर्मित रथ है, जो सूर्य के समान दीप्तिमान है एवं जिसमें सभी सुख सुविधाएं संपन्न हैं। उस रथ में वायु वेग वाले पीतवर्णी आठ घोड़े तत्पर रहते हैं।
देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियाँ हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा और कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं – भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। इसके उपरांत तारका से सात पुत्र और एक कन्या उत्पन्न हुईं। उनकी तीसरी पत्नी से भारद्वाज और कच नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए।
बृहस्पति के अधिदेवता इंद्र और प्रत्यधि देवता ब्रह्मा हैं। महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ भाग या हवि प्राप्त करा देते हैं। असुर एवं दैत्य यज्ञ में विघ्न डालकर देवताओं को क्षीण कर हराने का प्रयास करते रहते हैं। इसी का उपाय देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षण करने में करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं।
जानें किन राशि वालों को होगा लाभ
सूर्यदेव 15 मार्च 2022 को मीन राशि में गोचर कर गए थे। इसके बाद बुध ग्रह 24 मार्च को मीन राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्यदेव पहले से विराजमान हैं, ऐसे में सूर्य व बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण होगा।
वृषभ: बुधादित्य योग का निर्माण 11वें स्थान में हो रहा है। जिसे आय का भाव कहा जाता है। इस समय आपकी आय में वृद्धि हो सकती है। आय के नए साधन बनेंगे। आर्थिक स्थिति में सुदार होगा। नए व्यवसायिक संबंध भी बनेंगे।
मिथुन: आपके लिए बुधादित्य योग लाभकारी साबित हो सकता है। आपकी राशि के दशम भाव में इस योग का निर्माण हो रहा है। कर्म, करियर, जॉब और व्यापार का भाव इसे माना गया है। इस दौरान आपको बुध ग्रह के प्रभाव से आपको नई जॉब का प्रस्ताव मिल सकता है। व्यापार में धन लाभ हो सकता है।
कर्क: आपकी कुंडली में बुधादित्य योग का निर्माण नवम भाव में हो रहा है। जिसे भाग्य और विदेश यात्रा का स्थान माना गया है। इस समय आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। आप इस समय जिस काम में हाथ हालेंगे, सफलता हासिल होगी।
कन्या: आपकी राशि के छठवें भाव में बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इस भाव को साझेदारी व दांपत्य जीवन का भाव माना गया है। इस समय आपके वैवाहिक जीवन में मधुरता आएगी। साझेदारी के काम में अच्छा मुनाफा हो सकता है। इस दौरान नए काम की शुरुआत करना लाभकारी रहेगा।
कुंभ: आपकी राशि के दूसरे भाव में बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इसे धन और वाणी का भाव कहा जाता है। इस दौरान आपको अचानक धन प्राप्ति हो सकती है। कहीं से रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है।