काबुल। अमेरिका और तालिबान के बीच आज अहम बैठक होने जा रही है जिसमें शांति समझौता हो सकता है ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में हैं। ट्रंप के सामाने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाकर घरेलू मोर्चे पर अपनी दावेदारी मजबूत करने की चुनौती है। लिहाजा घरेलू मोर्चे पर अगली पारी खेलने से पहले ट्रंप अमेरिकी सेना को वापस बुला लेना चाहते हैं। इसी सिलसिले में अमेरिकी प्रशासन दोहा बैठक में तालिबान से शांति प्रक्रिया और सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर समझौता करना चाहता है। समझौते के वक्त कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन मौजूद रहेंगे।
इस संभावित समझौते पर भारत की पैनी नजर है। दरअसल, भारत नहीं चाहता है कि तालिबान जैसा कोई भी आतंकी संगठन अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाए। वहीं, तालिबान का इस समझौते के पीछे पूरा मकसद अफगानिस्तान में दोबारा सरकार कायम करना है। इसमें पाकिस्तान भी उसकी मदद कर रहा है। पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान की वर्तमान में चुनी गई सरकार की जगह तालिबान की हुकूमत कायम हो। इससे पहले जब अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी सरकार बनाई थी, तब केवल पाकिस्तान ने ही उसको मान्यता दी थी। इसकी वजह यह भी है कि अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार भारत के हितों की पक्षधर रही है। भारत और अफगानिस्तान की सरकार के बीच बेहतर संबंध भी हैं।
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