पठानकोट : इतिहास में पहली बार तीन अध्यापकों को मिले स्टेट अवार्ड

0
548
राज चौधरी, पठानकोट :
हर साल स्कूल शिक्षा विभाग पंजाब की तरफ से अध्यापक दिवस के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले अध्यापकों को स्टेट अवार्ड के साथ चंडीगढ़ बुला कर सम्मानित किया जाता था। परन्तु कोरोना महामारी कारण इस वर्ष  अध्यापक दिवस पर  जिला हैडक्वार्टर में वर्चुअल कम आफ लाईन प्रोग्राम करवा कर स्टेट अवार्ड प्राप्त करने वाले अध्यापकों को सम्मानित किया गया। जिला शिक्षा कार्यालय पठानकोट में अध्यापक दिवस पर करवाए गए आनलाइन प्रोग्राम दौरान जिला शिक्षा अफसर सेकंडरी शिक्षा जसवंत सिंह, जिला शिक्षा अफसर एलिमेंट्री शिक्षा बलदेव राज और उप ज़िला शिक्षा अफसर सेकंडरी शिक्षा राजेश्वर सलारीया की तरफ से सरकारी हाई स्कूल बनीलोधी के डी.पी.ई अध्यापक नरिन्दर लाल, सरकारी प्राइमरी स्कूल चश्मां के हैड टीचर प्रवीन सिंह और सरकारी प्राइमरी स्कूल ठाकुरपुर के हैड टीचर रकेश सैनी को स्टेट अवार्ड सर्टिफिकेट और दोशाला दे कर सम्मानित किया गया। जिस के साथ उनके नाम के साथ स्टेट अवॉर्डी शब्द जुड़ गया। इस मौके पर जिला कोआरडीनेटर एमआईएस मुनीश गुप्ता, स्टेनो तरूण पठानिया, स्मार्ट स्कूल कोआरडीनेटर संजीव मनी, बीपीईओ रिश्मां देवी, डीएम स्पोर्टस अरुण कुमार, सोहन लाल स्टेट अवॉर्डी, जिला कोआरडीनेटर मीडिया सेल बलकार अत्तरी, आदि उपस्थित थे।
इस मौके पर जिला शिक्षा अफसर सेकंडरी शिक्षा जसवंत सिंह, जिला शिक्षा अफसर एलिमेंट्री शिक्षा बलदेव राज और उप जिला शिक्षा अफसर सेकंडरी शिक्षा राजेश्वर सलारीया ने स्टेट अवार्ड प्राप्त करने वाले अध्यापकों नरिन्दर लाल, प्रवीन सिंह और रकेश सैनी को और उन के परिवारों के साथ-साथ अध्यापक वर्ग को मुबारकबाद देते कहा कि अध्यापक के पास वह कला होती है जो मिट्टी को सोना बना सकती है। किसी विद्यार्थी के लिए महान सपने की शुरूआत उस के अध्यापक से ही शुरू होती है। हर विद्यार्थी की ज़िंदगी में रोल माडल का होना बहुत जरूरी है, जिस से प्रभावित या प्रेरित हो कर वह अपनी जिंदगी को सही दिशा दे सकें। एक अध्यापक अपनी काबलीयत के साथ विद्यार्थी के दिमाग तक किसी बात को पहुंचा सकता है परन्तु वही बात विद्यार्थी के दिल तक उस समय उतरेगी जब एक अध्यापक विद्यार्थियों के लिए रोल माडल बने जिससे विद्यार्थी, अध्यापक की अहमीयत को समझने और उस के मुरीद हो जाएं। अध्यापक अपने विद्यार्थियों सामने ऐसी मिसाल पैदा करें जिससे वह भी यह बात कहें कि हम अपनी ज़िंदगी में अपने अध्यापक जैसे बनना चाहते हैं।

 जिले में पहली बार तीन अध्यापकों को मिला राज्य स्तरीय पुरुस्कार

अवार्ड प्राप्त अध्यापकों ने बताया कि पठानकोट को जिले का दर्जा मिले हुए 9 साल के लगभग समय हो गया है इस दौरान यह पहली बारी हुआ है कि जिला पठानकोट के तीन अध्यापकों को स्टेट अवार्ड मिला है। आधिकारियों ने स्टेट अवार्ड प्राप्त करने वाले तीनों अध्यापकों की तरफ से किये कामों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकारी हाई स्कूल बनी लोधी के अध्यापक नरिन्दर लाल ने अपनी सख्त मेहनत और समर्पण के बल पर स्कूल के मैदान को एक राज्य स्तरीय खेल मैदान के रूप में विकसित किया है। कोरोना के समय दौरान भी, वह ख़ुद खेल के मैदान की सफाई और सुन्दरीकरण के लिए प्रातःकाल आठ बजे से शाम पांच बजे तक सख़्त मेहनत करते थे। यह खेल मैदान लोगों से चंदा इकट्ठा करके विकसित किया गया है। नतीजे के तौर पर, विद्यार्थियों की खेल प्रति रूचि यहां बढ़नी शुरू हो गई। दूर -दूर से विद्यार्थी यहां खेलने के लिए आने शुरू हो गए। जिस कारण स्कूल में भी बच्चों की संख्या भी बढ़ी है। इन की प्रेरणा के साथ एक विद्यार्थी गोल्ड मैडल प्राप्त करने में भी सफल रहा है।

राकेश सैनी ने सरकारी स्कूल को स्मार्ट स्कूल में बदला

अध्यापक राकेश सैनी ने न सिर्फ स्कूल की नुहार बदली, बल्कि विद्यार्थियों की वृद्धि का सेहरा भी उन्हें दिया जा रहा है। अपनी इच्छाशक्ति की सहायता से उसने सरकारी प्राइमरी स्कूल को स्मार्ट स्कूल में बदल दिया। इसके लिए उसने लोगों की मदद भी ली। उनकी सख़्त मेहनत और समर्पण को देखते हुए, लोग भी सहायता देने में पीछे नहीं रहे। इमारत की मुरम्मत से ले कर इस की पेंटिंग्स तक, इस की तरफ विशेश ध्यान दिया गया है। पेंटिंग बच्चों को आकर्षित करने के लिए बनाईं गई हैं।

प्रवीन सिंह ने सरकारी स्कूल की नुहार को बदला

अध्यापक प्रवीन सिंह ने सरकारी प्राइमरी स्कूल चश्मां की नुहार को पूरी तरह बदल दिया। स्कूल के कमरों की हालत सुधारने की पहल करने के बाद, इमारत को गांव वासियों के सहयोग के साथ पेंट किया गया था। बच्चों के बैठने से ले कर, मैदान को नया रूप दिया गया. हालांकि कोरोना समय दौरान स्कूल बंद थे, फिर भी वह स्कूल को साफ़ सुथरा बनाने के लिए हर रोज समय निकालते थे। उसकी तरफ से स्कूल को नयी नुहार देने के बारे पूरे इलाको में चर्चा था। स्कूल को देख कर हर किसी का यही कहना है कि यह कोई प्राईवेट स्कूल होगा।