Paryushan Mahaparva मुक्ति मार्ग का प्रदर्शक होने से शिव प्रदाता है : प्रफुल्लप्रभाश्री

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श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
  • माता त्रिशला के चौदह स्वप्न की रजत झांकी का प्रदर्शन किया
  • पर्युषण पर्व के तहत आयड़ तीर्थ पर हुए विविध धार्मिक अनुष्ठान
  • साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की

Aaj Samaj (आज समाज), Paryushan Mahaparva, उदयपुर 17 सितम्बर:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में रविवार को पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के तहत धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि में श्रावक-श्राविकाएं उमड़ रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के पर्युषण महापर्व के तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि पर्युषण महापर्व की आराधना छठे दिन प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा की निश्रा में पर्वाधिराज महापव्र पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। श्रावक-श्राविकाओं में परमात्म भक्ति का अनुपम नजारा दृष्टिगोत हो रहा है तो प्रवचन श्रवण में भी उतना ही उत्साह नजर आ रहा है। इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्विायों ने कहा कि जैन संस्कृति का महापर्व पर्यापण आठ दिनों तक आध्यात्मिक जागृति करने वाला सम्यग ज्ञान, दर्शन चारित्र की शिक्षा प्रदान करने वाला अलौकिक सम्मण विद्यापीठ है।

इस महापर्व के आते ही सद्गुण का विकास होता है। अखण्ड जप-तप, जिनाचर्या पूजा परोपकार, साधर्मिक नात्सल्य आदि का ठाठ सर्वत्र नजर आने लगता है वस्तुत: अन्यात्माओं को विकट, विकराल अनन्त अपार भय स्तगर पार करवाने के लिए यह पर्वाधिराज अलौकिक तरणी है, दिव्य नोका है। सीक कल्पसूत्र के रूप में जिनवाणी का सुधावर्षी प्रवचन मुषण होता है। चौदह स्वप्न उतारने के पश्चात प्रभु महावीर का जन्म-वांचन सुना था। आज कल्पसूत्र पठन विधि के अनुसार भगवान महावीर का जन्म महोत्सव आपलक्रिडा, प्रभु का पाठशाला में जाना, भगवान का दीदरा महोत्सव इत्यादि का वर्णन सुनाया गया।

व्याख्यान में प्रभु महावीर का बिहार, उपसर्गों का प्रारम्भ, सामुद्रिक शास्त्री का प्रसंग, शूलपाणिचक्ष का उपसर्ग, प्रभु के इस स्वप्न, चण्डकौशिक सर्व का उपसर्ग, संगम देवता के घोर उपसर्ग, प्रभु महावीर का विलक्षण अभिग्रह और अंतिम उपसर्ग, केवल ज्ञान की प्राप्ति आदि की विवेचना तथा इन्द्र भूति आदि ग्यारह गण घर देवों की सपरिवार दीक्ष्य महावीर भगवान का निर्वाण कल्याणक गौतमस्वामी का के विकाप एवं केवलज्ञान आदि का वर्णन बताया गया। संक्रांति का दिन होने से राशि का नाम सुनाया गया। भगवान के द्वारा बताये गये सन्मार्ग पर चल कर मानव जीवन के उत्कर्ष को प्राप्त करना है। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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