Aaj Samaj (आज समाज),Partition Commemoration Day,पानीपत : ”वो भायवाह मंजर था सब और लाशे ही लाशे थी, दूध मुहे बच्चों को भी जालिमों ने नहीं बख्शा, धर्म बचा सब बचा धर्म गया सब गया, इतिहास हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।” हमारे बुजर्गों तथा पूर्वजों ने धर्म बचाने के लिए कितने बलिदान दिए उन बलिदानों को याद करने का दिन है विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस। हमारे पूर्वजों ने जमीन जायदाद गंवाई, धन गंवाया, व्यापार तथा काम धंधे गंवाए, यहां तक कि अपने सामने अपने परिजनों को कत्ल होते देखा, माताओं के लालों का उनके सामने ही कत्ल कर उनकी गोद को खाली कर दिया परंतु एक चीज थी, जो उन्होंने नहीं गंवाई वो था धर्म माताओं ने धर्म को अपने आंचल में मजबूती से बांधे रखा बुजर्गो में अपने सीने से लगाए रखा। ये शब्द राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक विजय ने एस डी कालेज में विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए कही।
- विभाजन के वक्त हुए जनसंहार की दस्ताने सुन सीहिर उठे लोग
- इतिहास हमे जिन गलतियों के कारण दर्द सहेने पड़े उनको पुनः ने दोहराने की सिख देता है : नीति सेन भाटिया
- विभाजन नेहरू व जिन्ना की गलत नीतियों के कारण हुआ :विजय
- हम आशा वादी है पुनः अखंड भारत बनेगा : विजय
धर्म और राष्ट्र की रक्षा व सुरक्षा सबसे जरूरी
विजय ने कहा कि आज हमे अपने बच्चो को सब किस्से बताने की आवश्यकता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपने संस्कारों और धर्म से मजबूती से जुड़े रहे। विजय ने कहा कि धर्म और राष्ट्र की रक्षा व सुरक्षा सबसे जरूरी है नही तो हमारा अस्तित्व मिट जाएगा। उन्होंने कहा की भारत का विभाजन नेहरू तथा जिन्ना के लालच के कारण हुआ विजय ने कहा कि हम आशावादी है एक दिन अवश्य अखंड भारत बनेगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी लोगो ने विभाजन की विभिषिक पर एक प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसमे विभिषिका का सजीव प्रदर्शन किया गया था उसका अवलोकन किया, उसके बाद सभी लोगो ने भारत माता के चित्र के सामने मोमबत्तियां जलाकर उन सभी हुतात्मा ओ को श्रद्धांजलि दी तथा नमन किया जिन्होंने से विभीषिका में अपने प्राणों की बलि दी परंतु धर्म की रक्षा की।
पीढ़ियां इन बलिदानियों को याद कर धर्मपरायणता की प्रेरणा लें सकेंगे
उसके बाद कार्यक्रम के संयोजक गजेंद्र सलूजा ने शाल ओढ़ाकर मुख्य वक्ता विजय सहित मंचस्त स्वामी दयानद सरस्वती, महंत अरुण दास तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष चौधरी नीति सेन भाटिया को सम्मानित किया। स्वागत के बाद कार्यक्रम संयोजक गजेंद्र सलूजा ने कहा कि भूलने लगा था समाज व देश अपने साथ हुए इस नरसंहार को जो उनके साथ हुआ था। ये तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आभार है की उन्होंने 14 अगस्त को विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस के रूप घोषित कर दिया। अब हम अपने उन सब बलिदानियों जो को धर्म के लिए उस जघन्य नरसंहार बलिदान हो गए थे, उनको सामूहिक रूप से आज याद कर उनको श्रद्धांजलि दे सके नमन कर सके। सलूजा ने कहा इसी दिन को याद कर हमारे बच्चे तथा आने वाली पीढ़ियां इन बलिदानियों को याद कर धर्मपरायणता की प्रेरणा लें सकेंगे।
बेटियों की इज्जत बचाने के लिए खुद ही उनका कत्ल करना पड़ा
गजेंद्र सलूजा ने मुख्य वक्ता तथा सभी उपस्थित लोगों का कार्यक्रम में भाग लेने केलिए हार्दिक आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में उस भयावह विभीषिका के किस्से उस वक्त जिन लोगों ने देखे तथा सहे सुनाए। लोगों ने बताया कि ऐसा भयावह मंजर था की हर तरफ लाशे ही लाशे थे। ”जालिम ट्रेनों को नदियों पर रोक कर लोगों को नदियों फेंक रहे थे, सड़के खून से लाल थीं तलाब तथा नालियां भी खून से लतपथ थी। जालिमों ने दूध मूहे बच्चों तक नही बक्सा उनको भी मार दिया। जब ये सब बताया जा रहा था पूरा सभागार स्तबभ था लोगो के बदन सिहिर उठे थे। इस समय भी आया कि लोगों ने अपनी बहन बेटियों की इज्जत बचाने के लिए खुद ही उनका कत्ल करना पड़ा।” स्वामी दयानंद ने कहा कि धर्म और राष्ट्र की रक्षा तथा सुरक्षा सबसे पहले रखे इनके कारण ही हमारा अस्तित्व है अन्यथा हमारे अस्तित्व पर ही संकट आ जाएगा। महंत अरुण दास ने कहा की 14 अगस्त का दिन विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस तो है ही इसको हम धर्म बलिदान दिवस मान उन धर्म बलिदानियों को अपनी श्रद्धानजी दे।
उनकी पीढ़ी अपने साथ हुए जुल्मों को ना भूले
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में चौधरी नीति सेन भाटिया ने कहा कि इतिहास हमे भले ही आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है, परन्तु इतिहास हमे उन गलतियों को पुनः न करने या दोहराने की सिख भी देता है जिनके कारण दुख दर्द सहने पड़े।
चौधरी नीति सेन भाटिया ने कहा कि इजराइल ने एक भूमिगत संग्रहालय बनाया हुआ है जिसमे उनके ऊपर हुए जुल्मों को दिखाया गया है। उनका यही उद्देश्य है कि आने वाली उनकी पीढ़ी अपने साथ हुए जुल्मों को ना भूले तथा राष्ट्र वाद याद रखे। मंच संचालन कवल नैन वर्मा ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से संजय भाटिया, महिपाल ढांडा, डा. अर्चना गुप्ता, राजेश गोयल, महेंद्र कंसल, गुलशन सेठी, अशोक चौहान, राजीव भाटिया विशाल गोस्वामी, ओम प्रकाश डावर, ईश्वर नंदा केसी नगपापल, संजीव ठाकुर आदि मौजूद रहे।
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