Parliamentary Committee: मिलावटी पदार्थ बेचने पर हो 6 माह जेल व 25 हजार जुर्माना

0
203
Parliamentary Committee
मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने पर हो 6 माह जेल व 25 हजार जुर्माना

Aaj Samaj (आज समाज), Parliamentary Committee, नई दिल्ली: भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाले एक संसदीय पैनल (समिति) ने सलाह दी है कि मिलावटी पदार्थ बेचने वाले को कम से कम छह महीने की कैद के साथ 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। समिति ने कहा है कि मिलावटी खाने का लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और इसके लिए जो सजा का मौजूदा प्रावधान है वह अपर्याप्त है। समिति का कहना है कि मिलावटी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ जनता को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन इसके लिए दी जाने वाली सजा नाकाफी है।

  • सजा का मौजूदा प्रावधान अपर्याप्त

समिति ने राज्यसभा को सौंपी है अपनी रिपोर्ट

मौजूदा कानून के तहत मिलावटी खाना बेचने की सजा अधिकतम छह महीने या एक हजार रुपए का जुर्माना या दोनों है। बता दें कि संसदीय समिति ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयकों के ड्राफ्ट का विश्लेषण किया और उसमें जरूरी बदलाव के लिए अपने सुझाव दिए। समिति ने बीते शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट राज्यसभा को सौंप दी है।

सामुदायिक सेवा को शामिल करने को अच्छा कदम बताया

समिति ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय न्याय संहिता में सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा को शामिल करने के कदम को अच्छा बताया। समिति ने कहा कि इससे जेलों पर भार कम होगा और इसे सुधारात्मक दृष्टिकोण से उठाया गया कदम बताया। हालांकि समिति ने ये भी कहा कि विधेयक में सामुदायिक सेवा की सजा की अवधि और प्रकृति स्पष्ट नहीं है और समिति ने इसे स्पष्ट करने की सलाह दी है।

सामुदायिक सेवा की परिभाषा स्पष्ट की जाए

संसदीय समिति ने सामुदायिक सेवा की परिभाषा स्पष्ट की जानी चाहिए और साथ ही एक व्यक्ति की निगरानी करने की भी सलाह दी है, जो दी गई सामुदायिक सेवा की निगरानी कर सके। समिति ने कहा है कि विधेयकों में कुछ व्याकरण और टाइपिंग की गलतियां हैं, जिन्हें सही करने की सलाह दी गई है। बता दें कि सरकार आईपीसी एक्ट की जगह भारतीय न्याय संहिता, कोड आॅफ क्रिमिनल प्रोसिजर एक्ट की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाने जा रही है। बीती 11 अगस्त को इन विधेयकों को लोकसभा में पेश किया था और अगले शीतकालीन सत्र में इन पर चर्चा होने की संभावना है।

यह भी पढ़ें :

Connect With Us: Twitter Facebook