Parliament Today Updates, (आज समाज), नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र का आज 20वां दिन था और इस मौके पर लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक’(वन नेशन, वन इलेक्शन बिल) को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने संबंधी संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश किया।
बता दें कि इस विधेयक को ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव विधेयक’ के रूप में जाना जाता है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी व एनसीपी सहित कई विपक्ष पार्टियों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक’ का विरोध किया। उन्होंने विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। वहीं एनडीए की सहयोगी तेदेपा ने विधेयक को समर्थन देने की बात कही। डीएमके सांसद टीआर बालू ने भी कहा कि विधेयक को जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए। एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी विधेयक का समर्थन किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में सुझाव दिया कि एक देश एक चुनाव विधेयक को बहस के लिए जेपीसी के पास भेजा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब विधेयक कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी कहा था कि इसे जेपीसी के पास भेजना चाहिए। बता दें कि सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी। समिति ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा था। पहला, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना और फिर आम चुनाव के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराना। इसने सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची की भी सिफारिश की है।
लोकसभा में एक देश एक चुनाव विधेयक के लिए स्पीकर ओम बिरला ने पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग करवाई गई। इसमें 369 सदस्यों ने वोट डाला। पक्ष में 220, विपक्ष में 149 वोट पड़े। कुछ सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई जिसके बाद वोट संशोधित करने के लिए फिर पर्ची से मतदान हुआ। इस दौरान विधेयक के पक्ष में ज्यादा सांसदों ने मतदान किया। इसके पक्ष में 269 वोट पड़े और 198 सांसदों ने विधेयक का विरोध किया। इसके बाद कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 को सदन में पटल पर रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
अर्जुन मेघवाल ने केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 से जुड़े कानूनों में संशोधन का भी प्रस्ताव रखा। ये बदलाव दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों को एक साथ चुनाव कराने के प्रस्तावित ढांचे के साथ जोड़ना चाहते हैं। इसके माध्यम से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए भी संशोधन किया जा सकता है।
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