Aaj Samaj (आज समाज), Parliament Report, नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र के अंतिम दिन कल लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। ये तीनों बिल भारतीय आपराधिक प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाने वाले हैं। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य बिल 2023 शामिल हैं। ये बिल 1860 के इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), 1973 के कोड आफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और 1872 के एविडेंस एक्ट का स्थान लेंगे। नए बिल में मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा का प्रावधान है।
- आईपीसी को वर्ष 1860 में अंग्रेजों ने बनाया
- यह देश की आपराधिक न्याय प्रणाली का मूल
मौजूदा कानून में मॉब लिंचिग से हत्या पर नहीं अलग प्रावधान
मौजूदा कानून के अनुसार आईपीसी में मॉब लिंचिग से हत्या के लिए अलग प्रावधान नहीं है। इन मामलों में पुलिस 302 के तहत हत्या का केस दर्ज करती है। आईपीसी का स्थान लेने वाले नए विधेयक में राजद्रोह के प्रावधानों को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। आईपीसी को 1860 में अंग्रेजों ने बनाया था, यह 163 साल से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली का मूल रहा है।
राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म होगा
अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक कानून में बदलाव के तहत अब मॉब लिंचिंग के लिए नया कानून बनाया जाएगा। ऐसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान भी किया जाएगा। साथ ही राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा, नाबालिग से दुष्कर्म पर भी मौत की सजा का प्रावधान रखा गया है। नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में सजा को प्राथमिकता दी गई है।
अगले चार साल तक देश के सभी कोर्ट कंप्यूटराइज होंगे
गृह मंत्री ने कहा, वर्ष 2027 से पहले देश की सभी कोर्ट को कंप्यूटराइज करेंगे। किसी को भी गिरफ्तार करने पर उसके परिवार वालों को सबसे पहसे जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा, सरकार की तरफ से इंडियन क्रिमिनल लॉ में लाए जा रहे कई बड़े बदलावों से देश को गुलामी की सभी पुरानी निशानियों से छुटकारा मिलेगा।
इन नए प्रावधान से गुलामी की सभी पुरानी निशानियों से छुटकारा मिलेगा
- नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी, जबकि पहले इसमें कुल 511 धाराएं होती थी।
- देश छोड़कर भागने वाले अपराधियों की अनुपस्थिति में कानूनी प्रक्रिया में पूरी तरह दोषी करार देने का प्रावधान।
7 साल से ज्यादा की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक टीम की तरफ से सबूत जुटाए जाएंगे। - अब कोर्ट को सुनवाई पूरी होने के 30 दिन बाद किसी भी सूरत में फैसला सुनाना होगा।
- तलाशी-जब्ती को लेकर अब वीडियो बनाना अनिवार्य होगा।
- भारतीय साक्ष्य कानून (कएअ) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लेगा।
- गुनाह किसी भी इलाके में हुआ हो, लेकिन एफआईआर देश के किसी भी हिस्से में दर्ज की जा सकेगी।
- बच्चों और महिलाओं साथ अपराध के मामले में 10 वर्ष तक की सजा।
- 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होगी। 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी।
- लव जिहाद पर कार्रवाई के लिए पहचान बदलकर यौन शोषण करने वाले को सजा का प्रावधान होगा।
- नाबालिग बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार की सूरत में मृत्यु दंड का प्रावधान होगा।
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