Parliament Budget Session: लोकसभा का बजट सत्र, विपक्ष की रणनीति नहीं भांप पाई सरकार

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Parliament Budget Session लोकसभा का बजट सत्र, विपक्ष की रणनीति नहीं भांप पाई सरकार
Parliament Budget Session : लोकसभा का बजट सत्र, विपक्ष की रणनीति नहीं भांप पाई सरकार

Parliament Budget Session News, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3.0 सरकार के बजट सत्र के पहले सप्ताह में विपक्ष एक बार फिर हावी दिखाई दिया। सरकार के फ्लोर मैनेजर विपक्ष के रुख को भांप नहीं पाए। सरकार उम्मीद कर रही थी कि विपक्ष हंगामे पर ज्यादा फोकस रखेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र रहा हो या अब बजट सत्र का पहला सप्ताह सरकार की रणनीति कहीं ना कहीं गड़बड़ाई दिखाई दी। सत्ता पक्ष के सांसद हों या मंत्री विपक्ष को ठीक से हैंडल नहीं कर पा रहे हैं। एक तरह से प्रधानमंत्री मोदी पर ही पूरी तरह से निर्भरता दिखाई दे रही है।

विरोध के लिए विरोध की राजनीति कर रहा विपक्ष

हालांकि विपक्ष के रवैए से तो यह लग रहा है कि वह विरोध के लिए विरोध की राजनीति कर रहा है न कि एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभा रहा है। लोकसभा चुनाव में 99 सीट पाने के बाद तो कांग्रेस इस तरह का व्यवहार कर रही है जैसे दोनों सदनों में कोई कामकाज ही सुचारू रूप से नहीं होने देना। विपक्ष के इस रवैए से दोनों सदनों के अध्यक्ष भी कई बार निराश और गुस्से में दिखाई दिए।

18वीं लोकसभा में दोनों सदनों में बदला सीन

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के पहले दोनों कार्यकालों में विपक्ष बहुत ही कमजोर था। खास तौर में लोकसभा में। इसके चलते सरकार और स्पीकर को कामकाज चलाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। हालांकि सीमित संख्या के विपक्ष ने पहले के दोनों कार्यकालों में व्यवधान डालने में कोई कमी नहीं रखी। इसके चलते बड़ी संख्या में विपक्ष के सांसदों पर करवाई भी की गई। सरकार किसी भी बिल को आसानी से दोनों सदनों में पारित करवा लेती थी। शायद इसके चलते भी सरकार के फ्लोर मैनेजरों ने कभी विपक्ष को साधने की कोशिश नहीं की। लेकिन 18वीं लोकसभा में दोनों सदनों में ही सीन बदल गया।

आपातकाल का जिक्र, बैकफुट पर आई कांग्रेस

बीजेपी की उम्मीद से कम सीट आने और सहयोगियों की मदद से बनी राजग सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने आक्रमक रणनीति अपना ली। पहले सत्र में संविधान और आरक्षण बचाओ के नाम पर कांग्रेस और उनके नेता राजग सरकार पर हमलावर रहे। वो तो प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल का जिक्र करवा उसे आगे बढ़ाया तब कांग्रेस बैक फुट पर आई।लेकिन तब तक उसने अहसास करवा दिया था कि आगे भी सदन में कामकाज आसानी से नहीं होने देंगे। हालांकि प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अति उत्साह में ऐसी परंपरा को जन्म दे दिया जो उनको भी भारी पड़ेगा।

राहुल खुद कर रहे थे हंगामे का नेतृत्व

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री मोदी जब भाषण दे रहे थे तो राहुल खुद हंगामे का नेतृत्व कर रहे थे।अब जब बजट सत्र शुरू हुआ तो विपक्ष ने अपनी रणनीति बदल दी।जिसका आभास सरकार के फ्लोर मैनेजर लगा नहीं पाए।सरकार उम्मीद कर रही थी कि पहले सत्र की तरह हंगामा कर विपक्ष कामकाज नहीं होने देगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बजट सत्र के पहले दिन ही नीट और पेपर लीक को लेकर सरकार पर हमला बोल दिया।इस पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ उनकी नोक झोंक भी हुई।सदन में हंगामा हुआ।विपक्ष के तेवरों से लग गया था रणनीति बदल दी गई है। वह बाद में दिखी भी।

विपक्ष ने बजट को भेदभाव वाला बताया

विपक्ष ने बजट भाषण में तो बहुत ज्यादा टोका टोकी नहीं की,लेकिन उसके बाद विपक्ष ने बजट को भेदभाव वाला,विभाजनकारी,सरकार बचाने वाला न जाने क्या आरोप लगा कांग्रेस ने नीति आयोग की बैठक के वहिष्कार की घोषणा कर दी। सदन के अंदर बाहर सरकार पर हमलावर हो गई। दोनों सदनों में सरकार को बोलने ही नहीं दिया।मतलब विपक्ष की रणनीति साफ दिखी कि अपनी बारी में अपने हिसाब से सदन चलाएंगे और सरकार के समय एजेंडा हम तय करेंगे।बजट पर चर्चा के दौरान पूरे हफ्ते यही देखने को मिला।

तय रणनीति के तहत वित्तमंत्री के भाषण का बायकॉट किया

राज्यसभा में तो हद तब हो गई सदन के सबसे वरिष्ठ और उम्रदराज नेता मल्लिकार्जुन खरगे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को माता जी तक बोल गए। सभापति जगदीप धनखड़ को बोलना पड़ा आप की बेटी के समान हैं। विपक्ष ने तय रणनीति के तहत वित्तमंत्री के भाषण का बायकॉट कर दिया। इसी तरह लोकसभा में विपक्ष के नेताओं ने अपनी बारी में हमले का कोई मौका नहीं छोड़ा। टीएमसी के नेता और कांग्रेस के सांसदों ने भी मौका देख सरकार पर अपने हिसाब से हमला बोला।

लोकसभा में हद तब हो गई जब…चरणजीत सिंह चन्नी

लोकसभा में हद तब हो गई जब कांग्रेसी सांसद चरणजीत सिंह चन्नी भूल गए कि वह संसद में भाषण दे रहे हैं,जो मुंह में आया बोल गए।ऐसा लगा अपने नेता राहुल गांधी को खुश कर रहे हैं। उनके किसानों पर बोले झूठ को लेकर सदन में हंगामा हो गया। चन्नी के झूठ को लेकर राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू भड़क उठे।नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी।स्पीकर के पास करवाई स्थगित के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा।राज्यसभा में भी कमोवेश यही स्थिति दिखाई दी। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को बड़ा मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस ने अपने को फंसता देख कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शांति से भाषण ही नहीं देने दिया।

धनखड़ की चेतावनियों से भी नहीं माना

चौहान यूपीए शासन के किसानों और एमएसपी पर किए गए फैसलों की जानकारी दे रहे थे विपक्ष हंगामा करने लगा।सभापति जगदीप धनखड़ की चेतावनियों से भी नहीं माना। धनखड़ ने कांग्रेसी सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम ले कर बोलना पड़ा मुंह मत खुलवाओ।कांग्रेस ने किसानो के लिए क्या किया सब पता।लेकिन कांग्रेस तो हंगामे पर अडिग रही।सदन की करवाई स्थगित की गई।दोबारा शुरू होने पर भी कृषि मंत्री को अपना भाषण हंगामे के बीच ही पढ़ना पड़ा।बजट सत्र के पहले हफ्ते ने संकेत दे दिए है कि सरकार को नई रणनीति पर काम करना होगा।

रियाणा,महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव

फ्लोर मैनेजरों को ही बातचीत से रास्ता निकालने के साथ अपने सांसदों को भी आक्रमक बनाना होगा।हालांकि विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस के तेवरों से साफ है कि बजट सत्र में वह सरकार को शांति से बोलने नहीं देगी। शायद अक्तूबर नवंबर में होने वाले हरियाणा,महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव के लिए कांग्रेस की सरकार पर हमलावर बने रहने की रणनीति हो। तीन राज्यों के चुनाव परिणाम ही आगे की स्थिति साफ करेंगे। जो जीतेगा उसे ताकत मिलेगी।