डाॅ.श्रीकृष्ण शर्मा | नई दिल्ली। भारत ने पेरिस ओलंपिक में कुल छह पदको के साथ अपने अभियान को समाप्त किया। दो सप्ताह से अधिक तक चलने वाला खेलों का महाकुंभ आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है। पेरिस ने अपने शानदार समापन के बाद लॉस एंजेलिस को कमान सौंप दी। 26 जुलाई से 11 अगस्त तक आयोजित किए गए खेलों के इस महाकुंभ में दुनियाभर के करीब 205 देशों के करीब 9 हजार खिलाडियों ने भाग लिया।
इन खेलों का अगला संस्करण 2028 में अमेरिका लॉस एंजिलिस में होना तय हुआ है। दो कास्य पदक जीतने वाली महिला निशानेबाज मनु भाकर और कांस्य पदक जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश भारतीय ध्वजवाहक के तौर पर पेरिस ओलंपिक के समापन समारोह में शामिल हुए।
भारत के कुल 112 खिलाडियों ने 16 खेलों के कुल 69 पदक मुकाबलों में भाग लिया.। इनके अलावा पांच रिजर्व खिलाडी के रूप में टीम के साथ रहे। इन ओलंपिक खेलों में जीते गए छह पदकों सहित भारत ने अब ओलंपिक खेलों में 10 स्वर्ण पदक सहित कुल 41 पदक जीते हैं। जिनमें 8 स्वर्ण पदक पुरूष हाॅकी के हैं। एक शूटिंग में अभिनव बिंद्रा का और एथलेटिक्स के भाला फेंक में नीरज चोपड़ा का स्वर्ण पदक है।
इन ओलंपिक खेलों में जीते गए छह पदकों में पांच ब्रॉन्ज और एक सिल्वर शामिल है.। रजत पदक की जीत एथलेटिक्स (भाला फेंक) में रही। पांच कांस्य पदकों में शूटिंग में भारत ने तीन ब्रॉन्ज मेडल, कुश्ती और हॉकी में भी एक-एक ब्रॉन्ज मेडल जीतने मे सफलता हासिल की। पेरिस ओलंपिक खेलों में ओलंपिक में कोई कोई स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने के कारण भारत का अभियान फीका ही माना जाना चाहिए।
इन ओंलपिक खेलों में भारत का खाता खोला मनु भाकर ने। उनके खाते में फिर दो कांस्य पदक दर्ज हुए। पहला 10 मीटर एयर पिस्टल में और दूसरा ब्रॉन्ज 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड में सरबजोत सिंह साथ मिलकर जीता गया। । तीसरा शूटिंग में जीता गया पदक पुरूष वर्ग में 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में मिला।
जो स्वप्निल कुसाले ने जीता। पुरूष हाॅकी ने भी लगातार इन ओलंपिक खेलों में भी पदक जीत कर भारतीयों की उम्मीदों को बनाए रखने वाला काम किया। कुश्ती में पुरूष वर्ग में कांस्य पदक की कामयाबी अमन सहरावत ने 57 किलो वर्ग की फ्रीस्टाइल में दिलाई। जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने सिल्वर मेडल जीता। इन ओलंपिक खेलों में पिछले टोक्यो ओलंपिक खेलों में किए गए प्रदर्शन से फीका प्रदर्शन हमारे खिलाडियों का रहा है।
पिछले ओलंपिक खेलों में भारत ने 1 स्वर्ण पदक सहित कुल 7 पदक जीतने में सफलता पाई थी। जो अपने इतिहास में किए गए ओलंपिक खेलों में प्रदर्शन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। टोक्यों में भारत पदक तालिका में भी 48वें स्थान पर था। जो इस बार पिछडकर 71वें पायदान पर चला गया है।
जिसमें स्वर्ण पदक नहीं जीत पाना कारण रहा। पदक तालिका में अमेरिका ने चीन को इन ओलंपिक खेलों में भी दूसरे स्थान धकेलकर खुद ने पहला स्थान करकरार रखां। तीसरे स्थान पर जापान रहा। इस बार भारत को तो निराशा हाथ लगी। कुछ ठगा सा महसूस हो रहा है। क्योंकि जिस तरह से तैयारियां चल रही थीं और तमाम खेल तंत्र अपने सभी साधन और सुविधाएं खिलाडियों को मुहैया करा रहे थे तो लग रहा था कि इस बार भारतीय पदकोें की सफलता दहाई तक पहुंच जाएगी। खिलाडियों ने भी पूरी जान झोंक दी थी।
लेकिन पदकोें का आंकडा कम रह जाने से इस पर चिंतन की जरूरत महसूर होने लगी है कि आखिर चूक कहां रही और उसे कैसे दुरूस्त किया जा सकता है ?
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