करनाल : ओलम्पिक खेलों में पदक जीतने पर अभिभावकों व बच्चों का खेलों के प्रति बढ़ा रूझान

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kids in stadium
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प्रवीण वालिया, करनाल:
ओलम्पिक में कुश्ती में 2 पदक और हॉकी में 41 सालों के बाद बेहतरीन प्रदर्शन के साथ 1 मेडल आने पर अब स्टेडियम में बच्चों की रुचि और बढऩे लगी है। माँ-बाप भी हॉकी, कुश्ती, एथेलैटिक्स में रुचि दिखा रहे हैं। पिछले 4 दिनों में यहां प्रैक्टिस के लिए बच्चों की आने वाली संख्या में दोगुना इजाफा देखने को मिला है। हॉकी कोच ब्रिज भूषण का कहना है कि एक वो खिलाड़ी जिन्होंने टोक्यो में भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया और भारत को अलग-अलग खेलों में 7 पदक दिलाकर देश का दुनिया में परचम लहराया। कुश्ती, हॉकी, एथेलेटिक्स अब बच्चों के पसन्दीदा खेल बनते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चों के मां-बाप भी उन्हें पूरा सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं। करनाल में स्टेडियम में हॉकी, कुश्ती खेलने के लिए अब अब 6 -6 साल के बच्चे भी मैदान में उतरने लगे हैं। उतरें भी क्यों ना, क्योंकि हॉकी का युग बदल रहा है, पुरुषों की टीम ने जहां इस बार मेडल दिलवाया। वहीं महिला हॉकी टीम ने अपने खेल से सबका दिल जीत लिया। लडके हो या लड़कियां सब अपने हाथों में छोटी सी ही उम्र में हॉकी स्टिक लेकर स्टेडियम में अपना दमखम दिखाते नजर आ रहे हैं। हॉकी में दिलचस्पी दिखाते हुए पिछले 3-4 दिनों में सीखने वाले बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई है, इस बात से कोच भी खुश हैं। कुश्ती कोच वजीर मालिक ने बताया कि कुश्ती में बजरंग, रवि, दीपक पुनिया ने जो खेल दिखाया उसके बाद प्रैक्टिस करने के लिए और बच्चे कुश्ती के मैट पर पहुंचने लगे हैं क्योंकि उनका उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया है, बच्चों के अभिभावक भी जहां रूचि दिखा रहे हैं, वहीं कोच भी खुश हैं कि इन खेलों को भी अब टोक्यो ओलम्पिक के बाद एक नायाम मिल रहा है। एथेलैटिक्स में भी प्रैक्टिस के लिए स्टेडियम में आने वाले बच्चे बढ़ रहे हैं। अभिभावक विकास शर्मा ने बताया कि बात साफ है, समय बदलता है और टोक्यो ओलम्पिक ने पूरे भारत की तस्वीर बदल कर रख दी। देश के बच्चों से लेकर अभिभावकों का नजरिया बदल गया है। उम्मीद है कि ये जो नए नए छोटे छोटे बच्चे अपनी दिलचस्पी कुश्ती, हॉकी, एथेलेटिक्स की तरफ बढ़ा रहे हैं, इसे बरकरार रखेंगे और भविष्य में भारत का नाम रोशन करेंगे।