Panipat Thalassemia Welfare Society : एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में पानीपत थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में 11वें मेगा नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का भव्य आयोजन

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Panipat Thalassemia Welfare Society.
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  • शहरी विधायक प्रमोद विज ने शिविर में पधार किया थैलेसीमिया मरीजों का उत्साहवर्धन
  • थैलेसीमिया से लड़ने और इसके इलाज के लिए सरकार हर संभव सहायता के लिए प्रतिबद्ध है : प्रमोद विज

Aaj Samaj (आज समाज),Panipat Thalassemia Welfare Society,पानीपत: एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में पानीपत थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में 11वें मेगा नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का भव्य आयोजन किया गया, जिसमे थैलेसीमिया के 55 मरीजों के साथ कॉलेज की एनएसएस यूनिट्स के स्वयंसेवकों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वक्ता पानीपत शहरी विधायक प्रमोद विज रहे। मुख्य अतिथि का स्वागत पानीपत थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष विक्रांत महाजन, जनरल सेक्रेटरी शिवाली चावला और कोषाध्यक्ष जतिन मक्कड़ ने किया । कार्यक्रम में राष्ट्रीय थैलेसीमिया सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी डॉ जेएस अरोड़ा, बीएलके मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली में थैलेसीमिया के एक्सपर्ट डॉ रवि शंकर एवं गौरव लालवानी, वेदांता क्लिनिक पानीपत से डॉ कृष्णा और बीएलके मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली के मार्केटिंग मैनेजर नागेश कुमार ने हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि शहरी विधायक प्रमोद विज और मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा और एनएसएस अधिकारी डॉ राकेश गर्ग ने किया। इस शिविर में लगभग 55 थैलेसीमिया ग्रस्त मरीजों की जांच की गयी और उनसे अन्य मरीजों को जागरूक कराने की शपथ उठाई गयी।

 

 Panipat Thalassemia Welfare Society.
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थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है

प्रमोद विज शहरी विधायक ने कहा कि थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में बाधित होती है, जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है। थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है जो काफी घातक हो सकता है। किन्तु माता-पिता में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी भी बच्चे को कोई खतरा नहीं होता है। यदि माता-पिता दोनों को माइनर रोग है तब भी बच्चे को यह रोग होने की 25 प्रतिशत संभावना है। अतः यह जरूरी है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपने खून का टेस्ट अवश्य कराएं। इस रोग का इलाज़ भी काफी महंगा है, परन्तु वर्तमान सरकार महंगे से महंगे इलाज और मशीनों को आमजन तक आसानी से सुलभ कराएगी। ऐसी बिमारी का ग्रस्त कोई भी रोगी उनसे संपर्क कर सकता है।

आनुवंशिक परामर्शदाता से हमें अवश्य बात करनी चाहिए

डॉ जेएस अरोड़ा राष्ट्रीय थैलेसीमिया सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी ने कहा कि हम थैलेसीमिया को नहीं रोक सकते लेकिन आनुवंशिक परीक्षण से पता चल सकता है कि हम या हमारे साथी में यह जीन है या नहीं। यदि हम गर्भधारण करने की योजना बना रहे हैं तो इस जानकारी को जानने से आपको अपनी गर्भावस्था की योजना बनाने में मदद मिल सकती है। परिवार नियोजन पर मार्गदर्शन के लिए आनुवंशिक परामर्शदाता से हमें अवश्य बात करनी चाहिए। प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि थैलेसीमिया का इलाज करने के लिए मरीज को विशेष दवाएं दी जाती हैं जिनकी मदद से अतिरिक्त आयरन को पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इसके अलावा मरीज को स्वास्थ्यकर आहार व अन्य सप्लीमेंट (जैसे फोलिक एसिड) आदि भी दिए जाते हैं ताकि शरीर को स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद मिलती है। सरकार द्वारा ऐसे मरीजों को दी जा रही सुविधाओं से वे अत्यंत संतुष्ट है।

बच्चों का विकास रूक जाता हैं और वे उम्र से काफी छोटे नजर आते हैं

डॉ राकेश गर्ग एनएसएस अधिकारी ने कहा कि बच्चों के नाखून और जीभ पिली पड़ जाने से पीलिया या जॉन्डिस जैसे लक्षण थैलेसीमिया के होने के सबूत है। इसके होने पर अक्सर बच्चों के जबड़ों और गालों में असामान्यता आ जाती हैं, बच्चों का विकास रूक जाता हैं और वे उम्र से काफी छोटे नजर आते हैं। उनका चेहरा सूखता जाता है, वजन नहीं बढ़ता है और उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। थैलेसीमिया पी‍डि़त के इलाज में बाहरी रक्त चढ़ाने और दवाइयों की अधिक आवश्यकता होती है। इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते है और आगे चलकर यह बच्चे के जीवन के लिए खतरा साबित होता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है रक्त की जरूरत भी बढ़ती जाती है। हरियाणा सरकार जो कुछ भी इन मरीजों के लिए कर रही है वह सलाम के काबिल है।