अनुरेखा लांबरा
पानीपत। मन में कुछ करने का जुनून हो तो परिस्थितियां भी अपने अनुकूल हो जाती है। त्याग, समर्पण और सहभागिता से सारे काम आसान हो जाते है। जिस काम को करने की ठान लें तो सभी की भागीदारी से कार्य संवर जाते है। यह करके दिखाया है पानीपत के आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के युवा प्राचार्य मनीष घनघस ने। प्राचार्य मनीष घनघस ने इसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की और अब इसी के प्राचार्य बनकर विद्यालय की सूरत और सीरत बदल रहे है। गौरतलब है कि पूरे जिले में मनीष सबसे कम उम्र के युवा प्राचार्य हैं। मनीष घनघस ने जब इस विद्यालय में प्राचार्य पद पर ग्रहण किया तो विद्यालय का माहौल प्रतिकुल था, लेकिन उनके प्रयासों से मात्र डेढ़ वर्ष में ये स्कूल जिले में एक मिसाल बन गया है।
मन में था कि स्कूल को हर स्तर पर ऊंचा उठाना है
इंटरव्यू के दौरान प्राचार्य मनीष घनघस ने बताया कि वह इसी स्कूल के छात्र रहे हैं और ये आजादी से पूर्व का स्कूल है, मन में था कि इस स्कूल को हर स्तर पर ऊंचा उठाना है। मनीष बताते है कि विद्यालय के पुराने प्राचार्य जब सेवानिवृत हुए तो स्कूल मैनेजमेंट ने अखबार में नए प्राचार्य के लिए विज्ञापन दिया था, इसी विज्ञापन को देख मनीष ने प्राचार्य पद के लिए आवेदन किया और इनका चयन भी हो गया। इसका कारण कहीं ना कहीं ये भी रहा होगा कि स्कूल के माहौल को बदलने के लिए उम्रदराज प्राचार्यों की बजाय अब युवा को मौका देना एक बेहतर विकल्प था। मैनेजमेंट की शर्तों और प्राचार्य पद के मुताबिक मनीष योग्य पाए गए और मैनेजमेंट ने उन्हें विद्यालय की कमान सौंप दी।
मात्र तीन माह में छात्रों की संख्या 1450 पर पहुंच गई
मनीष बताते हैं कि जिस वक्त उन्होंने स्कूल ज्वाइन किया तब स्कूल की स्ट्रेंथ बहुत ही कम थी। छात्रों की संख्या मात्र 360 और माहौल भी अनुकूल नहीं था। अलबत्ता प्राचार्य मनीष की सूझबूझ, कड़ी मेहनत और टीम वर्क से मात्र तीन माह में छात्रों की संख्या 1450 पर पहुंच गई, स्कूल के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। विद्यालय स्टाफ में करीब 68 शिक्षक हैं। इस बार नए स्कूल सत्र में कक्षा पहली से आठवीं तक इस स्कूल को को -एड किया जा रहा है। साथ ही विद्यालय में सीबीएसई बोर्ड शुरू कर दिया गया है। मनीष बताते हैं कि पहले स्कूल 5वीं कक्षा से शुरू था, उन्होंने तीसरी कक्षा से शुरू किया और इस साल से कक्षा पहली भी शुरू कर दी है। माना कि अब इस स्कूल में बच्चा कक्षा पहली से ही दाखिला ले सकता है।
नई उपलब्धियां
1.खुद का बुक बैंक : आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पानीपत का ऐसा पहला स्कूल है, जिसका खुद का बुक बैंक है। विद्यार्थियों के लिए एनसीआरटी सिलेब्स की किताबें उपलब्ध हैं। विद्यार्थियों को किताबों के लिए अन्यत्र कहीं जाने की जरूरत नहीं है। स्कूल से ही किताबें ले और अगले कक्षा में जाते ही पिछली कक्षा की किताबें स्कूल में ही जमा करा दें और अगली कक्षा की किताबें फिर से स्कूल से ही लें।
2. प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग : मनीष बताते हैं कि उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे जो आईआईटी, नीट जैसे एग्जाम क्लियर करने के लिए कोचिंग संस्थानों की लाखों रुपए की फीस देने में समर्थ नहीं है, ऐसे बच्चों के लिए जेनेसिस और फिदजी के साथ टाई अप किया है, जिसके तहत इन कोचिंग संस्थानों को मनीष अपने स्कूल कैंपस को बिना किराया इस्तेमाल में देंगे और स्कूल की छूटी होने के बाद 2 बजे से 5 बजे तक तीन घंटे की क्लास लगाई जाएगी। मनीष ने बताया कि कैंपस को इस्तेमाल के एवज में इनके स्कूल के बच्चों को निशुल्क कोचिंग दी जाएगी, और बाहर से आने वाले बच्चों से जायज फीस ली जाएगी।
3. खुद की क्रिकेट एकेडमी शुरू : मनीष ने बताया कि उन्होंने स्कूल की खुद की क्रिकेट एकेडमी शुरू की है, जिसमें आउट साइडर्स के लिए 40 हजार रुपए एक साल की फीस निर्धारित की गई है, वहीं इसी स्कूल के बच्चों के लिए कोई शुल्क नहीं रहेगा। स्कूल में पहले स्पोर्ट्स एक्टिविटी ना के बराबर थी, इंडोर गेम्स नहीं थे।
4. इंडोर गेम्स शुरू : मनीष बताते है कि उनके ज्वाइन करने के एक साल के अन्दर ही इंडिविजुवल गेम्स में राज्य स्तर पर तीन बच्चों ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया और जिला स्तर पर 16 बच्चों ने गोल्ड मेडल हासिल किए। इसके साथ है स्कूल में इंडोर गेम्स शुरू किए, बेडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केट बॉल आदि शुरू किए। साथ ही बच्चे संगीत और चित्रकारी में भी ढेरों पुरस्कार जीत रहे हैं।
5. बिना पिता के बच्चों को 50 प्रतिशत की छूट : मनीषा ने बताया कि उनके स्कूल में 1450 बच्चों में से 287 बच्चों के सिर पर पिता का साया नहीं है। ऐसे बच्चों को स्कूल फीस फीस में 50 प्रतिशत की रियायत दी जा रही है, इसके साथ ही अगर तीन बच्चे इसी स्कूल में है तो एक बच्चे की शिक्षा पूरी तरह से निशुल्क रखी गई है। फीस में रियायत प्राप्त करने के लिए छात्र को अपने एडमिशन फॉर्म/एप्लीकेशन के साथ पिता का डेथ सर्टिफिकेट सलंगन करना होगा।
शिक्षा व्यवसाय नहीं
मनीष का कहना है कि पैसों से शिक्षा लेनी है तो शहर में सैंकड़ों स्कूल है, लेकिन उनका मकसद शिक्षा को व्यवसाय बनाना नहीं है, बल्कि हर उस मध्यमवर्गीय और गरीब बच्चे तक शिक्षा पहुंचाना है, जो भारी भरकम फीस का बोझ वहन नहीं कर सकते। अक्सर ऐसे बच्चे पढ़ाई में रुचि रखते हैं और योग्य भी होते हैं तो आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को कम फीस पर पढ़ाई के साथ खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों, प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अव्वल बनाने का बेहतर प्रयास किया जा रहा है। लिहाजा मनीष टीम वर्क में विश्वास रखते है, इसलिए सब को सम्मान देते हुए साथ मिलकर हर योजना पर राय करते हैं और उसका क्रियान्वन करते हैं। उसी का परिमाण है कि आज इस स्कूल में एक समय जहां 360 छात्र पढ़ते थे, लेकिन अब इस स्कूल की ये हालत है कि लोग अपने बच्चे का एडमिशन कराने के लिए लाइन लगा रहे है। इसके लिए प्राचार्य मनीष अपने स्टाफ/टीम के साथ पुरजोर मेहनत कर रहे है।
हर कार्य को पूर्व योजना के तहत क्रियान्वित करते है मनीष
प्राचार्य मनीष विद्यालय समय के बाद भी कार्यालय में काम करते है। वहीं अवकाश के दिन जरूरी कार्य होता है तब भी काम करने के लिए विद्यालय पहुंच जाते है। वहीं विद्यालय के परीक्षा परिणाम के साथ नामांकन में भी बढ़ रहा है। एक प्राचार्य ने केवल डेढ़ साल में एक खस्ताहाल स्कूल की तस्वीर पूरी तरह से बदल दी है। मनीष की दिनचर्या सुबह 4 बजे उठने से शुरू होती है। सुबह स्टाफ के पहुंचने से पहले 7:30 बजे स्कूल में पहुंच जाते हैं, और बच्चों को अनुशासन और रोजाना पूरी वर्दी में आने के लिए प्रेरित करते है। प्राचार्य मनीष अपने हर कार्य को पूर्व योजना के तहत क्रियान्वित करते है। सोने से पूर्व अगले दिन की योजना और कार्यों को एक डायरी में नोट करते है, अगले दिन उसी मुताबिक कार्य करते हैं। मनीष एक का परिवार के शिक्षित परिवार है। खुद एमसीएस फिजिक्स एवं बीएड हैं। घर में एक छोटा बेटा है, डॉक्टर रिटायर्ड पिता हैं, भाई आईटी सेक्टर में इंजीनियर है, बहन – जीजा गवर्नमेंट टीचर हैं, पत्नी व मां भी टीचर है। कक्षा 12वीं के बाद की शिक्षा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से हुई है।
यंगर प्रिंसिपल और टाइम चेंजर के सम्मान से नवाजा
मनीष जिले के सबसे युवा प्राचार्य हैं, जो अपनी जिम्मेदारी को बखूभी निभा रहे हैं। युवाओं की सोच व आदतों और बड़े बुजुर्गों से सीख का अनुभव दोनों से तालमेल बनाते हुए एक बेहतर तरीके से स्कूल को बुलंदियों पर पहुंचा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें राज्यपाल देवव्रत आर्य ने भी सम्मानित किया और विशेष रूप से अपने साथ भोजन पर आमंत्रित किया। साथ ही शहर के नारी तू नारायणी सहित विभिन्न संगठनों व संस्थाओं ने भी कम समय में इतनी उपलब्धियों के लिए उन्हें सम्मानित किया। भारत विकास परिषद ने यंगर प्रिंसिपल और टाइम चेंजर के सम्मान से नवाजा। मनीष अपनी इन उपलब्धियों का श्रेय स्कूल मैनेजमेंट और अपने स्टाफ को देते है, जो हर कदम पर उनको सहयोग दे रहे है।