पानीपत :हरियाणा और उत्तर प्रदेश यानी 2 राज्यों के दिलों को आपस में जोड़ने वाले करीब 84 करोड़ 36 लाख रुपए की लागत से बनाए जाने वाले यमुना पुल के नीचे से डायवर्ट किया गया यमुना पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण मिट्टी का कटाव ज्यादा होता जा रहा है जिससे किसानों को डर है कि कहीं उनकी जमीनों तक कटाव न बन जाए और उनकी खड़ी फसल खराब ना हो जाए। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में इस पुल के निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। करीब 84 करोड़ 36 लाख रुपए की लागत से बनाए जाने वाले करीब डेढ़ किलोमीटर लंबाई के इस पुल का 90 प्रतिशत काम कंप्लीट हो चुका है।
करीब 3 महीने का समय और लगेगा
हालांकि करीब डेढ़ साल तो कोविड-19 के चलते और पानी का फ्लो ज्यादा आने के कारण यहां पर कई बार निर्माण कार्य बंद भी रहा था, लेकिन अब तीव्र गति से यहां निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि मार्च महीने में यहां उपमंडल अधिकारी अमित कुमार ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ यहां का दौरा किया था और उस समय पी के अधिकारियों ने यह बताया था कि इसका निर्माण कार्य 31 मार्च तक पूरा कर दिया जाएगा जो कि अब तक नहीं हुआ है। सुनने में आया है कि अब इसमें करीब 3 महीने का समय और लगेगा यानी जून के महीने में इसका कार्य पूरा हो सकता है।
अड़चन : किसानों को अब तक मुआवजा नहीं दिया गया
हरियाणा की ओर से करीब 945 मीटर निर्माण पूरा होने के बाद यमुना पार करके भी करीब 500 मीटर इस पुल को बनाने का कार्य किया जाना है, लेकिन अभी उत्तर प्रदेश की ओर से वह 500 मीटर की जगह जहां पर यह निर्माण कार्य होना है, उसमें अभी अड़चन पड़ी हुई है कि वहां के किसानों को अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है और यह भी पता लगा है कि करीब 110 लाख रुपए किसानों को देने के लिए एस्टीमेट उत्तर प्रदेश सरकार के पास भेजा गया है। अब वह कितनी जल्दी उत्तर प्रदेश के पीडब्ल्यूडी विभाग से पास होकर आएगा और किसानों की एक्वायर की गई जमीन का पैसा उनको दिया जाएगा तो तब ही वहां पुल बनाने का कार्य हरियाणा पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से किया जाएगा।
लोगों को आर्थिक रूप से भी काफी लाभ मिलेगा
अब हरियाणा की सीमा में जो पुल निर्माण का कार्य किया जा रहा है उसके नीचे यमुना के पानी को सीमित जगह में ऐसे ही डायवर्ट किया गया है, लेकिन बारिश के चलते पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण अब मिट्टी में धीरे-धीरे ज्यादा कटाव बनता जा रहा है, जिससे किसानों को डर है कि अगर ज्यादा दिनों तक ऐसे ही पानी का बहाव रहा तो उनकी खड़ी फसलें भी कटाव के अंदर समा सकती हैं। जब यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो दो राज्यों का मिलन होगा, यानी यह पुल 2 राज्यों के विकास कार्यों का एक दिल होगा, क्योंकि पुल बनने के बाद दोनों राज्यों के लोगों का आपस में आवागमन होगा और दोनों राज्यों के लोग आपस में व्यापार करेंगे, जिससे लोगों को आर्थिक रूप से भी काफी लाभ मिलेगा।
वर्जन
इस बारे में जब पीडब्ल्यूडी के जेई संजीव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारी 17 सीमेंटेड सलीम का कार्य 10 अप्रैल तक हो जाएगा और यमुना का जो बहाव है उसमें कटाव बन रहा है तो हम 10 अप्रैल के बाद पानी का बहाव भी पूरा खोल देंगे ताकि एक जगह जमीन के कटाव बनने की स्थिति ना बने। संजीव ने बताया कि करीब 500 मीटर उत्तर प्रदेश की सीमा में पुल बनाना है, लेकिन अभी हमारे को उनकी ओर से जमीन भी नहीं दी गई है, यानी उनकी ओर से ही देरी की जा रही है, जैसे ही उत्तर प्रदेश की ओर से हमें जमीन दे दी जाएगी हम तुरंत प्रभाव से वहां काम करना शुरू कर देंगे।
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