नानी दादी वाली रसोई वापस लाने की जिद्द पर अड़ी शुद्ध के लिए युद्ध करने वाली : अर्चना सोनी

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Panipat News/War for pure is the need of the time: Archana Soni
Panipat News/War for pure is the need of the time: Archana Soni
  • 50 की उम्र के बाद वन मैन आर्मी बनकर हर उम्र के लोगों को बता रही शुद्धता के मायने

आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। इंसान यदि सच्चे मन से कुछ भी सोच ले तो पूरी कायनात उसकी मदद करने को आतुर हो जाती है, इसके लिए ना तो उम्र का पहरा होता है और ना ही किसी तरह की कोई बंदिश। हां रुकावटें, तकलीफें और काम करने वाले इंसान को गिराने की लोगों की आदत के बावजूद इंसान यदि लक्ष्य पर बढ़ता रहे तो एक दिन सब आसान लगने लगता है। हम बात कर रहे हैं आजकल शुद्ध के लिए युद्ध कर रही पानीपत के साथ साथ हरियाणा की कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी अपने काम में वन मैन आर्मी के रूप में विख्यात अर्चना सोनी की। अपने पिता की हींग वाली दाल खाकर और तारीफ सुनकर बड़ी हुई अर्चना सोनी ने 50 की उम्र के बाद अशवथा मिल्क बुस्टर से लेकर, मसाला चाय, सब्जी मसाला, काढ़ा और अपने हाथ से ना जाने क्या क्या बना दिया।

जिद्द थी कि सब कुछ शुद्ध परोसना है

जिद्द थी कि सब कुछ शुद्ध परोसना है, फिर पुराने वक्त में लौटना है। दादी-नानी की रसोई का औषधिपूर्ण सामान जो भौतिक और चकाचौंध वाली वस्तुओ के कारण गायब हो गया है, उसे हर रसोई तक वापस लाना है। इसमे अभी उनका कोई लाभ तो नहीं है, वे घर से ही सब खर्च कर रही हैं लेकिन ये बात सही है कि वे महिलाओं के लिए तो प्रेरणा स्त्रोत बनीं ही हैं साथ में बुजुर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उनके इस जज्बे को सलाम कर रहे हैं। कहती हैं कि बच्चे अब अपने पांव पर खड़े हो गए हैं, अब समाज के स्वास्थ्य के लिए अच्छा करना है क्योंकि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है, कोरोना काल में ये बात सभी को समझ आ चुकी है।

देश विदेश में अपने हाथ से बने प्रोडक्टस को देना शुरू किया

जाने माने डॉक्टर संजय सोनी की धर्मपत्नि और डॉक्टर उज्जवल सोनी की मां अर्चना सोनी की पहचान कभी मीडिया में विख्यात चित्रकार बेटी चेतना सोनी के कारण रही है, लेकिन अब पिछले दो साल से उन्होंने जिस तरह से शुद्ध रसोई की चीजों को अपने हाथ से बनाकर देश विदेश में अपने हाथ से बने प्रोडक्टस को देना शुरू किया है तो लोग उन्हें वो शुद्ध वाली अर्चना सोनी के नाम से जानने लगे हैं। कोरोना काल में जब लोग बीमारी के डर से एक दूसरे से मिलने और घर से निकलने से कतराते थे उस समय उन्होंने अशवथा केसर इलायची वाला मिल्क बूस्टर, चाय मसाला, डिटोक्स काढ़ा, टरमरिक लाटे, सहित कई शुद्ध प्रोडक्टस बनाने शुरू किए, वे घंटों -घंटों घर की मिक्सी में काढ़ा कूटकर बनाती रहीं।

शुद्ध के लिए युद्ध अब समय की मांग

मां अर्चना सोनी को जुनून की हद तक काम करते देखकर डॉक्टर बेटे उज्जवल सोनी ने कहा, ये बहुत बड़ा अवसर है मां काम करने का, लोग इसी वक्त में ही शुद्धता को पहचानेंगे। मां अर्चना सोनी ने इस अवसर को पहचाना और घर में बच्चों के लिए मिल्क बूस्टर से लेकर बढिया मसाले वाली चाय बनाने वाली ने इसे जीवन वृक्ष अश्वथा के नाम पर बनाना शुरू कर दिया और जब महिलाओं ने इसे अपनी रसोई में इस्तेमाल किया तो उनके मुंह से अपने आप ही निकला, तवाड़ा कोई जवाब नहीं, तुसी लाजवाब हो। अर्चना सोनी कहती हैं कि शुद्ध के लिए युद्ध अब समय की मांग है, नानी-दादी के समय में रसोई में ही सब बीमारियों का इलाज था, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती थी।

सब शुद्ध चीजों को वापस लाना होगा

अब लाइफ स्टाइल और इंटरनेट के कंफर्ट जोन दौर में उन सब शुद्ध चीजों को वापस लाना होगा और इसके लिए वे दिन रात काम कर रही हैं। बुजुर्ग तो आयुर्वेदिक प्रोडक्टस की ताकत को समझते हैं लेकिन उनका फोक्स युवा पीढ़ी पर है, वे इन प्रोडक्टस को इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी आदतें बदल जाएंगी तो वे सच में शुद्ध के लिए युद्ध जारी रखेंगे। बकौल अर्चना सोनी, मै आखिरी सांस तक लोगों को इसके लिए प्रेरित करूंगी, जिस दिन हर रसोई में शुद्ध प्रोडक्टस आ जाएंगे उस दिन बीमारियों का जड़ से खात्मा हो जाएगा और मेरा संकल्प पूरा हो जाएगा।

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