- प्रमोद के पिता पानीपत से चार बार रह चुके है विधायक, जनसंघ व आरएसएस के बचपन से सेवक रहे है विज
(Panipat News) पानीपत। विश्व विख्यात ऐतिहासिक व टेक्सटाइल नगरी पानीपत से प्रमोद विज ने दूसरी बार कमल खिलाया है। उन्होंने पानीपत की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले वीरेंद्र पाल शाह उर्फ बुल्ले शाह को बडे अंतर से पराजित किया। हालांकि बुल्ले शाह की जीत को लेकर पानीपत सिटी में काफी शोर शराबा था, राजनीतिक पंडित भी बुल्ले शाह की जीत के प्रति आश्वस्त थे। वहीं, पानीपत के राजनीतिक पंडित यह भूल गए कि प्रमोद विज ने बचपन से राजनीति सीखी है, लेकन प्रमोद ने अपने राजनीति गुणों का कभी सार्वजनिक रूप से बखान नहीं किया।
प्रमोद ने अपने जन सेवा भाव के बल पर दूसरी बार जीत दर्ज की है। स्मरणीय है कि करोना काल में विज अन्य जनप्रतिनिधियों की तरह अपने घर तक सीमित नहीं रहे। बुजुर्ग होने के बावजूद भी विज जनता के बीच रहे और पानीपत में निवास कर रहे लाखों प्रवासी श्रमिकों को उन्होंने अपना परिवार माना और पीडा की घडी में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खडे नजर आए। प्रमोद ने प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रति दिन भाजपा के लिए 40 क्विंटल कच्चा खाद्य पदार्थ भेंट किया, ताकि मजदूर वर्ग भूखा ना रहे।
धन व मेडिकल सेवा भी उपलब्ध करवाई। वहीं, प्रमोद ने एक विधायक के रूप में जहां पानीपत को विकास की राह दिखाई, वहीं निर्धन जनता की अपने निजी कोष से दिल खोल कर मदद की। जनता के कागजी व सरकारी कामकाज के लिए अपने ही कार्यालय में ऑफिस खुलवाया, हर सुविधा वहां पर उपलब्ध करवाई, निर्धन वर्ग के रोगियों के लिए अपने खर्च पर दवाइयां दी, बेटियों के विवाह में कन्यादान दिया या यूं कह लो जो भी प्रमोद के दरबाजे में मदद मांगने गया प्रमोद विज ने दोनों हाथों से उसकी मदद की। वहीं अपने सेवा भाव के बल पर प्रमोद विज दूसरी बार विधानसभा में पहुंचे है।
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