- उदारचित्त व सरल स्वभाव के धनी शख्शियत है प्रवीन जैन का
- कभी जीटी रोड पर फड़ी लगाते थे, जहां अब कावड़ सेवा शिविर वा भंडारे लगते आ रहे हैं
- जैन मुनि सौरभ सागर ने कहा सच्ची सेवा होगी तो किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी
- सेवा कार्य में उन्हें पानीपत वासियों का मिलता है भरपूर प्यार व सहयोग
अनुरेखा लांबरा, पानीपत। ख़त्म हो सकता है उम्र भर कमाया हुआ पैसा, लेकिन जो दुआएं सेवा से कमाई वो कभी ख़त्म नहीं होंगी…।। विश्व पटल पर जहां पानीपत की धरती औद्योगिक और ऐतिहासिक रूप से पहचान बनाए हुए है वहीं, यह धरती समाजसेवियों के सेवा कार्यों के लिए भी एक अलग पहचान बनाए हुए है। यहां के लोग ना केवल उद्योगों से पैसा कमा रहे हैं, अपितु सेवा कार्यों से दुआएं भी कमा रहे हैं। शहर के समाज सेवियों की फेहरिस्त में एक नाम आता है उदारचित्त व सरल स्वभाव के धनी शख्शियत प्रवीन जैन का। सामाजिक कार्यों के प्रति उनका जज्बा, लगन व समर्पण उनके साधारण व्यक्तित्व को विशेष बनाता है।
23 साल से सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं प्रवीन
जैन पिछले 23 सालों से समाज सेवा के कार्यों से जुड़े हैं। प्रवीन जैन ने बताया कि अपनी बेटी के पहले जन्म दिन से उन्होंने भंडारा व जागरण की शुरुआत की और आज से करीब 14 साल पहले गोहाना रोड विश्वकर्मा मंदिर में कावड़ सेवा शिविर के उद्घाटन पर गए हुए थे, अचानक मन में आया कावड़ सेवा शिविर लगाना चाहिए। उसी वक्त घर पर सलाह की और रात को 3 बजे शिव भक्तों के लिए कावड़ सेवा शिविर लगाया और शिवरात्रि पर भंडारा लगाकर शिविर का समापन किया, जबकि उस वक्त कोई मोटा जुगाड़ भी नही था। प्रवीण जैन उस वक्त जीटी रोड पर फड़ी लगाते थे, जहां अब कावड़ सेवा शिविर वा भंडारे लगते आ रहे हैं। जैन बताते हैं उस वक्त एक लॉट का मॉल उठाया बाबा भोलेनाथ के आर्शीवाद से 3 दिन में उतने पैसे बच गए जितने उस वक्त 6 महीने में भी इतने पैसे नहीं कमा सकता था।
बढ़ाया सेवाओं का दायरा
सेवा कार्यों किए समाज सेवा संगठन बनाया। वर्ष में आने वाली दोनों शिवरात्रि, हर पूर्णमासी, महापुरुषों के जन्मोत्सव पर विशाल भंडारे आयोजित किए जाने लगे। हर वर्ष हनुमान जयंती पर भंडारा व उसके बाद और दायरा बढ़ाया तो गरीबों को, स्लम बस्तियों में, झुग्गी झोपड़ियों में हर वर्ष गर्म कपड़े बांटने शुरू हुए भंडारे लगाने शुरू हुए जरूरतमंद बेटियों की शादी वह कन्यादान करना स्कूलों में स्टेशनरी, वर्दी वितरित करने, गर्मियों में हर आवश्यक स्थान पर वाटर कूलर लगाने, रक्तदान शिविर, कुष्ठ रोगियों की सेवा, अनाथ आश्रम में भंडारा, जरूरतमंदों का इलाज आदि कार्य शुरू किए।
इतनी आसन नहीं थी डगर
समाज सेवा का कार्य इतना भी आसान नहीं है जितना दिखता है, क्योंकि इसमें सिर्फ सेवा भाव ही काफी नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूती भी मायने रखती है। सेवा में सेवा साथियों का काफिला तो बनता चला गया, जिससे चंदा एकत्रित कर समाज हित के कार्य किए जाने लगे। लेकिन, प्रवीन जैन बताते हैं कि जो और जितनी सेवा वो करना चाहते थे उतनी कर नहीं पाते थे, क्योंकि आर्थिक रूप से पर्याप्त मात्रा में सहयोग राशि एकत्रित नहीं हो पाती थी, लेकिन फिर भी हिम्मत और जज्बा कम नहीं हुआ। सेवा कार्यों में निरंतरता जारी रखी, जिसका वृहद रूप आज सारा पानीपत देख रहा है।
गुरू के आशीर्वाद से बढ़ा हौंसला
जैन बताते हैं कि एक बार एक कार्यक्रम में जैन मोहल्ला पानीपत में जैन मुनि सौरभ सागर जी महाराज आए हुए थे जैन मुनि सौरभ सागर जी महाराज से मिले तो मुनि ने कहा आशीर्वाद में क्या चाहिए ? प्रवीन जैन ने अपने जवाब में कहां समाज सेवा मुनि महाराज बोले से सेवा तो आप करते हो सेवा तो करते हैं, पर जो करना चाहते है वो नहीं कर पाते। क्योंकि सेवा कार्य को पूर्ण और सफल करने में पैसों का अभाव होता है। मुनि ने कहा सच्ची सेवा होगी तो किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है। बस सेवा का भाव रखो सेवा करो तो एक रुपए से लाखों, करोड़ों तक का सहयोग अपने आप मिलता रहेगा। बस वो दिन और आज का दिन कभी किसी सेवा कार्य में कोई अड़चन नहीं आई और समाज सेवा संगठन ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी। जैन ने बताया कि समाज सेवा संगठन सभी धर्मों का सम्मान करता है और और हर पर्व का धूमधाम से आयोजन भी करता है। संगठन के लिए सबसे बड़ा धर्म ही सेवा है। उनके संगठन से उद्योगपति, समाजसेवी व पत्रकार भी जुड़े हैं।
हार्ट का ऑपरेशन होने के बावजूद कोरोना काल में भी सेवाओं में जुटे रहे
प्रवीण जैन बताते हैं 18 मार्च 2020 को उनके हार्ट का ऑपरेशन हुआ था और 25 मार्च को लॉक डाउन लग गया था और 27 मार्च से ही पब्लिक सेवा के लिए स्थाई भंडारा लगाना शुरू कर दिए थे और 2021 में जब लोग डाउन लगा महामारी फैली हुई थी, तब भी लगातार डोर टू डोर घरों में जाकर जरूरतमंदों को, जो आइसोलेट मरीज थे उन घरों में सुबह दोपहर शाम को खाना लेकर जाते थे। जब के डॉक्टर कहता था कि जिसका हार्ट का ऑपरेशन है या शुगर है उसको घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, लेकिन भगवान के आशीर्वाद से जो भी पानीपत में घरों में आइसोलेट मरीज थे प्रवीन जैन उन घरों में तीनों वक्त का भोजन पहुंचाते थे।
जरूरतमंद की मदद करने से मिलती है खुशी
जैन बताते हैं कि वो साल में 10-12 स्कूलों में वर्दी व स्टेशनरी वितरित करने जाते हैं। गरीब बच्चों को गर्मी व सर्दी की वर्दी वितरित करते हैं। हर वर्ष झुग्गी झोपड़ियों में, स्लम बस्तियों में गर्म कपड़े आदि वितरित करते। गरीब बेटियों की शादियों में जरूरत के सामान से लेकर शादी के खाने तक की व्यवस्था करते, 13 दिव्यांगों को व्हील चेयर भेंट की, जो सेवा अभी भी जारी है। शहर के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में, स्कूलों के आसपास और जरूरत के स्थानों पर 31 वाटर कूलर लगा चुके हैं। जिस क्षेत्र में पार्क नहीं हैं, वहां भी खाली पड़े स्थानों पर बच्चों के लिए खुले लगवाते हैं, ताकि गरीब बच्चे भी अपने बचपन को और बच्चों की तरह जी सकें। सफाई अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर जागरूकता अभियान, जैन ने बताया कि अभी संगठन द्वारा रक्त दान शिविर भी शुरू किए गए हैं। उन्होंने समाज सेवा संगठन ब्लड ग्रुप नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, जिसमें ना केवल पानीपत व हरियाणा, बल्कि दिल्ली, यूपी सहित अन्य राज्यों के भी करीब 500 लोग शामिल हैं, जो सिर्फ एक मैसेज या फोन कॉल पर जरूरामंदों को ब्लड/प्लेलेट्स उपलब्ध कराते हैं। उनका कहना है कि जरूरतमंदों की मदद करने से जो खुशी और संतुष्टि मिलती है, उससे बड़ी कोई खुशी नहीं। उन्होंने कहा कि इस सेवा कार्य में उन्हें पानीपत वासियों का भरपूर प्यार व सहयोग मिलता है।
मिल चुके हैं अवार्ड व सम्मान
जिला प्रशासन, हेल्पिंग यूथ वेलफेयर सोसाइटी, एसएस जैन सभा, गुरुद्वारा साहिब 15, राजकीय प्राथमिक पाठशाला, विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल, विश्वकर्मा सभा से सम्मान पत्र मिल चुके हैं। नवोदय क्रांति शिक्षक परिवार ने अमृतसर में नेशनल अवार्ड से नवाजा था। आरंभ फाउंडेशन ने मैं हूं गांधी अवॉर्ड, सफर न्यूज़ व फेस ग्रुप ने नेशनल अवार्ड व करीब 15 स्कूलों से समाज सेवा के सरफी टिकट मिल चुके हैं। इसके अतिरिक्त काफी संस्थाओं से सम्मान पत्र वह प्यार मिलता रहता है।
समाज के लिए संदेश
प्रवीन जैन का मानना है इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं। इंसानियत के नाते सेवा ही सबसे बड़ा धर्म और कर्म है। जितने पवित्र हाथ पूजा करने वालों के होते हैं उतने ही पवित्र जरूरतमंदों की सेवा करने वालों के होते हैं। जो इंसान जरूरतमंदों की सेवा में वक्त बिताता है उस को मंदिर जाने से भी बड़ा फल मिलता है। उनका मानना है कि समाज सेवा ऐसी फील्ड है, जिससे जुड़ने से बुराई, नशा, क्राइम व गलत संगत अपने आप छूट जाती है। जब युवा सेवा संगठनों/संस्थानों से जुड़ते हैं तो उनके अंदर सेवा का जज्बा पैदा होता है, दिनचर्या व्यस्त हो जाती है, तो फालतू की बातों से बच जाते हैं। और हमारा जन्म लेना सफल हो जाता है उन्होंने युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए कहा कि समाज सेवा अपने जीवन को सुधारने का एक अच्छा रास्ता है, इससे जुड़े और जो गुण, शक्ति, समय आपके पास है उसे सेवा में सफल करें।