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पानीपत। डीसी सुशील सारवान ने जिला के सभी पशुपालकों से अपील की है कि वे पशुओं की लंपी बीमारी को लेकर बिलकुल भी ना घबराएं। लंपी त्वचा रोग की गंभीरता को देखते हुए सरकार व प्रशासन की ओर से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। पशुपालकों को लंपी त्वचा रोग से अपने पशुओं को कैसे बचाएं के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने जिला के पशुपालकों का आह्वान किया है कि वे लम्पी त्वचा रोग से अपने पशुधन को बचाएं। हालांकि इससे डरने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है।
वायरस गर्म व नम मौसम में मक्खी, मच्छर व चीचड़ आदि के काटने से फैलता है
यह वायरस जनित रोग मुख्यत गौवंश में पाया जाता है तथा भैंसों में यह रोग ना के बराबर है। यह वायरस गर्म व नम मौसम में मक्खी, मच्छर व चीचड़ आदि के काटने से फैलता है। उन्होंने पशुपालकों से आह्वान किया कि वे पशुओं के बाड़े को साफ-सुथरा रखें व नियमित रूप से मक्खी व मच्छररोधी दवाओं का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि पशुओं के लिए मच्छरदानी का भी प्रयोग करें। डीसी सुशील सारवान ने बताया कि लम्पी चर्म रोग के लक्षणों में बुखार आना, मुुंह व नाक से स्त्राव निकलना, खाल के नीचे छोटी-छोटी गाठें बनना, कुछ पशुओं में गले के नीचे, गादी, छाती व पैरों में सूजन आदि शामिल हैं।
देखभाल व ईलाज से बीमार पशु दस से 15 दिनों में पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है
उचित देखभाल व ईलाज से बीमार पशु दस से 15 दिनों में पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है और दुग्ध उत्पादन भी सामान्य स्तर पर आ जाता है। स्वस्थ पशु का संक्रमित पशु के सम्पर्क में आने से भी रोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है। अत: घबराने की जरूरत नहीं है। बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। पशुपालन विभाग के अधिकारी बड़ी मुस्तैदी के साथ इसकी रोकथाम में लगे हैं।
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