(Panipat News) पानीपत। स्थानीय श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, जैन मोहल्ला में जैन धर्म के सबसे पवित्र दसलक्षण पर्व का तीसरा दिन बड़े ही भव्य रूप के साथ मनाया गया। आज पर्व के तीसरे दिवस को आर्जव धर्म के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर जी में पंच परमेष्ठी विधान का भव्य आयोजन हुआ जिसमें सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सर्वप्रथम भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक एवं शांति धारा संपन्न हुई उसके पश्चात नित्य नियम पूजन के साथ पंच परमेष्ठी विधान का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जानकारी देते हुए भूपेंद्र जैन ने बताया कि पंच परमेष्ठी विधान में विशेष रूप से पंच परमेष्ठी की पूजन आराधना की जाती है। जैन धर्म में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य उपाध्याय और सर्व साधु पंच परमेष्ठी के रूप में पूजे जाते हैं। जैन धर्म के सबसे बड़े णमोकार महामंत्र में भी पंच परमेष्ठी को नमन किया गया है।
जानकारी देते हुए श्री दिगंबर जैन पंचायत के सचिव मनोज जैन ने बताया कि भाद्रमाह शुक्ल सप्तमी को दिगंबर जैन समाज के दसलक्षण पर्व का तीसरा दिन होता है जिसे आर्जव धर्म के रूप में मनाया जाता है जिसका भावार्थ है कि हम सब को सरल स्वभाव रखना चाहिए जितना बने उतना कपट का त्याग करना चाहिए। कपट के भ्रम में जीना दुखी होने का मूल कारण है॥ आत्मा ज्ञान, खुशी, प्रयास, विश्वास जैसे असंख्य गुणो से सिंचित है उस में इतनी ताकत है कि केवल ज्ञान को प्राप्त कर सके॥ उत्तम आर्जव धर्म हमें सिखाता है कि मोह-माया, बुरे कर्म सब छोड छाड कर सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष पद प्राप्त कर सकते हैं॥ उक्त जानकारी देते हुए अधिवक्ता मेहुल जैन ने बताया कि श्री दिगंबर जैन मंदिर जैन मोहल्ला के साथ पानीपत सभी सातों मंदिरों में भी दसलक्षण पर्व मनाया गया । संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम और आरती सभी शामिल हुए।