किसानों को फसल बेचने के लिए खानी पड़ रही दर-दर की ठोकरें

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Panipat News/The commission agents protested against the policies of the government by reducing the agent and keeping more scale of mustard procurement
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  • सरकारी खरीद का 5425 रुपए का नहीं मिल रहा लाभ
  • आढ़तियों का कमीशन ढाई परसेंट से 1 रुपया करने से नाराज आढ़तियों ने लिया फैसला, कहा ऐसे में नहीं करेंगे हम काम
आज समाज डिजिटल,  पानीपत :
पानीपत (समालखा) : सरकार द्वारा आढ़तियों की आढ़त कम करने और सरसों की खरीद के ज्यादा पैमाने रखने से आढ़तियों ने सरकार की नीतियों का विरोध जताया है, जिसके चलते हैफेड और नैफेड विभाग द्वारा सरकारी खरीद के 8 दिन बीत जाने के बाद सरसों की फसल का एक भी दाना नहीं खरीदा गया। इसको लेकर उपमंडल अधिकारी अमित कुमार ने नई अनाज मंडी का दौरा किया और उन्होंने आढ़तियों और किसानों से सरसों की फसल की सरकारी खरीद के बारे में विभिन्न जानकारियां हासिल की। आढ़ती और मंडी एसोसिएशन फेस वन के प्रधान बलजीत सिंह ने एसडीएम अमित कुमार से बताया कि नई अनाज मंडी बनने से लेकर अब तक फसल बेचने से संबंधित हमें ढाई परसेंट आढ़त मिलती थी, लेकिन अब सरकार ने उसे घटाकर मात्र 1 कर दिया है।

सरसों की फसल 6 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज नहीं होना चाहिए

बलजीत सिंह ने बताया कि इस हालत में आढती कैसे फसल बेच पाएगा, क्योंकि आढ़तियों को काफी ऐसे खर्चे हैं जिनको वहन करना पड़ता है, अगर इस स्थिति में आढ़ती काम करेगा तो वह कुछ भी नहीं कमाए पाएंगे, बल्कि अपने पल्ले से ही उनको देना पड़ेगा। बलजीत सिंह ने बताया कि सरकार ने सरसों की फसल बेचने से संबंधित इतनी ज्यादा हिदायतें दे दी हैं कि इस स्थिति में किसान अपनी फसल को मंडी में बेच ही नहीं सकता, क्योंकि जो किसान मंडी में सरसों की फसल लेकर आएगा उसमें सबसे पहले तो उसका गीलापन 8 पॉइंट से कम होना चाहिए, इसके अलावा 1 क्विंटल सरसों में करीब 38 से 40 किलो तेल होना चाहिए, जबकि केवल 4 प्रतिशत टूटा हुआ दाना ही होना चाहिए, जबकि सरसों की फसल  6 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज नहीं होना चाहिए और अगर हैफेड विभाग के द्वारा बाई चांस सरसों की फसल खरीद ली गई तो उसे हैफेड विभाग के अलावा वेयरहाउस और नेफेड विभाग के द्वारा जांच करते समय कोई गड़बड़ी पाई गई तो कुछ खरीदी हुई सरसों की फसल को वापिस भी भेजा जा सकता है, और जब वापिस भेज दिया जाएगा उसकी सारी जिम्मेदारी आढती की होगी।

 

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सरकार की मनमानी के चलते सरसों की फसल की सरकारी खरीद नहीं करेंगे

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में आढ़ती कैसे सरसों की फसल खरीद पाएगा, कुल मिलाकर सरकार के द्वारा थोपी गई नाजायज हिदायतों के चलते किसानों ने मन बना लिया है कि वह सरसों की फसल का एक भी दाना अपने माध्यम से सरकारी एजेंसियों को नहीं खरीद करवाएंगे, कुल मिलाकर उन्होंने उपमंडल अधिकारी को कहा कि सरकार की मंशा नहीं है कि वह सरसों की फसल की सरकारी खरीद करवाए, क्योंकि अगर सरकार चाहती कि सरसों की फसल की खरीद हो तो वह किसानों और आढ़तियों के ऊपर इतने ज्यादा हिदायतें नहीं लगाते। इतना ही नहीं आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान बलजीत सिंह ने यह भी बताया कि जो मजदूर सरसों की फसल की उतरवाई, सुखवाई, तुलवाई और भरवाई करने का काम करते हैं तो मजदूर 17 रुपए लेते हैं, जबकि सरकार की ओर से आढ़तियों को केवल 11 ही रुपए दिए जाते हैं इस स्थिति में भी आढ़तियों को नुकसान हो रहा है कुल मिलाकर सभी आढ़तियों ने मन बनाया है कि वह सरकार की मनमानी के चलते सरसों की फसल की सरकारी खरीद नहीं करेंगे।

किसानों की फसल सरकार के नियमों से बाहर है तो खरीद नहीं की जाएगी

मछरौली गांव के किसान रामकिशन शर्मा अपनी एक ट्राली भरकर सरसों की फसल मंडी में बेचने के लिए लेकर आए उनकी फसल की खरीद करने के लिए हैफेड विभाग ने यह कहकर मना कर दिया कि इसमें दाना ज्यादा टूटा हुआ है। मौका पर ही किसान रामकिशन ने एसडीएम अमित कुमार से कहा कि वह हमारी फसल की सरकारी खरीद करवाने से संबंधित कोई कार्यवाही करें, तो अमित कुमार ने कहा कि सरकार के नियमों के अनुसार हैफेड विभाग के द्वारा सरकारी खरीद की जाएगी, अगर किसानों की फसल सरकार के नियमों से बाहर है तो खरीद नहीं की जाएगी। कुल मिलाकर आढ़ती रामकिशन की सरसों की फसल की सरकारी खरीद नहीं की गई तो उसने अपनी फसल को प्राइवेट एजेंसियों को बेचा।

फसल की खरीद करने के लिए जरूरत से ज्यादा नियम बनाए

रामकिशन ने बताया कि सरसों की फसल का सरकारी खरीद का 5450 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दाम मिलते है, लेकिन अब सरकारी खरीद न होने से मैंने अपनी फसल को 4921 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा है, मुझे करीब 529 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से घाटा हुआ है। किसान रामकिशन शर्मा ने मौका पर ही उपमंडल अधिकारी अमित कुमार से कहा कि सरकार नहीं चाहती कि सरसों की फसल की सरकारी खरीद करवाए, इसलिए सरकार ने सरसों की फसल की खरीद करने के लिए जरूरत से ज्यादा नियम बनाए हैं। उन्होंने उपमंडल अधिकारी को कहा कि उनकी फसल खरीदी जाएगी क्या तो उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन रुको इसका समाधान करवाएंगे तो किसानों ने कहा कि तीन-चार दिन का ही सरसों की फसल का सीजन है, उसके बाद तो सरसों की फसल का सीजन ही समाप्त हो जाएगा, इतना कहने के बाद उपमंडल अधिकारी वहां से चले गए।

 

 

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सरकार के जो भी आदेश हैं हम उनके आदेशों को लेकर काम कर रहे हैं

इस संदर्भ में जब हैफेड विभाग के मैनेजर आजाद सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार के जो भी आदेश हैं हम उनके आदेशों को लेकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की हिदायतों के अनुसार जो भी किसान अपनी फसल को सरकारी रेट पर बेचना चाहता है हम उसकी फसल खरीदने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि हैफेड विभाग ने केवल कमर्शियल रेट पर अपनी करीब 156 क्विंटल सरसों की फसल की खरीद की है, जबकि हैफेड और नैफेड विभाग से जो सरकारी खरीद करने के लिए सरकार ने 28 अप्रैल का समय दिया था उससे पहले यानी 20 अप्रैल से ही खरीद शुरू कर दी थी, लेकिन हैफेड और नेफेड विभाग की ओर से कोई भी खरीद नहीं की गई है।
उच्च अधिकारियों और जिला उपायुक्त को इस बारे में अवगत कराया जाएगा
इस संदर्भ में उपमंडल अधिकारी अमित कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि नई अनाज मंडी में मैंने आढ़तियों और किसानों की समस्याओं को सुना है, उनके सामने जो भी सरसों की फसल को सरकारी रेट पर बेचने से संबंधित समस्याएं आ रही हैं उन समस्याओं को लेकर हैफेड विभाग के उच्च अधिकारियों और जिला उपायुक्त को इस बारे में अवगत कराया जाएगा, जैसे आगामी उनके आदेशों होंगे उनके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।