आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। संगीत हमारे जीवन की आवाज है। इसके बिना सभी का जीवन खाली है। जब तक हम संगीतमय रहते हैं, तब तक संगीत रहता है। यही सोचते हुए हम कुछ महिलाओं ने सुर-सरगम के नाम 26 अगस्त 2002 को एक व्हट्सएप ग्रुप बनाया जिस में यह तय किया गया कि पुराने गाने ही ज़ूम पर सुनाए जाएँगे। धीरे-धीरे जैसे-जैसे पता लगता गया तो सदस्याओं की संख्या भी बढ़ने लगी। इस ग्रुप में पटियाला की शीनू गर्ग, ऋषिकेश से अंजु मित्तल, गुरुग्राम से नलिनी प्रभाकर भी सम्मिलित हुईं।
पुराने गानों की महफ़िल सजाई और ख़ूब आनन्द उठाया
फिर ज़ूम पर ही तय किया गया कि दो माह में एक बार मिल कर भी संगीत का मज़ा लिया जा सकता है, सो आज सब ने रूबरू होते हुए पुराने गानों की महफ़िल सजाई और ख़ूब आनन्द उठाया। यह जानकारी कंचन सागर ने दी। ग्रुप की सदस्या ज्योत्सना गर्ग, वीना भाटिया, तृप्ता गाबा ने कहा कि इस से नया कुछ सीखने को भी मिलता है और समय भी बेहतर ढ़ंग से व्यतीत हो जाता है। संगीत के बिना जीवन एक रेगिस्तान से यात्रा के समान है। रश्मि अखौरी, कृष्णा सडाना, डा.अंजु गर्ग, नीतू छाबड़ा का मानना है कि संगीत के बिना ज़िंदगी अधूरी है।
कई बार व्यक्ति के बिगड़े हुए मूड को भी ठीक करने का काम करता है संगीत
माधवी वर्मा, कृष्णा सडाना, अनीता बत्तरा का कहना है कि संगीत कई बार व्यक्ति के बिगड़े हुए मूड को भी ठीक करने का काम करता है, साथ ही व्यक्ति के स्ट्रेस को भी कम करने का काम करता है। यह वह कला है, जो कि व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का काम करती है। वहीं इसे सुनने से पॉजिटिव थॉट्स आते हैं और मूड एकदम फ्रेश हो जाता है। आज की सभा में ज्योत्सना गर्ग,वीना भाटिया, रश्मि अखौरी, तृप्ता गाबा, कृष्णा सडाना, डा.अंजु गर्ग, नीतू छाबड़ा, सरोज आहुजा, सांझी सागर ने आनन्द उठाया।